अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन

स्नेह ,प्रेम जोड़ आपस में, बहार चमन में लाता है, नया वर्ष जब आता है। आंग्ल वर्ष 2024 के समापन और नूतन वर्ष 2025 की आहट के उपलक्ष्य में वैश्विक हिन्दी परिवार द्वारा सहयोगी संस्थाओं के साथ अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर समूचे विश्व के साहित्य सृजन को नमन किया गया। वाक्यम रसात्मकम काव्यम सहज ही चरितार्थ हुआ। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो॰ जितेंद्र श्रीवास्तव ने सभी को नव वर्ष की बधाई दी और प्रवासी जगत की रचनाधर्मिता की सराहना की तथा इस कवि सम्मेलन को काव्य के आयतन में बढ़ोत्तरी की संज्ञा दी। उन्होने सभी सोलह प्रस्तुतियों की सराहना करते हुए कवि कर्म जारी रखने का आवाहन किया और अपनी  “धूप, शीर्षक से कविता सुनाई तथा  सृष्टि में पुतलियों को सबसे पुराना एल्बम बताया। सान्निध्यप्रदाता कवि एवं वैश्विक हिन्दी परिवार के अध्यक्ष श्री अनिल जोशी ने आगामी 10 से 12 जनवरी 2025 तक नई दिल्ली में आयोजित “अंतरराष्ट्रीय भारतीय भाषा सम्मेलन, में सहभागिता हेतु अभिप्रेरित  किया। श्री जोशी द्वारा अपनी दो रचनाएँ “शब्द एक रास्ता है तथा “जैसे मेरे हैं प्रभु वैसे सबके हों प्रभु, सुनाकर आत्म विभोर किया गया।     

    आरम्भ मेँ डॉ॰ अंबेडकर विश्वविद्यालय की प्रो॰ रेणु यादव द्वारा कविता की पृष्ठभूमि सहित आत्मीयता से स्वागत किया गया। संचालन का महनीय दायित्व सिंगापुर से वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार श्रीमती आराधना झा श्रीवास्तव द्वारा उद्धरणों सहित, नपे तुले और सधे शब्दों में शालीनता से संभाला गया। इस मौके पर देश- विदेश से साहित्यकार, सैकड़ों विद्वान -विदुषी, शिक्षक-प्रशिक्षक शोधार्थी-विद्यार्थी और भाषा प्रेमी जुड़े थे।

    कविता की फुहार, वरिष्ठ साहित्यकार अलका सिन्हा द्वारा नव वर्ष के उपलक्ष्य में “आओ कि जिंदगी फिर से शुरू करें, शीर्षकीय रचना से शुरू की गई। आस्ट्रेलिया के समयानुसार मध्यरात्रि में जुड़ीं कवयित्री रेखा राजवंशी ने नए वर्ष की दस्तक, आहट और खट खट को भावपूर्ण शैली में खटखटाया और सभी को बधाई दी। इसकी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए श्री विनय शील चतुर्वेदी ने कविता को ज्ञान का निकुंज बताया एवं लंबी तान छेड़ते हुए  व्यापक दृष्टिकोण अख़्तियार करने, राष्ट्र प्रेम, नारी सम्मान और सांस्कृतिक विरासत को कायम रखने हेतु प्रेरित किया। अर्मिनियाँ की पूर्व प्रोफेसर एवं साहित्यकार अनीता वर्मा ने “बीता बरस ,जैसे गीता कलश, शीर्षक से मंत्र मुग्ध करने वाली ओजपूर्ण रचना प्रस्तुत की। लंदन से जुड़ीं कोमल भावों की कवयित्री आस्था देव ने “माँ-बेटी संवाद को कवितामय अंदाज में मार्मिक ढंग से प्रस्तुत करते हुए जननी और जन्य के सम्बन्धों की प्रगाढ़ता को सबल बनाया।

