बेशर्म

अनु बाफना

दुबई शहर का नामी-गिरामी रेस्टोरेंट। शनिवार की शाम व समुद्र किनारे होने से लोगों से खचाखच भरा था। काशवी अपने पति और १५ वर्षीय बेटे के संग खाना खाने आयी हुई थी। शुद्ध शाकाहारी खाना वाकई में लज़ीज़ होने की वजह से उसे व उसके परिवार को यह जगह सबसे अच्छी लगती थी।

बुकिंग पहले  से करवाई हुई थी इसीलिए समय पर टेबल मिल गयी थी,  काशवी ने चैन की सांस ली, नहीं तो १ घंटे की वेटिंग तो करनी ही पड़ती । तीनों बैठ गये व खाने का आर्डर दे दिया। काशवी यों तो ४० वर्ष की थी मगर इतनी मैनटैनेड थी की २५-२६ की लगती थी,  जो पहन लेती वही जँच जाता। आज उसने नी-लेंथ की नीले रंग की ड्रेस पहनी थी जो उस पर आकर्षक लग रही थी ।

पास वाली टेबल पर एक बड़ा सा परिवार आकर बैठा।  बुजुर्ग माँ-बाप, अधेड़ उम्र के दो जोड़ी  बेटा-बहू, ३ छोटी-बड़ी उम्र  के बच्चे -जो शायद पोता पोती होंगे, काशवी ने सोचा ।

वह बड़े गौर से बहुओं को देख रही थी, एक ने लाल-लाल फूलों वाली बहुत सुन्दर साड़ी पहनी थी और दूसरी जो देवरानी लग रही थी, उसने पीले रंग का प्यारा-सा सलवार सूट पहना था। दोनों की भरी हुई मांग, हाथों में खूब सारी चूड़ियां, सलीके से पिन किये हुए आँचल …दबी-दबी आवाज़ में उनका बातें करना …..मेनू कार्ड दोनों पतियों के हाथ में था और दोनों सिर्फ आपस में मशविरा करके आर्डर कर रहे थे……. काशवी को ज़रा अजीब लगा कि आज के ज़माने में भी ऐसे…… तभी पति अश्विन की बातों ने उसकी सोच का रुख बदला … अश्विन अपनी ऑफिस की कोई बात रहे थे।

काशवी अपने पति से बातें करने लगी, कुछ ही मिनटों में स्टार्टर भी सर्व हो  गया था। सब खाने में मशगूल हो गये। अचानक काशवी को लगा कि जैसे कोई उसे घूर रहा है,  देखा तो जो पास वाली टेबल के बुजुर्ग थे उसकी नंगी टांगों को घूर रहे थे।  काशवी को कुछ सेकंड तो नहीं समझ आया पर बार-बार उन बुजुर्ग की नज़रें खुद की टांगों और चेहरे पर पाना उसे अब असहज करने लगा। उनकी टेबल पर भी खाना आ चुका था व सब खा रहे थे पर यदा कदा देखते-देखते वे बुजुर्ग काशवी की टांगों को देखते और बुरा सा मुँह बनाते।

काशवी को बहुत ही बुरा लगने लगा कि कैसा बेशर्म आदमी है, पूरा परिवार साथ बैठा है,  पत्नी है, बहुएं हैं, किशोर होती पोती भी है फिर कैसे बेशर्मी से वह उसकी टांगों को घूर रहा है। वह गुस्से में बुदबुदाई, बेशर्म आदमी ।

वहां वे बुजुर्ग काशवी के पहनावे को लेकर सोच रहे थे, कैसे- कैसे परिवार होते हैं .. जवान बेटा साथ में बैठा है और माँ के कपडे इतने छोटे, कितने भद्दे ….अच्छा है कि मेरी बहुएं सलीके से कपडे पहनती हैं …संस्कारी हैं, घर की मर्यादा का ध्यान रखती हैं और इसको देखो फैशन में पगली हो रखी है… इसके पति को भी अकल नहीं है, कैसे अपनी पत्नी को ऐसे कपडे पहनने की अनुमति दे देते हैं। क्या वाहियात कपड़े पहनकर बाहर आयी है, पूरी टांगें नंगी हैं, बेशर्म औरत !

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