
कम्प्यूटर और भाषा कार्यशाला : कृत्रिम बुद्धिमत्ता, पर्यावरण और सतत विकास
(वैश्विक हिन्दी परिवार के 30 मार्च 2025 के कार्यक्रम की संक्षिप्त रिपोर्ट)
वैश्विक हिन्दी परिवार द्वारा सहयोगी संस्थाओं के तत्वावधान में सूचना प्रौद्योगिकी की नवीनतम जानकारी प्रदत्तता के मद्देनजर रविवारीय कार्यक्रम के अंतर्गत 30 मार्च को “कम्प्यूटर और भाषा कार्यशाला, का आभासी आयोजन किया गया। इसके अंतर्गत “कृत्रिम बुद्धिमत्ता,पर्यावरण और सतत विकास, पर पीपीटी के माध्यम से गहन ज्ञान प्रदान किया गया। इस अवसर पर विषय विशेषज्ञ के रूप में माइक्रोसॉफ्ट संस्था में एशिया महाद्वीप के मार्केटिंग सेंटर फॉर एक्सेलेंस के हेड श्री बालेंदु शर्मा दाधीच पधारे। संचालन की भूमिका में पूर्व राजनयिक एवं गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग में सहायक निदेशक डॉ॰ मोहन बहुगुणा ने शालीन ढंग से बारीक तकनीकी विश्लेषण सहित दायित्व निर्वहन किया। आरंभ में कवि, लेखक, चिंतक और वैश्विक हिन्दी परिवार के अध्यक्ष श्री अनिल जोशी द्वारा विविध त्योहारों की शुभाशंसा सहित सबका आत्मीयतापूर्वक स्वागत किया गया और अतिथि वक्ता श्री बालेंदु शर्मा दाधीच के भाषा प्रौद्योगिकी संबंधी दीर्घकालिक सत प्रयत्नों की सराहना की गई। मौके पर देश -विदेश से अनेक साहित्यकार,विद्वान विदुषी, तकनीकीविद, प्राध्यापक, अनुवादक, शिक्षक, राजभाषा अधिकारी, शोधार्थी, विद्यार्थी और भाषा प्रेमी आदि जुड़े थे।

सुविख्यात भाषा प्रौद्योगिकीविद श्री दाधीच ने कहा कि यह विषय मंच की लीक से हटकर है और धरती के संकट एवं वैश्विक चिंताओं से जुड़ा है तथा जी- 20 सम्मेलन में भी जन कल्याण के लिए कार्यसूची में था। पर्यावरण और सतत विकास की समस्याओं के समाधान हेतु एआई काफी सहायक है। उन्होने सतत विकास के मुख्यतया 17 लक्ष्य बताए- दरिद्रता मुक्ति, कोई भूखा न हो, अच्छा स्वास्थ्य, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, लैंगिक समानता, साफ पानी व स्वच्छता, सस्ती ऊर्जा, आर्थिक विकास, नवाचारयुक्त बुनियादी ढांचा, असमानताओं को कम करना, शहर व समुदाय, खपत व उत्पादन, जलवायु संरक्षण, पानी के नीचे जीवन, भूमि पर जीवन, शांति न्याय व मजबूत संस्थान, लक्ष्यों के लिए साझेदारी आदि। उन्होने इसे बिन्दुवार सोदाहरण समझाया और बताया कि यह संयुक्त राष्ट्र संघ के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) से भी जुड़कर एकीकृत करता है।
श्री दाधीच जी ने श्रोताओं से अनुत्तरित प्रश्न के आश्चर्यजनक उत्तर में बताया कि वर्ष 2023 में गूगल की बिजली की खपत 25.9 टेरावाट घंटे (टीडब्ल्यूएच)तक पहुँच गई जो 100 से अधिक देशों की कुल खपत से ज्यादा है। गूगल खोज पर एक सवाल के लिए 0.3 वाट बिजली लगती है और चैट जीपीटी पर एक प्रश्न के उत्तर में 2.9 वाट बिजली खर्च होती है। प्रशिक्षण,संचालन और उपयोग के दौरान एआई मॉडलों की ऊर्जा खपत अनुमान से परे है। उन्होने उदाहरण सहित समझाया कि प्राकृतिक आपदा,कृषि, स्वास्थ्य,शिक्षा,संस्कृति संरक्षण और विकलांगता आदि में किस प्रकार एआई का उपयोग सतत विकास के लिए हो रहा है। जैसे दृष्टिहीनों के लिए निर्मित विशेष चश्मा उनके जीवन यापन में दिव्य दृष्टि- सी सशक्त भूमिका निभा सकता है।
विद्वान और सौम्य शील स्वभाव के धनी श्री दाधीच जी ने ज्ञान चक्षु खोलते हुए बताया कि गोंडी, मुंडारी और ईदु मिशमी आदि लुप्त प्राय होने वाली भाषाओं को एआई बचा रही है। भावी पीढ़ियों के लिए भाषा संस्कृति संरक्षण तथा तकनीकी कौशल का निर्माण धड़ल्ले से हो रहा है। वयोवृद्ध भाषाशास्त्री श्री जगन्नाथन के प्रश्न पर दाधीच जी ने बताया कि भाषा संबंधी शोध कार्य में एआई काफी अंश तक सहायक है। डॉ॰ बरुन कुमार के प्रश्न पर बताया गया गया कि ए आई द्वारा वातावरण की गर्मी को वापस खींचने संबंधी शोध जारी है। शोधार्थियों द्वारा पुस्तकालय की उपयोगिता और मानव मस्तिष्क के कुंद होने के सवाल पर श्री बालेंदु जी ने कहा कि मनुष्य रचयिता है और रचने वाला बचता रहेगा।

समूचा कार्यक्रम विश्व हिन्दी सचिवालय, अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद, केंद्रीय हिन्दी संस्थान, वातायन और भारतीय भाषा मंच के सहयोग से वैश्विक हिन्दी परिवार के अध्यक्ष श्री अनिल जोशी के मार्गदर्शन में सामूहिक प्रयास से आयोजित हुआ। कार्यक्रम प्रमुख की भूमिका का निर्वहन ब्रिटेन की सुप्रसिद्ध प्रवासी साहित्यकार सुश्री दिव्या माथुर द्वारा शालीनता से किया गया। अंत में दिल्ली से डॉ॰ रूद्रेश नारायण मिश्र के आत्मीय कृतज्ञता ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। यह कार्यक्रम “वैश्विक हिन्दी परिवार, शीर्षक के अंतर्गत “यू ट्यूब,पर उपलब्ध है।
रिपोर्ट लेखन – डॉ॰ जयशंकर यादव