
राजस्थान साहित्य अकादमी के आलोचना पुरस्कार एवं भारतीय अनुवाद परिषद के शिखर सम्मान प्रोफेसर गार्गी गुप्त द्विवागीश पुरस्कार जैसे अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित प्रसिद्ध हिंदी लेखक दिनेश कुमार माली द्वारा ओड़िया साहित्य के ख्यातिलब्ध गीतकार डॉ. कुलमणि विश्वाल की चित्रों और गीतों की जुगलबंदी वाली पुस्तक ‘प्रेमार्द्ध शतक’ का नई दिल्ली के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मास कम्यूनिकेशन के प्रेक्षागृह में ओड़िया एवं हिंदी साहित्य के आधिकारिक विद्वानों की उपस्थिति में एक भव्य आयोजन में विमोचन हुआ ।
इस अवसर पर रीतियुगीन साहित्य के ओड़िया भाषा के विकास में योगदान पर प्रखर वक्ता डॉ. कृष्ण केशव षडंगी द्वारा सारगर्भित उद्बोधन दिया गया, जिसमें उन्होंने प्रभावशाली वक्तृत्व शैली में उपेंद्र भंज, दीन कृष्ण दास, कवि सूर्य बलदेव रथ, ब्रजराज बडजेना आदि के छंदोबद्ध काव्य की गेयता, माधुर्य, एवं सांगीतिक गुणों की विशेषता पर प्रकाश डाला। डॉ. कुलमणि विश्वाल की इस पुस्तक में इन गुणों की उपस्थिति के अनेक दृष्टांत भी उन्होंने प्रस्तुत किए। डॉ. कुलमणि विश्वाल बहुआयामी प्रतिभा के धनी हैं। उन्होंने कोल इंडिया व एनटीपीसी के वित्त विभाग के निदेशक जैसे शीर्ष मुकाम पर पहुंचने के साथ-साथ चित्रकला और छंदोबद्ध कविता को निखारकर फिर से नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने में विशिष्ट उपलब्धि हासिल की है। ओड़िया साहित्य के रीतियुग की कृतियों पर आयोजित आलोचना के प्रथम सत्र में ‘पल्लीवाणी मिशन’ के रामचंद्र नाथ, संजीव पाटजोशी, हौजखास स्थित जगन्नाथ मंदिर के सचिव और रविंद्र नाथ प्रधान और पवित्र महारथा ने भाग लिया।

दूसरे सत्र में ‘प्रेमार्द्ध शतक’ के हिंदी संस्करण का विमोचन मान्यवर सांसद डॉक्टर विभु प्रसाद तराई, ओड़िशा के जगतसिंहपुर अंचल के सांसद सुकांत पाणिग्रही, दूरदर्शन के पूर्व महानिदेशक और हिंदी के मूर्द्धन्य कवि रमाकांत शर्मा ‘उद्भ्रांत’, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. डीपी मिश्रा, ओड़िआ से हिंदी के वरेण्य अनुवादक डॉ. राजेंद्र मिश्रा और ‘प्रेमार्द्धशतक’ के अनुवादक दिनेश कुमार माली द्वारा सैकड़ों साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति में किया गया।

आयोजन के तृतीय सत्र में सुप्रसिद्ध ओड़िया गायिका सुष्मिता दास ने मूल ओड़िया ‘प्रेमार्द्धशतक’ के चयनित गीतों की मंत्रमुग्ध करने वाली प्रस्तुति दी। इस सत्र में डॉ. कुलमणि विश्वाल ने कैनवास पर एक पेंटिंग बनाते हुए अपनी चित्रकला में सुदक्षता का परिचय दिया। तुरंत ही इस पेंटिंग को प्रेक्षागृह में उपस्थित प्रवीर मोहंती ने ग्यारह हजार रुपए में खरीद लिया। इसके अतिरिक्त, दिव्यासिंह राउत, दक्षा सामल, स्नेहाली जेना और प्रियदर्शनी ने उड़िया संगीत और नृत्य में महारत रखने वाले दिल्ली के डॉ. कालीचरण पटनायक के संगीत की धुन पर नृत्य की आकर्षक प्रस्तुति दी।

अंत में, वरिष्ठ पत्रकार किशोर द्विवेदी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर कोल इंडिया के चेयरमैन श्री पीएम प्रसाद एवं ओपीजीसी के निदेशक वित्त ने उपस्थित होकर इस आयोजन में चार चाँद लगा दिए। ओड़िया महामंच के सभापति गोवर्धन धल एवं विजयनी फाउंडेशन की अध्यक्ष सुश्री रीता पात्र ने कार्यक्रम का भाव विभोर कर देने वाला सुंदर संचालन किया।