सिंदूर – (कविता)
गोवर्धनसिंह फ़ौदार ‘सच्चिदानन्द’, मॉरीशस सिंदूर जान हथेली ले उतरे हैं, अपने सारे वीर।बदला ये सिंदूर का आज, ले पोंछेंगे नीर।। पानी सिर से हुआ है उपर,खैर नहीं इस बार।कुचलने फ़न…
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गोवर्धनसिंह फ़ौदार ‘सच्चिदानन्द’, मॉरीशस सिंदूर जान हथेली ले उतरे हैं, अपने सारे वीर।बदला ये सिंदूर का आज, ले पोंछेंगे नीर।। पानी सिर से हुआ है उपर,खैर नहीं इस बार।कुचलने फ़न…
गोवर्धनसिंह फ़ौदार ‘सच्चिदानन्द’ अवकाश प्राप्त सरकारी कर्मचारी। हिन्दी-भोजपुरी भाषा प्रेमी। वर्तमान में मॉरीशस तथा भारत के विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं में, जिनमें मंथनश्री, वर्तिका, विश्व हिन्दी साहित्यिक समूह, जागरण, आभा साहित्य…