रवींद्र भवन,‌ नई दिल्ली

5 मई 2025

साहित्य अकादेमी द्वारा आयोजित ‘अस्मिता’ कार्यक्रम में महिला रचनाकारों की रचनात्मक दृष्टि और सामाजिक सरोकारों का सशक्त प्रदर्शन देखने को मिला। तीन महिला रचनाकारों ने अपनी विविध विधाओं की रचनाएं प्रस्तुत कीं जिनमें वरिष्ठ लेखिका अलका सिन्हा की कहानी ‘पीपल, पुरखे और पुरानी हवेली’ विशेष आकर्षण का केंद्र रही। यह कहानी एक स्त्री की दृष्टि से प्रकृति के प्रति उसके प्रेम, चिंता और जागरूकता का आत्मीय दस्तावेज है‌ जिसमें पीपल का वृक्ष पीढ़ियों को जोड़ने वाला एक सांस्कृतिक सेतु बन जाता है। लेखिका ने इस कहानी को पर्यावरण संरक्षण की वैज्ञानिक चेतना और सांस्कृतिक विरासत के प्रति उत्तरदायित्व की गहन अनुभूति से जोड़ा। उन्होंने हरित भविष्य की कल्पना रचते हुए यह स्थापित किया कि पर्यावरण संरक्षण कोई बाहरी प्रयास नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक चेतना और पारिवारिक जिम्मेदारी का मूल अंग है। कहानी की भाषा और वाचन सहज, पारदर्शी और प्रभावशाली रही।

कार्यक्रम में अनामिका अनु ने अपनी कहानी ‘येनपक कथा’ के माध्यम से स्त्रियों के उस अदृश्य संसार की झलक दी जहां सबकुछ बर्फ की तरह चुपचाप पिघलता रहता है। एक बूढ़े छातेवाले की उपस्थिति से बुनी गई यह कहानी प्रतीकों और संवेदनाओं से भरपूर थी।

रुचि मेहरोत्रा की कविताएं जीवन को अनेक दृष्टिकोणों से देखने-समझने की ईमानदार कोशिश थीं जिनमें आत्मनिरीक्षण, सामाजिक विवेक और करुणा के स्वर सुनाई दिए।

कार्यक्रम में उपस्थित लेखकों, साहित्यप्रेमियों और श्रोताओं के बीच अनिल जोशी, सीताराम प्रसाद, ऋषि कुमार शर्मा, त्रिलोक कौशिक, नलिन विकास, अनिता सेठी वर्मा, अनिल मीत आदि की उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की। अनिल जोशी ने पठित रचनाओं पर अपनी संक्षिप्त टिप्पणी करते हुए कार्यक्रम की सार्थकता को रेखांकित‌ किया। साहित्य अकादेमी की ओर से अजय कुमार शर्मा ने उपस्थित रचनाकारों और श्रोताओं का आभार ज्ञापित किया।

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