मराठी-फारसी राज्य व्यवहार कोश की संक्षिप्त जानकारी

~विजय नगरकर, अहिल्यानगर, महाराष्ट्र
छत्रपति शिवाजी महाराज ने राज्य व्यवहार कोश मराठी में जारी किया था। इसके पीछे का इतिहास इस प्रकार है:
पृष्ठभूमि:
छत्रपति शिवाजी महाराज एक महान योद्धा और रणनीतिकार थे जिन्होंने 17वीं शताब्दी में मराठा साम्राज्य की स्थापना की थी। उन्होंने अपने शासनकाल में कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक और सामाजिक सुधार किए। इनमें से एक महत्वपूर्ण सुधार ‘राज्य व्यवहार कोश’ का निर्माण था।
राज्य व्यवहार कोश:
यह एक फारसी-मराठी शब्दकोश था, जिसे छत्रपति शिवाजी महाराज के आदेश पर तैयार किया गया था। उस समय में शासकीय कामकाज में फारसी भाषा का प्रभाव था। कई शब्द आम लोगों के लिए समझने में कठिन थे। इसलिए, छत्रपति शिवाजी महाराज ने एक ऐसे कोश की आवश्यकता महसूस की, जिसमें फारसी शब्दों के मराठी अर्थ दिए गए हों, ताकि प्रशासन और आम जनता के बीच संवाद को सरल बनाया जा सके।
निर्माण:
इस कोश को बनाने का कार्य रघुनाथ पंडित और धुंडीराज व्यास को सौंपा गया था। उन्होंने फारसी शब्दों के संस्कृत और मराठी पर्यायों का संकलन किया। इस कोश में लगभग 1380 शब्द हैं, जो उस समय के प्रशासनिक और सामाजिक जीवन में उपयोग किए जाते थे।
महत्व:
राज्य व्यवहार कोश ने मराठा प्रशासन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसने न केवल प्रशासनिक भाषा को सरल बनाया, बल्कि मराठी भाषा के विकास में भी योगदान दिया। यह कोश छत्रपति शिवाजी महाराज की दूरदृष्टि और प्रशासनिक क्षमता का एक उदाहरण है।
छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा बनाया गया राज्य व्यवहार कोश मराठी भाषा और प्रशासन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह उनकी भाषाई नीति और प्रशासनिक सुधारों का प्रतीक है।
री’रघुनाथपंत हणमंते’ को दरबार में बुलाकर राज्यव्यवहारकोश परियोजना का काम सौंपा गया। इससे पहले, यानी 1665 में पुरंदर की संधि के दौरान, छत्रपति शिवाजी महाराज ने रघुनाथपंत हणमंते को ‘पंडितराव’ की उपाधि दी थी। योजना के अनुसार, यह कोश 1676-77 के दौरान बनाया गया था। रघुनाथपंत दक्षिणदिग्विजय अभियान में व्यस्त होने के कारण, उन्होंने यह काम अपने सहायक ‘धुंडीराज लक्ष्मण व्यास’ को सौंपा।
छत्रपति शिवाजी महाराज ने राज्यव्यवहार कोश के निर्माण के लिए जो आज्ञा दी थी और राज्यव्यवहारकोश में उसके बारे में जो उल्लेख है, वह इस प्रकार है:
कृते म्लेच्छोच्छेदे भुवि निरवशेषं रविकुला-
वतंसेनात्यर्थं यवनवचनैलुप्तसरणिम् ।
नृपव्याहार्थं स तु विबुधभाषां वितनितुम्
नियोक्तोभूद्विद्वान्नृपवर शिवच्छत्रपतिना ||
(अर्थ – इस पृथ्वी से म्लेच्छों का पूर्ण रूप से नाश करने के बाद, सूर्यवंश को सुशोभित करने वाले छत्रपति छत्रपति शिवाजी महाराज ने यवनों की भाषा से लुप्त हुए राजव्यवहार पद्धति का संस्कृत भाषा में प्रचार करने के लिए (रघुनाथ) पंडित को नियुक्त किया।)
‘द ग्रेट मुगल’ ग्रंथ के लेखक अर्ली इब्राहिम लिखते हैं कि, “छत्रपति शिवाजी के शासन का एक महत्वपूर्ण पहलू प्राचीन हिंदू राजनीतिक परंपरा और दरबार की परंपराओं को पुनर्जीवित करने का उनका प्रयास था ताकि फारसी की जगह मराठी को दरबार की भाषा के रूप में पेश किया जा सके। उन्होंने संस्कृत प्रशासनिक नामकरण को पुनर्जीवित किया और आधिकारिक शब्दों का एक शब्दकोश – राज्य व्यवहार कोश – संकलित किया ताकि परिवर्तन को सुगम बनाया जा सके।”
लगभग 1300 से अधिक शब्दों का एक कोश तैयार किया गया। राज्यव्यवहार कोश के दस सर्गों में 1380 फारसी, दक्कनी, उर्दू शब्द हैं, जिनके वैकल्पिक संस्कृत और प्राकृत शब्द सुझाए गए हैं। उदाहरण के लिए, गुलाम – दास, चोपदार – दंडधर, चाकर – सेवक, गरम – उष्ण। अपनी मराठी संस्कृति को संरक्षित करने के उद्देश्य से छत्रपति शिवाजी महाराज ने इस कोश की रचना की, और इसी दौरान ‘शिवाकौदर्य’ और ‘करणकौस्तुभ’ जैसे संस्कृत ग्रंथ भी लिखवाए। राज्यव्यवहारकोश का निर्माण करने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज पहले कोशकार कहलाते हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज का सपना और उनकी विशिष्टता इससे स्पष्ट होती है।
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