
अर्चना पैन्यूली
जन्म : 17 मई 1963, कानपुर, उत्तर प्रदेश
अर्चना पैन्यूली मूलतः भारत के उत्तराखंड राज्य से हैं। 1997 से डेनमार्क की राजधानी कोपनहेगन में रह रही हैं, जहाँ वे नॉर्थ सीलैंड इंटरनेशनल स्कूल में अध्यापन करती हैं और स्कैन्डिनेवियन देशों में बसा इन्डियन डायस्पोरा और डेनिश समाज पर लिखती हैं।
हिमालय पहाड़ों से लेकर डेनिश तटों तक, अर्चना पैन्यूली ने अपने लेखन यात्रा में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की। उनकी रचनाओं में एक अलग परिवेश – स्कॅन्डिनेविया प्रायद्वीप, डेनमार्क – में मानव जीवन और सामाजिक-राजनेतिक व्यवस्था को प्रमुखता से जानने-समझने का अवसर मिलता है। उनकी रचनाएँ संभावित वैश्विक अपील के साथ भारत उपमहाद्वीप से एक मजबूत संबंध रखती हैं। अपने लेखन के माध्यम से अर्चना पैन्यूली ने डेनमार्क में बसे भारतीयों के जीवन के बारे में जागरूकता और रुचि बढ़ाने में अहम योगदान दिया है। डेनिश साहित्य का हिन्दी अनुवाद करके अर्चना पैन्यूली ने डेनमार्क और भारत के बीच साहित्यिक सेतू निर्माण की दिशा में अहम कार्य किया है।
अब तक उनकी नौ पुस्तकें – चार उपन्यास, चार कहानी संग्रह तथा एक डेनिश-हिंदी अनुवाद प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित हो चुके है। एक उपन्यास और दो कहानी संग्रह प्रकाशाधीन है। उनका उपन्यास ‘वेयर डू आई बिलांग’ डेनिश समाज पर हिंदी में लिखा प्रथम उपन्यास है। डेनमार्क में हिन्दी और भारतीय संस्कृति के सरंक्षण की दिशा में भी अर्चना पैन्यूली ने सारगर्भित शोध आलेख लिखे हैं। हिन्दी प्रचार-प्रसार में भी अर्चना पैन्यूली सक्रीय हैं। अर्चना पैन्यूली की रचनाएँ विश्वविद्यालयों के कोर्स में लगी हैं, और उनकी रचनाओं पर देश-विदेश के शोधार्थी शोध कर रहे हैं।
- प्रकाशित कृतियाँ
- उपन्यास: परिवर्तन (अभिरुचि प्रकाशन 2003); वेयर डू आई बिलांग (भारतीय ज्ञानपीठ 2010); पॉल की तीर्थयात्रा (राजपाल एंड संस 2016); कैराली मसाज पार्लर (भारतीय ज्ञानपीठ 2020); अलकनंदा सुत (वाणी प्रकाशन 2025)
- कहानी संग्रह: ‘हाईवे E-47 (प्रभात प्रकाशन समूह – ज्ञान गंगा 2017); कितनी मांएं हैं मेरी (प्रभात प्रकाशन समूह- विद्या विकास एकेडमी 2018); प्रवासी साहित्य श्रृंखला (प्रलेक प्रकाशन 2021); कथा सप्तक (शिवना प्रकाशन 2023), मेरी मदरबोर्ड (पुस्तकनामा 2024),, पुराने घर में आखिरी दिन ( (पुस्तकनामा 2025 )
- अनुवाद: सुप्रसिद्ध डेनिश लेखिका, कारेन ब्लिक्शन (दिवंगत) की लम्बी कहानी का हिंदी अनुवाद (नया ज्ञानोदय 2009); साहित्यकार हेल्ले हेल्ले के पुरस्कृत उपन्यास Dette burde skrives i nutid – … आगे की बात करें (प्रभात प्रकाशन 2021)
- अनूदित साहित्य : वेयर डू आई बिलांग – अंग्रेजी अनुवाद (रूपा पब्लिकेशन्स 2014)
- कैराली मसाज पार्लर – अंग्रेजी अनुवाद (यूकियोतो पब्लिकेशन्स 2023)
- कैराली मसाज पार्लर – इटालियन अनुवाद (यूकियोतो पब्लिकेशन्स 2024)
