

अनीता वर्मा
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जल बचाओ
रिमझिम बूँदें बरस रहीं हैं
धरती कितनी चमक रही है
हरा-भरा परिधान पहनकर
देखो कैसी महक रही है
पेड़ों पर कोयल कूक रही है
ना जाने क्या पूछ रही है
पत्ते झूम झूम कर गाते
पेड़ भी ख़ुश होकर मुस्काते
जल है जीवन का आधार
जल से है सारा संसार
अगर चाहिए सुंदर संसार
संचित करो जल का भण्डार