
ऑक्सफ़र्ड की ऐतिहासिक ब्लैकवेल बुकशॉप में

अलका सिन्हा
ऑक्सफ़र्ड की ऐतिहासिक ब्लैकवेल बुकशॉप में प्रवेश करते ही जो पुस्तक सबसे पहले मेरी आंखों में उतरी, वह थी बानू मुश्ताक की 12 कहानियों का संग्रह ‘हार्ट लैंप’ जिसे दीप भास्थी के संवेदनशील अनुवाद ने विश्वपटल पर पहुंचाया और यह कृति इंटरनेशनल बुकर प्राइज से सम्मानित हुई।
यह साक्षात्कार हुआ उस ब्लैकवेल बुकशॉप में जो वर्ष 1879 में 12 फुट स्क्वायर कमरे में प्रारंभ हुई थी और आज त्रिनिटी कॉलेज के बगीचे के नीचे फैला जिसका भूमिगत नॉरिंगटन रूम गिनीज़ रिकॉर्ड में दर्ज, दुनिया का सबसे विशाल पुस्तक-कक्ष है, जहां 5 किलोमीटर लंबी शेल्फ़ों पर सजी हजारों पुस्तकें पाठकों को आमंत्रित करती हैं…
दुनिया भर की पुस्तकों के बीच भारतीय साहित्य का यह स्थान देख अत्यंत सुखद लगा।