
मूल कहानी – होवहाननेस थूमान्यान , अर्मेनिया

अनुवादक – गायाने आग़ामालयान (ख़ान)
झूठा
पुराने ज़माने में एक महाराज राज्य करते थे। एक दिन उन्होंने डंका पिटवा दिया:
”अगर मेरी प्रजा में से कोई भी ऐसा झूठ बोले जो मैं मान जाऊँ तो अपना आधा राज्य हम उसको दे देंगे।”
एक चरवाहा महल में आया और बोला:
”महाराज की जय हो! मेरे पिता के पास एक गदा था। वह उसके द्वारा तारे उलट-पलट करते थे।”
”हो सकता है।” – महाराज ने कहा – ”और मेरे दादाजी अपना हुक़्क़ा सूर्य से जलाते थे।”
चरवाहा वहां से ख़ाली हाथ चला गया।
एक दिन एक दर्ज़ी महाराज के पास आया और बोला:
”माफ़ कीजिए हुज़ूर! मैं पहले आनेवाला था लेकिन मुझे देर हो गई। कल मूसलादार बारिश हुई, बिजली चमकी और आसमान फट गया। मैं आसमान को सीने के लिए गया था।”
”तुमने अच्छा किया” – महाराज ने कहा – ”लेकिन अच्छे से नहीं सीया। आज सुबह फिर थोड़ी सी बारिश आ गयी।‘’
दर्ज़ी भी वहां से चला गया।
दिन एक बोरा बग़ल में दबाए एक ग़रीब किसान भी महाराज के पास पहुंचा।
”तुमको क्या चाहिए?”- महाराज ने पूछा।
”आपने मुझसे एक बोरा सोना उधार लिया था। कृपया क़र्ज़ चुकाइए!”
”एक बोरा सोना? – महाराज ने हैरान होकर पूछा – ”तुम झूठ बोल रहे हो!”
”अगर झूठ बोल रहा हूँ तो आधा राज्य मुझे दीजिए!”
”नहीं, नहीं तुम सच बोल रहे हो!”
”तो एक बोरा सोना दीजिए!”
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होवहान्नेस थुमान्यान
होवहान्नेस थुमान्यान (19 फरवरी, 1869 – 23 मार्च, 1923) एक अर्मेनियाई कवि, लेखक, अनुवादक, साहित्यकार और सार्वजनिक कार्यकर्ता थे। उन्हें आर्मेनिया का राष्ट्रीय कवि माना जाता है। थुमान्यान ने कविताएँ, यात्राएँ, गाथागीत, उपन्यास, दंतकथाएँ, आलोचनात्मक और पत्रकारीय लेख लिखे। उनका काम ज्यादातर यथार्थवादी रूप में लिखा गया था, जो अक्सर अपने समय के रोजमर्रा के जीवन पर केंद्रित होता था। लोरी क्षेत्र के ऐतिहासिक गाँव डसेग़ में जन्मे, कम उम्र में थुमान्यान तिफ़्लिस चले गए, जो 19 वीं और 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में रूसी साम्राज्य के तहत अर्मेनियाई संस्कृति का केंद्र था। वह जल्द ही अपने सरल लेकिन बहुत काव्यात्मक कार्यों के लिए व्यापक अर्मेनियाई समाज के लिए जाना जाने लगा। कई फिल्मों और एनिमेटेड फिल्मों को थुमान्यान की कृतियों से रूपांतरित किया गया है। दो काम: आलेखसंदर स्पैनडीआरयान द्वारा ”अल्मास्ट” और आर्मेन तिगरान्यान (1930) द्वारा ”अनुष” (1912), उनके कार्यों के आधार पर लिखे गए थे।