
ऑस्ट्रेलिया की भारतीय साहित्य और कला सोसाइटी (ILASA) ने 9 अगस्त 2025 को भारत के स्वतंत्रता दिवस को एक अनूठे थीम के साथ मनाया- “आज़ादी के रंग, कविताओं के संग”।कार्यक्रम की शुरुआत “भूमि की स्वीकृति” के साथ हुई, इसके बाद रेखा राजवंशी, काउंसलर मोनिंदर सिंह, चार्ल्स थॉमसन, डॉ. शैलजा चतुर्वेदी और शंभुनाथ तिवारी द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया। इसके बाद विदुला मुगारकर द्वारा सरस्वती वंदना और रेखा राजवंशी द्वारा स्वागत भाषण दिया गया। रेखा राजवंशी की कविता “भारत के झंडे में लिपटी अनगिन यादें आईं हैं” भी सबने पसंद की।
मेजबान तरुण मालवीय और गरिमा मालवीय ने कार्यक्रम की अवधारणा प्रस्तुत की और कवियों को अपनी रचनाएँ साझा करने के लिए आमंत्रित किया। मातृभूमि भारत के लिए और उसके बारे में कई खूबसूरत पंक्तियाँ सुनी गईं। प्रो. आर. पी. माथुर द्वारा गाई गई “माँ भारती” ऐसी ही एक कविता थी। सचिन नरिंदर नय्यर और उनकी टीम (भक्ति संगम समूह) द्वारा प्रस्तुत देशभक्ति गीत और चाय व नाश्ते ने ठंडी दोपहर में गर्मजोशी जोड़ी। ILASA की विस्तारित टीम ने पर्दे के पीछे सजावट, जलपान व्यवस्था और अन्य रसद के लिए कड़ी मेहनत की। धन्यवाद नोट और राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ, जिसमें सभी को स्वतंत्रता दिवस और रक्षा बंधन की शुभकामनाएँ दी गईं।
उल्लेखनीय प्रतिभागियों में प्रो. आर. पी. माथुर, देव पासी, हरमोहन वालिया, रेखा राजवंशी, विनयशील चतुर्वेदी, डॉ. शैलजा चतुर्वेदी, मृणाल शर्मा, ओमिश प्रूथी, कुलदीप यादव, शिशिरेंदु झा, ऋजु भार्गव और इंगिता चढ्ढा शामिल थे। भारत की अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्राध्यापक शंभुनाथ तिवारी ने कार्यक्रम की प्रशंसा की तथा काव्य पाठ भी किया। वैश्विक परिवार के विनयशील चतुर्वेदी का काव्यपाठ भी प्रशंसनीय था।
कुल मिलाकर कार्यक्रम रोचक रहा और युवा पीढ़ी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की सबने प्रशंसा की।


