काका कालेलकर एवं विष्णु प्रभाकर की स्मृति को समर्पित सन्निधि संगोष्ठी में काका कालेलकर राष्ट्रीय प्रोत्साहन सम्मान 2024 आयोजित किया गया

8 मार्च 2025 महिला दिवस के दिन काका कालेलकर एवं विष्णु प्रभाकर की स्मृति को समर्पित सन्निधि संगोष्ठी में काका कालेलकर राष्ट्रीय प्रोत्साहन सम्मान 2024 आयोजित किया गया। इस आयोजन के साथ ही पुस्तक लोकार्पण एवं रचना पाठ का आयोजन भी किया गया। इस कार्यक्रम के आयोजक है गाँधी हिंदुस्तानी साहित्य सभी (दिल्ली ) एवं विष्णु प्रभाकर प्रतिष्ठान नोएडा तथा सहयोगी संस्था विश्व समन्वय संघ दिल्ली।

कार्यक्रम का आरम्भ 3 बजे चाय नाश्ते के साथ हुआ। कार्यक्रम के अध्यक्ष रहे डॉ सुरेश चंद्र शर्मा शिक्षाविद एवं लेखक, मुख्य अतिथि नारायण कुमार पूर्व प्रशासनिक अधिकारी हिंदी भाषा सेवी, विशिष्ट अतिथि भावना सक्सेना हिंदी भाषा सेवी, संपादक एवं लेखक तथा डॉ वीना गौतम पूर्व प्रचार्या लक्ष्मी बाई कॉलेज दिल्ली यूनिवर्सिटी।

काका कालेलकर राष्ट्रीय प्रोत्साहन सम्मान 2024 उन व्यक्तियों को दिया जाता है जो अपने क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं परन्तु जिन्हें अधिक पहचान नहीं मिल पाई। इस वर्ष ये सम्मान शिक्षा एवं समाज सेवा के क्षेत्र में डॉक्टर राकेश सिंह, अनुवाद कला एवं साहित्य के क्षेत्र में सुलोचना वर्मा, शिक्षा साहित्य एवं संगीत के क्षेत्र में डॉ कविता अरोरा, व्यंग्य एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रवीण दत्त शर्मा,  पत्रकारिता के क्षेत्र में नकुल गणेश भाई वाघेला,  कला- तबला के क्षेत्र में प्रभाकर पांडेय को दिया गया। कार्यक्रम का सुंदर संचालन सदानंद कवीश्वर जी ने किया।

सबसे पहले अतुल प्रभाकर जी ने कार्यक्रम व सम्मान के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा करते हुए प्रोत्साहन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि प्रोत्साहन कर्ता को ऊर्जा प्रदान करता है। सभी अतिथियों को शाल व उपहार से सम्मानित किया गया। एक-एक कर सभी अतिथियों ने अपने- अपने क्षेत्र के बारे में विस्तृत जानकारी दी।

तत्पश्चात विशिष्ट अतिथि भावना सक्सेना एवं डॉ वीना गौतम, मुख्य अतिथि नारायण कुमार एवं अध्यक्ष डॉ सुरेश चंद्र शर्मा जी ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए सभी सम्मानितो को बधाई एंव अपनी शुभकामनाएं दी। नारायण कुमार जी ने आचार्य काकासाहेब कालेलकर, जिनके नाम से यह सम्मान दिया जा रहा है के बारे में बात करते हुए बताया ‘सन 1934 में जब काकासाहेब हिंदी प्रचार के लिए दक्षिण गए तो उस समय भी उन्हे भारी विरोध का सामना करना पड़ा था। लेकिन जब उन्होने समझाया के वे स्वंय दक्षिण भारतीय हैं और देश की एकता और अखंडता के लिए हिंदी को महत्वपूर्ण मानते हुए उसके प्रसार के लिए आए हैं तो उन्हे सभी का सहयोग मिला। ‘अध्यक्षीय भाषण देते हुए डॉ शर्मा ने सम्मानितो के चयन को प्रसंशनीय बताते हुए सभी के कार्यो को महत्वपूर्ण बताया।

अतुल प्रभाकर जी ने धन्यवाद ज्ञापित कर कार्यक्रम की समाप्ति की घोषणा की।

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