     जापान से जुड़ीं कवयित्री एवं ‘हिन्दी की अनुगूँज, पत्रिका की संपादक डॉ॰ रमा शर्मा ने नए वर्ष की शुभाशंसा बिखेरती कविता गुंजायमान की। सिंगापुर से उदीयमान कवि श्री अंकुर गुप्ता ने अपनी कविता में “लंबे सफर पर जाने को मंजिल, बताया तथा शिव शक्ति की सदाशयता समझाया। पाँच दशक से अधिक समय से ब्रिटेन में “काव्य रंग नाटिङ्घम, की अध्यक्ष, वरिष्ठ कवयित्री जय वर्मा ने मर्मस्पर्शी कविता में प्रवासी जगत की पीड़ा प्रकट की और हर हाल में खुश रहने की प्रेरणा दी। यूक्रेन विश्वविद्यालय के प्रो॰ यूरी बोत्विंकिन ने अपनी कविता में कहा कि हम भी आपको शंख ध्वनि सा एकाग्र होकर सुनते हैं एवं भारत भारतीयता का समादर करते हैं। इस क्रम को आगे बढ़ाते हुए दिल्ली से प्रो॰ रेणु ने “मणिपुर, और “दलबदलू, शीर्षक से दो रचनाएँ प्रस्तुत करते हुए झकझोर दिया।

    सुप्रसिद्ध दोहाकार साहित्यकार श्री नरेश शांडिल्य ने कहा कि “जाने वाले साल की, बता रही है चाल। आने वाले साल में कैसा होगा हाल।। इसके साथ ही वे गजल की प्रस्तुति देकर चिंतन धारा के प्रवाह में ले गए। तकनीकी कठिनाई के कारण नीदरलैंड की सुप्रसिद्ध साहित्यकार पुष्पिता अवस्थी की कविता का आस्था देव ने वाचन किया और प्रवासी भावों की रसधारा बहाई। यू॰ के॰ की सुविख्यात साहित्यकार सुश्री दिव्या माथुर की बाल कविता का प्रस्तुतीकरण  आराधना झा श्रीवास्तव ने किया और बाल संसार की मुस्कान बिखेरी तथा अपनी कविता और संचालन शैली से धारा प्रवाह स्पंदनयुक्त नए प्रतिमान स्थापित किए।

  इस अवसर पर जापान से पद्मश्री से सम्मानित प्रो॰ तोमियो मिजोकामि, प्रो॰ वेद प्रकाश, उज्बेकिस्तान से प्रो॰उल्फ़त, अमेरिका से अनूप भार्गव, मीरा सिंह, कनाडा से विजय विक्रांत, आशा वर्मन एवं नारायण कुमार, बरुन कुमार, शुभम राय, रमेश कुमार, ओम प्रकाश, अमरेन्द्र कुमार ,मनोज कुमार, विवेक शर्मा, रश्मि वार्ष्णेय और ऋषि त्रिपाठी तथा पी॰ के॰ शर्मा  आदि की गरिमामय उपस्थिति रही। समूचा कार्यक्रम विश्व हिन्दी सचिवालय, अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद, केंद्रीय हिन्दी संस्थान,वातायन और भारतीय भाषा मंच के सहयोग से वैश्विक हिन्दी परिवार के अध्यक्ष श्री अनिल जोशी के मार्गदर्शन में आयोजित हुआ। कार्यक्रम प्रमुख की  सशक्त भूमिका का बखूबी निर्वहन ब्रिटेन की सुप्रसिद्ध प्रवासी साहित्यकार सुश्री दिव्या माथुर द्वारा किया गया। भारत से डॉ॰ जयशंकर यादव के काव्यात्मक आत्मीय कृतज्ञता ज्ञापन एवं नए बरस में सब बढ़ें, बनकर स्वयं प्रकाश, की शुभ भावनाओं के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। यह कार्यक्रम “वैश्विक हिन्दी परिवार, शीर्षक के अंतर्गत “यू ट्यूब, पर उपलब्ध है।

–डॉ॰ जयशंकर यादव

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