वात्सल्य का भव्य वार्षिकोत्सव समारोह

– ओमप्रकाश प्रजापति

नई दिल्ली। 13 अप्रैल 2025 को जनकपुरी स्थित आर्य समाज मंदिर के प्रांगण में वात्सल्य संस्था का वार्षिकोत्सव समारोह संस्था प्रमुख डॉ. कविता मल्होत्रा के कुशल निर्देशन में अत्यंत हर्षोल्लास और गरिमामय वातावरण में संपन्न हुआ। यह कार्यक्रम न केवल संस्था की उपलब्धियों का उत्सव था, बल्कि भारतीय संस्कृति, सामाजिक सरोकार और साहित्यिक चेतना के अद्भुत संगम का प्रतीक भी रहा। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ, जिसे डॉ. सविता चड्ढा की अध्यक्षता में संपन्न किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि श्री सुधाकर पाठक, अति विशिष्ट अतिथि श्री ऋषि कुमार शर्मा, तथा विशिष्ट अतिथियों में डॉ. ओमप्रकाश प्रजापति, डॉ. शंभू पंवार, श्री विनोद पाराशर, श्री अशोक गुप्ता और डॉ. विदुषी शर्मा जैसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों की गरिमामयी उपस्थिति रही।

अतिथियों का स्वागत ‘वात्सल्य गौरव सम्मान – 2025’, शॉल एवं तुलसी के पौधे के भेंट स्वरूप बड़े ही आदरपूर्वक किया गया। कार्यक्रम की विशेष प्रस्तुति वात्सल्य संस्था के बच्चों द्वारा दी गई नाटिकाएँ रहीं, जिनमें समाज की वर्तमान पारिवारिक स्थिति, भारतीय संस्कृति और मानवीय मूल्यों को अत्यंत सजीव और भावप्रवण रूप में मंचित किया गया। प्रणव सहित सभी बाल कलाकारों की भावपूर्ण प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस विशेष अवसर पर डॉ. कविता मल्होत्रा के संपादन में दो महत्वपूर्ण कृतियों का लोकार्पण भी हुआ। माँ, वात्सल्य वसुंधरा — एक भावनात्मक संग्रह, जो मातृत्व और प्रकृति की कोमल भावनाओं को समर्पित है। संबंधों का धर्मशास्त्र — डॉ. यति शर्मा द्वारा रचित यह कृति मानवीय संबंधों की गहराइयों को साहित्यिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती है। ट्रू मीडिया का साहित्यिक कैलेंडर 2025 — साहित्यिक आयोजनों और महत्वपूर्ण तिथियों को समेटे यह कैलेंडर साहित्यप्रेमियों के लिए एक अनूठा दस्तावेज है। इस मौके पर दिल्ली-एनसीआर सहित देश के विभिन्न हिस्सों से पधारे 40 से अधिक साहित्यकारों एवं साहित्यप्रेमियों को ‘वात्सल्य कलम कौस्तुभ सम्मान – 2025’ से सम्मानित किया गया। यह सम्मान डॉ. कविता मल्होत्रा एवं श्री यश मल्होत्रा द्वारा प्रदान किया गया, जिनकी सृजनशीलता और संगठन क्षमता के बल पर यह आयोजन एक ऐतिहासिक रूप ले सका।

कार्यक्रम का एक अन्य विशेष आकर्षण रहा — वात्सल्य संस्था के प्रतिभावान बच्चों को उनके अभिभावकों सहित मंच पर बुलाकर सम्मानित करना, जिससे सामाजिक सहभागिता और पारिवारिक मूल्य और भी सुदृढ़ हुए। कार्यक्रम का मंच संचालन प्रणव मेहता एवं सुश्री उषा श्रीवास्तव ने किया। अंत में डॉ. कविता मल्होत्रा ने सभी अतिथियों, साहित्यकारों, बच्चों, अभिभावकों, एवं आयोजन से जुड़े सभी सहयोगियों का हृदय से आभार व्यक्त करते हुए कहा कि, “वात्सल्य केवल एक संस्था नहीं, बल्कि यह एक संस्कार है, एक सोच है — जो हर पीढ़ी में भारतीयता और मानवता के बीज रोपित करने का कार्य करती है।” यह समारोह निःसंदेह साहित्य, संस्कृति और सामाजिक चेतना का प्रेरक उदाहरण बनकर उभरा, जिसकी स्मृतियाँ लंबे समय तक साहित्यिक और सामाजिक जगत में प्रेरणा का स्रोत बनी रहेंगी।

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