राजभाषा विभाग की 50वीं वर्षगांठ, स्वर्ण जयंती समारोह

26 जून 2025, भारत मंडपम, नई दिल्ली

26 जून 2025 को भारत मंडपम, नई दिल्ली में राजभाषा विभाग की स्वर्ण जयंती का भव्य समारोह संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह जी मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने समारोह को संबोधित करते हुए भारतीय भाषाओं के महत्व पर प्रकाश डाल। उन्होंने कहा कि “भारतीय भाषाएं भारत को जोड़ने का सबसे सशक्त माध्यम बनेंगी” और प्रशासन में इन भाषाओं के उपयोग को बढ़ावा देने का संकल्प व्यक्त किया।

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया और राजभाषा विभाग की 1975–2025 की गौरवशाली यात्रा की सराहना की। समारोह में विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया, “साहित्यकार महाकुंभ” पुस्तक का विमोचन भी हुआ, जिसका लोकार्पण माननीय अमित शाह जी ने किया।

सरकार की ओर से यह भी बताया गया कि अब JEE, NEET, CUET एवं CAPF जैसी परीक्षाएँ 13 भारतीय भाषाओं में आयोजित की जा रही हैं, जिसमें लगभग 95 % उम्मीदवारों ने अपनी मातृभाषा में परीक्षा दी—यह भाषाओं के भविष्य की संभावनाओं को उजागर करता है।

समारोह में अन्य कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे—जिनमें सांसद श्री भर्तृहरि महताब, माननीय गृह राज्य मंत्री श्री बंडी संजय कुमार, राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी तथा श्रीमती सुधा मूर्ति , शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव श्री अतुल कोठारी, विदूषी डॉ. राजलक्ष्मी कृष्णन,सचिव,  राजभाषा विभाग, श्रीमती अंशुली आर्या आदि शामिल थे। इसके अतिरिक्त केंद्रीय सचिवालय के राजभाषा सेवा संवर्ग अधिकारियों की वार्षिक मूल्यांकन रिपोर्ट की भी ऑनलाइन प्रस्तुति की गई।

अनेक ज्ञान प्रतियोगिताओं व लोगो प्रतियोगिता के अलावा वॉकेथॉन रन-फ़ॉर-फ़न, दौड़ प्रतियोगिता, जिसमें विभागीय कर्मचारियों एवं आम लोगों ने भाग लिया था, के विजेताओं को भी पुरस्कृत किया गया। आयोजकों ने साझा रूप से ‘सर्वश्रेष्ठ धावक’, ‘सबसे उत्साही भागीदार’ आदि को पुरस्कृत किया।

 इस अवसर पर

• “सप्त सिंधु शब्द कोश” नामक बहुभाषाई शब्द कोश जिसमें (13 भारतीय भाषाओं में) में राजभाषा मंत्रालय द्वारा बनाए गए शब्दों का समावेश है, का गृह मंत्री अमित शाह ने विधिवत लोकार्पण किया।

• “साहित्यकार महाकुंभ”: भारतीय साहित्य के महत्वपूर्ण और समकालीन लेखकों व रचनाकारों के संग्रह का भी केंद्रीय मंत्री द्वारा अनावरण किया गया ।

• अन्य प्रकाशन

आयोजन के दौरान स्मारक सिक्कों के साथ-साथ कई भाषाई संदर्भ पुस्तकें और विभागीय रिपोर्ट भी जारी की गईं ।

भोजनोपरांत सत्र में कुछ विशिष्ट विद्वानों ने राजभाषा के 50 वर्षों की प्रगति और समरसता पर अपने उद्गार व्यक्त किए।

1. डॉ. राजलक्ष्मी कृष्णन, हिंदी शिक्षाविद् एवं लेखक, दक्षिण भारत (तमिल)

2. डॉ. निशांत जैन, आईएएस, सचिव, जयपुर विकास प्राधिकरण

3. डॉ. बिचारदास, निदेशक (सेवानिवृत्त), केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो

4. डॉ. वर्षा दास, शिक्षाविद् (गुजराती)

तत्पश्चात्, अर्धसैनिक बलों द्वारा देशभक्ति आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।

समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति का उद्देश्य भारतीय भाषाओं और संस्कृति की विविधता को प्रदर्शित करना था:

• शास्त्रीय नृत्य: कथक और भरतनाट्यम नृत्य प्रस्तुतियों ने पारंपरिक शास्त्रीय अभिव्यक्ति की भव्यता और सौंदर्य दोनों को जीवंत रूप से प्रस्तुत किया।

• लोकनृत्य और गीत: छत्तीसगढ़ी, पंजाबी, राजस्थानी लोक गीत-नृत्य प्रस्तुतियों ने देश के विभिन्न क्षेत्रीय लोक संस्कृतियों को मंच पर जीवंत कर दिया।

• भाषाई संगीत रचना: हिंदी, तेलुगु और मराठी धुनों में रचित संगीतानुभव ने भाषाई सौंदर्य की गहराई दर्शाई, जिससे समग्र कार्यक्रम में सहज सांगीतिक समरसता बनी रही।

जलपान के साथ समारोह की समाप्ति हुई।

रिपोर्ट – सुनीता पाहूजा

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