श्री कृष्ण की विश्व में प्रासंगिकता

डॉ शिप्रा शिल्पी 

कान्हा संस्कार है, आचार है, व्यवहार है।

अन्याय का प्रतिकार है और प्रेम का व्यवहार है।

कर्म का सिद्धांत है, जीवन का आधार है।

मौन- मुखर हर स्थिति- परिस्थिति में जीवन का सार है।

आज के आधुनिक समय में श्री कृष्ण केवल भारतीय संस्कृति या धर्म तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उनके विचार और शिक्षाएं पूरे विश्व में मानवता के लिए प्रेरणा हैं।

भगवद गीता, जो श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को युद्धभूमि में दी गई थी, आज भी संपूर्ण मानव सभ्यता के लिए दिशा-निर्देशक है। इसे अनेक भाषाओं में अनुवाद किया गया है और महात्मा गांधी, मार्टिन लूथर किंग जूनियर, एल्डस हक्सले जैसे वैश्विक हस्तियों ने अपने जीवन में गीता से प्रेरणा ली।

श्रीकृष्ण का दर्शन ‘कर्मयोग’ (कर्तव्य पालन) पर आधारित है—वे सिखाते हैं कि मनुष्य को फल की अपेक्षा किए बिना कर्म करना चाहिए। यह सिद्धांत आज की व्यस्त और तनावपूर्ण दुनिया में मानसिक शांति, लचीलापन और सफलता के लिए अत्यंत उपयोगी है।

योग और ध्यान, जिन्हें श्रीकृष्ण ने अपने उपदेशों में महत्व दिया, आज पूरी दुनिया में अपनाया जा रहा है, जिससे लोगों को मानसिक शांति और संतुलन मिलता है।

भक्ति आंदोलन (devotional movement) के माध्यम से प्रेम, भक्ति और सेवा के संदेश ने जाति, धर्म, नस्ल के भेद को मिटाने की प्रेरणा दी। यह संदेश आज भी धार्मिक सहिष्णुता और वैश्विक एकता के लिए अति महत्वपूर्ण है।

श्रीकृष्ण ने अपने जीवन से महिला सशक्तिकरण, न्याय, अहिंसा, पशु अधिकार (cowherder होने के कारण) जैसे विषयों पर भी सकारात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।

आध्यात्मिक जीवन के साथ-साथ प्रबंधन, नेतृत्व (leadership) और निर्णय-क्षमता के क्षेत्र में भी श्रीकृष्ण के विचार आज की कॉर्पोरेट और सामाजिक दुनिया में अत्यधिक प्रासंगिक हैं।

 श्रीकृष्ण का जीवन और उनकी शिक्षा विश्वभर में आज भी हर व्यक्ति के लिए प्रासंगिक है—व्यक्तिगत विकास से लेकर वैश्विक शांति, सामाजिक समरसता, और मानवता की सेवा तक। उनके संदेश समय, संस्कृति और परिस्थितियों से परे हैं और भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी अमूल्य राह दिखाते हैं।

बाके बिहारी लाल की जय

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