प्राची मिश्रा

***

आम आदमी अमन चाहता है

न कलह चाहता है
न दमन चाहता है
न सत्ता चाहता है
न चमन चाहता है
पिस जाता है फिर
भी सियासत के पाटों में
एक आम आदमी तो
बस अमन चाहता है

बच्चों के कंधों पर
किताबों का बोझ चाहता है
घर लौटकर थकान से
टूटना रोज़ चाहता है
रहता है दूर वो
सियासत की चालबाजी से
कुछ कम ही सही पर
गुज़ारा सुकूं से चाहता है
एक आम आदमी तो
बस अमन चाहता है

नहीं दरकार उस
मंदिर या मस्ज़िद की
धर्म इंसानियत का
वो बेहतर जानता है
रोटी की दौड़ में
भागता दिन रात वो
चौपालों पर ठहाके हँसी के चाहता है
एक आम आदमी
तो बस अमन चाहता है

देश की रगों में दौड़ता लहू
जैसा वो आम आदमी
अलग रंग,रूप,वेश,भाषा में भी
एक जैसा वो आम आदमी
दिल में तिरंगा सम्भाले हुए
वो आबाद हिंदोस्तान चाहता है
एक आम आदमी
तो बस अमन चाहता है।
★★★

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate This Website »