
डॉ. महादेव एस कोलूर
वैश्विक हिंदी परिवार की उड़ान
(जून 2020 से जून 2025 के पाँच स्वर्णिम वर्षों पर आधारित)
हिंदी के स्वर ने जब सुर छेड़ा,
दूर देशों का मन भी खींचा,
कोरोना के सन्नाटों में,
बना एक नया सूरज दींचा।
स्क्रीन बनी मंच की सीमा,
कनाडा, जापान, तंज़ानिया,
वातायन में गूँजे स्वर हिंदी के,
मंच बना मानवीय सान्निध्य का।
पाँच वर्षों की यह यात्रा,
स्मृतियों से सजी झोली है,
जहाँ भाव, भाषा, संस्कृति,
सबमें हिंदी विनयशील जी की बोली है।
डॉ रमेश निशंक और बालेंदु जी की शिक्षा-ज्योति,
अतुल, निलम और नारायण जी का संस्कार गान,
तोमियो मिजोकामी और डॉ जयशंकर जी की साधना,
अनिता-सुनिता और डॉ माधुरी जी की वाणी महान।
विदेशों से आए सन्देश,
सिंगापुर, अमेरिका, लंदन,भारत से,
संध्या-आराधना और शैलजा ने बाँधे बंधन प्रेम के,
हर कोने से, हर दर्पण से।
अनिल जोशी और राहुल जी का दिव्य योजना,
विनोद -श्याम,इंदिरा और पद्मेश जी का सुधी मार्गदर्शन,
वरुण- जवाहर और दिव्या जी का साहित्य-दीपिका,
ले आई हिंदी को नव उत्थान।
सम्मेलन, संवाद, समर्पण,
सम्मानित हुए सैकड़ों लेखक,
कृष्ण-मोहन से लेकर साहित्य मनीषियों तक,
डॉ सुनील जी की वाणी सबको बाँधा एक साथ।
यह उड़ान है केवल शब्दों की नहीं,
यह आत्मा की पुकार बनी,
हिंदी अब है वैश्विक भाषा,
हर हृदय की उपहार बनी।
मिलकर मनाएं हम पंचवर्षीय पर्व,
जहाँ शब्दों ने सीमाएं तोड़ीं,
संस्कृति, साहित्य और संवादों से,
हिंदी ने दुनिया जोड़ी।
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