हॉब्सन-जॉब्सन और आधुनिक ऑक्सफोर्ड अंग्रेज़ी कोश: हिंदी के बहाने अंतरराष्ट्रीय अंग्रेज़ी का विस्तार

~ विजय नगरकर, अहिल्यानगर, महाराष्ट्र

📜 भूमिका

भाषा केवल संचार का माध्यम नहीं, बल्कि इतिहास, संस्कृति और सभ्यता का जीवंत दस्तावेज़ है। अंग्रेज़ी भाषा का आज जो वैश्विक स्वरूप है, उसमें भारतीय उपमहाद्वीप का योगदान गहरा और बहुआयामी है। विशेष रूप से, हॉब्सन-जॉब्सन जैसे ऐतिहासिक शब्दकोशों ने न केवल औपनिवेशिक काल के भाषाई आदान-प्रदान को दर्ज किया, बल्कि आधुनिक ऑक्सफोर्ड अंग्रेज़ी कोश (Oxford English Dictionary) के निर्माण में भी अप्रत्यक्ष रूप से आधारशिला रखी। 

🔍 “शब्दों की खोज” और हॉब्सन-जॉब्सन की उत्पत्ति

– शब्द “हॉब्सन-जॉब्सन” स्वयं इस प्रक्रिया का उदाहरण है जिसमें भारतीय शब्दों को अंग्रेज़ी में ध्वन्यात्मक रूप से ढाला गया। 

– इसका स्रोत 17वीं सदी का अरबी-हिंदुस्तानी उच्चारण “या हसन! या हुसैन!” है, जो मुहर्रम के मातमी जुलूसों में बोला जाता था। 

– ब्रिटिश कानों में यह ध्वनि “Hobson-Jobson” जैसी सुनाई दी और इसे औपनिवेशिक अंग्रेज़ी में दर्ज कर लिया गया। 

📚 हॉब्सन-जॉब्सन: एक ऐतिहासिक शब्दकोश

– पूरा शीर्षक: “Hobson-Jobson: A Glossary of Colloquial Anglo-Indian Words and Phrases, and of Kindred Terms, Etymological, Historical, Geographical and Discursive” 

– संकलनकर्ता: सर हेनरी यूल और ए.सी. बर्नेल 

– प्रथम प्रकाशन: 1886 

– उद्देश्य: ब्रिटिश-भारतीय संपर्क के दौरान विकसित मिश्रित भाषा (Anglo-Indian English) के शब्दों और वाक्यांशों का संकलन। 

🌏 भाषाई विविधता का संगम

हॉब्सन-जॉब्सन में केवल हिंदी या हिंदुस्तानी ही नहीं, बल्कि 

– अरबी (जैसे अलमारी, अख़बार) 

– फ़ारसी (जैसे दरबार, बाज़ार) 

– पुर्तगाली (जैसे अलमिरा, बटन) 

– द्रविड़ भाषाएँ (जैसे कैरी, पगोडा) 

से आए शब्द भी दर्ज हैं। 

ये सभी शब्द अंग्रेज़ी में औपनिवेशिक संपर्क के माध्यम से प्रवेश कर गए और बाद में अंतरराष्ट्रीय अंग्रेज़ी का हिस्सा बने। 

🧠 शब्द व्युत्पत्ति और अर्थ परिवर्तन

हॉब्सन-जॉब्सन केवल शब्दों की सूची नहीं, बल्कि उनके इतिहास, अर्थ-परिवर्तन और सांस्कृतिक संदर्भ का भी दस्तावेज़ है। 

– उदाहरण: cool 

  – मूल अर्थ: “ठंडा” 

  – आधुनिक अर्थ: “शांत”, “स्टाइलिश” 

  – परिवर्तन का कारण: सामाजिक-सांस्कृतिक प्रयोग और युवाओं की बोलचाल। 

📖 ऑक्सफोर्ड अंग्रेज़ी कोश पर प्रभाव

– ऑक्सफोर्ड अंग्रेज़ी कोश (OED) का उद्देश्य अंग्रेज़ी के हर शब्द का ऐतिहासिक और व्युत्पत्तिगत विवरण देना है। 

– हॉब्सन-जॉब्सन जैसे कार्यों ने OED को औपनिवेशिक युग के भाषाई आदान-प्रदान का समृद्ध स्रोत प्रदान किया। 

– OED में आज भी सैकड़ों ऐसे शब्द हैं जिनकी जड़ें भारतीय भाषाओं में हैं — bungalow, veranda, pyjamas, jungle, curry आदि। 

– इस प्रकार, हिंदी और हिंदुस्तानी के बहाने भारतीय भाषाओं ने अंग्रेज़ी के अंतरराष्ट्रीय स्वरूप को विस्तार दिया। 

🏛 अकादमिक महत्व

– हॉब्सन-जॉब्सन केवल एक शब्दकोश नहीं, बल्कि औपनिवेशिक भारत का सांस्कृतिक-भाषाई अभिलेख है। 

– इसने भाषाविज्ञान, इतिहास, समाजशास्त्र और औपनिवेशिक अध्ययन के शोधकर्ताओं को एक ठोस आधार दिया। 

– आधुनिक OED की ऐतिहासिक पद्धति — जिसमें शब्द की पहली दर्ज़ तारीख, स्रोत और अर्थ-परिवर्तन शामिल होते हैं — आंशिक रूप से इसी तरह के पूर्ववर्ती कार्यों से प्रेरित है। 

हिंदी का दस्तावेजीकरण और मानकीकरण

– 19वीं सदी में ब्रिटिश प्रशासन ने भाषाओं के दस्तावेजीकरण, शब्दकोश निर्माण और व्याकरण लेखन में काफी काम किया — यह मुख्यतः प्रशासनिक, शैक्षिक और मिशनरी उद्देश्यों के लिए था। 

– हॉब्सन-जॉब्सन जैसे शब्दकोश, और नागरी प्रचारिणी सभा (1893) जैसे भारतीय संगठनों के प्रयास, हिंदी के मानकीकरण में अहम रहे। 

– ब्रिटिश काल में हिंदी–उर्दू विवाद (1860–1900 के बीच) के दौरान, उत्तर-पश्चिमी प्रांतों और अवधी क्षेत्र में अदालतों और प्रशासन में उर्दू (फ़ारसी लिपि) के स्थान पर हिंदी (देवनागरी लिपि) को मान्यता देने की मांग उठी। 

– 1900 में ब्रिटिश सरकार ने उत्तर-पश्चिमी प्रांतों में देवनागरी को आधिकारिक लिपि के रूप में मान्यता दी — यह हिंदी के औपचारिक प्रशासनिक दर्जे की दिशा में एक बड़ा कदम था। 

निष्कर्ष

हॉब्सन-जॉब्सन यह प्रमाणित करता है कि भाषा का विकास केवल मातृभाषा के भीतर नहीं, बल्कि संस्कृतियों के मिलन और संवाद से होता है। 

भारतीय भाषाओं, विशेषकर हिंदी और हिंदुस्तानी, ने अंग्रेज़ी को न केवल नए शब्द दिए, बल्कि उसे बहुभाषी, बहुसांस्कृतिक और वैश्विक बनाने में अहम भूमिका निभाई। 

आधुनिक ऑक्सफोर्ड अंग्रेज़ी कोश इसी ऐतिहासिक विरासत का विस्तार है — एक ऐसा जीवंत दस्तावेज़ जो यह दर्शाता है कि शब्दों की यात्रा सीमाओं से परे होती है। 

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