पहला संपादकीय

डॉ. शैलजा सक्सेना, कैनेडा

वैश्विक हिंदी परिवार और इसकी वेबसाइट से जुड़े सभी हिंदी प्रेमियों को सादर प्रणाम!

आज इस वेबसाइट पर यह मेरा पहला संपादकीय!

इस बेवसाइट की योजना और निर्माण में निकट से जुड़े रहने का मुझे सुअवसर मिला है। आदरणीय अनिल जोशी जी ने वैश्विक हिंदी परिवार की संकल्पना और इसका प्रारंभ कोरोना के समय किया। तब से लेकर अब तक कई सौ लेखक और हिंदी प्रेमी इस मंच से जुड़ चुके हैं। जबसे यह परिवार बना है तब से लगातार प्रति रविवार इस मंच से महत्वपूर्ण कार्यक्रम होते रहे हैं। पहले डॉ. जवाहर कर्नावट जी, फिर एक लंबे समय तक आदरणीया दिव्या माथुर जी और अब कुछ महीनों से सुनीता पाहूजा जी ने रविवारीय कार्यक्रमों के संयोजन का उत्तरदायित्व संभाला हुआ है जिसमें दुनिया भर के हिंदी प्रेमी और अधिकारी जुड़ते हैं।

अनिल जोशी जी की दूरदर्शिता और लगन का परिणाम था कि पिछले वर्ष अगस्त १८ को इसकी वेबसाइट का प्रारंभ हुआ। इस वेबसाइट का उद्देश्य दुनिया के अधिक से अधिक हिंदी लेखकों को जोड़ना है। इस वेबसाइट में पहली बार देशों के आधार पर हमने लेखकों को रखा ताकि शोधार्थियों और जिज्ञासुओं को हर देश के लेखकों से जुड़ने का अवसर मिले। इस वेबसाइट पर विदेशी मूल के हिंदी लेखकों की रचनाओं, अनुवाद, हिंदी की वैश्विक गतिविधियों की रिपोर्ट के साथ अनेक भाषाओं के शब्दकोश भी हैं। वैश्विक हिंदी परिवार की गतिविधियों का एक अन्य महत्वपूर्ण आयाम हिंदी शिक्षण है। पिछले अनेक महीनों से जापान से डॉ. वेदप्रकाश जी के संयोजन में विदेश में हिंदी पढ़ाने वाले अनेक प्राध्यापक विश्व के अनेक बच्चों को ऑन लाइन हिंदी और डॉ. अशोक कुमार बत्रा जी व्याकरण पढ़ा रहे हैं।

हिंदी साहित्य और हिंदी भाषा के इतने गढ़ पूरी दुनिया में होंगे, इसकी जानकारी हमें कोरोना के समय किए गए वेबिनार और फ़ेसबुक कार्यक्रमों से ही मिली। इस जानकारी ने एक बृहत साझेदारी बनाई और हिंदी-प्रसार के कामों में लगे प्रवासियों को नया विश्वास दिया और प्रवासी साहित्यकारों को परस्पर जोड़ा। भारतीय लेखकों और विद्वानों के संवाद की यह नई ज्ञानगंगा बह रही है जिसके अमृत स्नान से हर मन हिंदी भाषा और साहित्य की ज्योति से आलोकित हो रहा है।

इस वेबसाइट के काम में अनेक लोग जुटे हैं। अनीता वर्मा जी के संपादन में अनेक विशेषांक भी निकाले गए हैं जिनमें होली, बुद्धपूर्णिमा, जन्माष्टमी, स्वतंत्रता दिवस आदि विशेषांक बहुत अधिक पढ़े गये हैं। अनीता जी की लगातार मेहनत इस वेबसाइट को जीवंत बनाये हुए है। इस परिवार की एक योजना पॉडकास्ट और वीडियो आदि की है जिसमें वरिष्ठ लेखिका अलका सिन्हा जी अपना समय और विशेषज्ञता दे रही हैं। अनेक ब्लॉग लेखक भी इस वेबसाइट से जुड़ रहे हैं।

हमारा उद्देश्य यही है कि आपको हर देश से नई सामग्री पढ़ने को मिले और आप उनके जीवन और समस्याओं को निकट से देख सकें। हमारी ज़मीनी सच्चाइयाँ, नियम-कानून, स्थितियाँ अलग-अलग हैं पर मानवीय संवेदना एक है, मूल्य एक है और हर मनुष्य के लिए सुख का सपना भी एक ही है। हम सब अलग-अलग भाषाओं में उसी वंचित मनुष्य का दुख लिखने की चेष्टा कर रहे हैं, अनेक लिपियों में हर मनुष्य के सुखी होने की आशा का गान गा रहे हैं।

आशा है हमारे इस गान और लेखन में आप सब भी अपना स्वर मिलायेंगे और अपनी प्रकाशित या अप्रकाशित रचनायें इस वेबसाइट में प्रकाशन के लिए भेजेंगे।

आप सब के जीवन में ऊर्जा और लेखनी में निर्भीकता की ऊष्मा बनी रहे, यही शुभकामना है।

१५ दिन में फिर मिलते हैं..

सादर- शैलजा

(डॉ. शैलजा सक्सेना, कैनेडा)- सितंबर १, २०२५

2 thoughts on “1 सितंबर 2025 – (संपादकीय)”
  1. पहले संपादकीय के लिए बधाई । बहुत ही सटीक, सारगर्भित संपादकीय ।

  2. हिंदी का वैश्विक मंच प्रवासी हिंदी रचनाकारों के लिए एक अनुपम उपलब्धि है | अपने सारगर्भित सम्पादकीय द्वारा डॉक्टर शैलजा जी ने वैश्विक मंच के संबंध में संक्षेप में जो जानकारी दी है, उससे ने पाठक लाभान्वित होंगे | बधाई शैलजा !

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