- कैराली मसाज पार्लर – कन्नड़ अनुवाद (अंकिता पब्लिकेशन्स 2023)
- कैराली मसाज पार्लर – मराठी अनुवाद (स्वरूपदीप 2024)
- पुरस्कार व सम्मान
- भारत में –
– अपैल 2020 केन्द्रीय हिन्दी संस्थान द्वारा पद्मभूषण डॉ मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार
– सितम्बर 2019 मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा निर्मल वर्मा पुरस्कार
– उपन्यास ‘पॉल की तीर्थयात्रा’ फेमिना सर्वे द्वारा वर्ष 2016 के सर्वश्रेष्ठ दस उपन्यासों में घोषित
– अगस्त 2012- राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त मैमोरियल ट्रस्ट द्वारा उपन्यास ‘वेयर डू आई बिलांग’ के लिए राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार से सम्मानित
– जून 2004 साहित्यिक संस्था धाद महिला सभा, उत्तराखंड द्वारा उपन्यास परिवर्तन के लिए सम्मानित
- डेनमार्क में –
– अगस्त २०११- इंडियन कल्चरल सोसाइटी, डेनमार्क द्वारा स्वतंत्रता दिवस समारोह पर ‘प्राइड आफ इंडिया’ सम्मान से सम्मानित
– अगस्त 2006 – इंडियन कल्चरल एसोशिएशन, डेनमार्क द्वारा प्रेमचंद्र पुरस्कार.
- विश्वविद्यालय कोर्स में कृतियाँ
अम्बेडकर विश्वविद्यालय ‘वेयर डू आई बिलांग’
महर्षि दयानन्द विश्वविद्याल‘पॉल की तीर्थयात्रा’
ओड़िशा राज्य मुक्त विश्वविद्यालय कहानी घर वापसी
- लेखन में शोध
अर्चना पैन्यूली की रचनाओं को देश-विदेश के शोधार्थियों ने अपने शोध कार्य में शामिल किया है।
- यूनीवर्सिटी ऑफ़ रिगा, लातविया
- उप्पसला यूनीवर्सिटी, स्वीडन
- गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर, पंजाब
- लोयला कॉलेज, जमशेदपुर, झारखंड
- पंजाब यूनीवर्सिटी, चंडीगढ़
- गुरु काशी विश्वविद्यालय तलवंडी साबो, भटिंडा, पंजाब
- अलीगढ़ यूनीवर्सिटी
- कश्मीर विश्वविद्यालय
- कल्याणी विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल
- जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर, राजस्थान
- महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक
- मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर
- डॉ बी. आर. आंबेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली, हरियाणा
- केन्द्रीय विश्वविद्यालय, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा, उत्तराखंड
आदि विश्वविद्यालयों के छात्रों ने उनकी रचनाओं को अपने शोध कार्य में प्रमुखता से शामिल किया है।
इन विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों ने अर्चना पैन्यूली की कहानियों में स्त्री का स्वरूप, माँ के विविध रूप, भारतीय और प्रवासी साहित्य की तुलनात्मक विवेचना, दो प्रवासी लेखिकाओं के उपन्यासों का तुलनात्मक अध्ययन, इक्कीसवीं सदी में प्रवासी परिवेश के हिन्दी उपन्यासों में जीवन-मूल्य, मानवीय संवेदना, आदि तथ्यों की गहन पड़ताल की है।
पता –
Islevhusvej 72 B
2700 Bronshoj, Copenhagen, Denmark
Mobile: + 45 71334214
Email: apainuly@gmail.com
Website: www.archanap.com