हिंदी की वैश्विक वेबसाइट vaishvikhindi.com का लोकार्पण



वैश्विक हिन्दी परिवार की वेबसाइट वैश्विकहिन्दीडॉटकॉम का शुभारंभ
प्रौद्योगिकी के आधुनिक युग में वेबसाइट सहज सुलभ साधन है। इसके मद्देनजर वैश्विक हिन्दी परिवार की वेबसाइट vaishvikhindi.com का शुभारंभ भाषाई मील का पत्थर है जिसका विधिवत शुभारंभ प्रवासी भवन नई दिल्ली से वैश्विक स्तर पर 50 से अधिक देशों की हिन्दी की हस्तियों के जुड़ाव के साथ हुआ। अध्यक्षीय उद्बोधन में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव श्री अतुल कोठारी ने इसे भाषायी प्रचार प्रसार हेतु वैश्विक हिन्दी की कोने-कोने तक पहुँच और ज्ञानार्जन का सहज सुलभ विस्तार बताया तथा भारत भारतीयता के त्वरित विकास का आहवाहन किया। विशेष अतिथि, विश्व हिन्दी सचिवालय मॉरीशस की महासचिव डॉ. माधुरी रामधारी ने बेबसाइट के समूह संपादक श्री अनिल जोशी के अहर्निश नेतृत्व की सराहना के साथ बधाई देते हुए इसे हिन्दी की बहुमुखी प्रगति एवं समय की मांग को पूरा करने एवं नई दिशायें निर्धारित करने हेतु ऐतिहासिक कदम बताया। मुख्य अतिथि एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने इस उपलब्धि को भाषायी वैश्विक ग्राम में हिन्दी के 140 करोड़ लोगों के आनंद की धमाकेदार उपस्थिति की संज्ञा दी। सुप्रसिद्ध साहित्यकार ममता कालिया ने मनःसंतोष सहित इस वेबसाइट को हिन्दी नए युग का सूत्रपात बताया और कहा कि जहां थोड़ी सी हिन्दी जाती है वहाँ भारत चला जाता है।
पूर्व केन्द्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने अपने संदेश में वेबसाइट के लिए अथक प्रयास करने वाली टीम को बधाई देते हुए ठोस कदम की सराहना की। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री रवींद्र जायसवाल ने सामूहिक प्रयास की प्रशंसा करते हुए वैश्विक हिन्दी हेतु इस गैर सरकारी उपक्रम को एक आदर्श स्थापित करना बताया। संकल्प संस्था के अध्यक्ष श्री संतोष तनेजा ने भाषाई समृद्धि का रास्ता करार दिया। अन्तराष्ट्रीय सहयोग परिषद के वरिष्ठ पदाधिकारी एम्बेसडर वीरेंद्र गुप्ता और श्री श्याम परांडे द्वारा हार्दिक शुभाशंसा दी गई। कनाडा से साहित्यकार इंदिरा वडेरा और नाटिंघम से कवयित्री जय वर्मा ने हर संभव सहयोग का आश्वासन सहित शुभ कामना दी। वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने भविष्य में भाषाई खतरे को बचाने हेतु इस वेबसाइट को संतोषप्रद शुरुआत बताया। पचास से अधिक देशों से आभासी रूप से जुड़े विद्वान विदुषियों के अलावा कार्यक्रम में पधारीं ब्रिटेन से दिव्या माथुर, जापान से रमा शर्मा, श्रीलंका से अतिला कोतलावल और रूस से श्वेता सिंह आदि का सम्मान किया गया।
आरंभ में डॉ जयशंकर यादव द्वारा सभी का आत्मीयता से स्वागत किया गया एवं रेल मंत्रालय के राजभाषा निदेशक डॉ. बरुन कुमार ने इस हाइब्रिड कार्यक्रम का बखूबी संचालन संभाला। वेबसाइट के हिन्दी शिक्षण प्रभाग के प्रभारी जापान के प्रो.वेद प्रकाश ने नई वैश्विक शिक्षण पद्धति की सुविधा की जानकारी दी। हालैंड से तकनीकी संपादक श्री मनीष पाण्डेय ने विविध तकनीकी पक्ष के गठन को उजागर किया। बेबसाइट की संपादक कनाडा से डॉ.शैलेजा सक्सेना द्वारा पूरी टीम के परिचय और योगदान सहित महाद्वीपवार 74 प्रतिनिधियों की फ़ोटो सहित सारगर्भित प्रस्तुति दी गई। वैश्विक हिन्दी परिवार के अध्यक्ष एवं समूह संपादक श्री अनिल जोशी ने पूरी टीम की सराहना करते हुए प्रकल्प की पृष्ठभूमि के साथ इसे अनूठी वैश्विक वेबसाइट का प्रथम चरण बताया और 300 से अधिक वैश्विक लेखकों और अन्य सुविधाओं आदि को शीघ्र उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। उन्होंने सभी के सहयोग के प्रति कृतज्ञता प्रकट की।
कार्यक्रम में सभी महाद्वीपों के अनेक देशों के असंख्य विद्वान-विदुषी और भाषा प्रेमी और शोधार्थी आदि हर्षोल्लास से जुड़े थे। जिनमें अमेरिका से आचार्य सुरेन्द्र गंभीर; कनाडा से आशा बर्मन; ब्रिटेन से अरुणा अजितसरिया, शैल अग्रवाल; आयरलैंड से आशीष त्रिपाठी; यूक्रेन से यूरी बोत्विंकिन; चीन से विवेक मणि त्रिपाठी; रूस से प्रगति टिपणीस; थाइलैंड से शिखा रस्तोगी; जापान से पद्मश्री से सम्मानित प्रो. तोमियों मिजोकामी; सिंगापुर से संध्या सिंह, आराधना श्रीवास्तव; आस्ट्रेलिया से रेखा राजवंशी; स्पेन से पूजा अनिल; नेपाल से रेखा; अरब देश से अजीत झा, मौरिशस से कल्पना लालजी; विदेश से अन्य गणमान्य चैतन्य प्रकाश, थिदरात, अलका धनपत, मीरा सिंह, ऋषि कुमार, बंदिता सिन्हा, भुवनेश्वरी पांडे प्रमुख थे। भारत से डॉ. नारायण कुमार और जगन्नाथन जी के अतिरिक्त डॉ संतोष मिश्र, गोपाल अरोड़ा, जगदीश व्योम, बीना शर्मा, अरविंद पथिक, रणविजय राव, सत्येंद्र सिंह, शंकर परिहार, राज रंजन श्रीवास्तव, सुनील विज, रश्मि वार्ष्णेय, वेंकटेश्वर राव, विजय कुमार, महादेव आदि एवं अनेक विश्वविद्यालयों के प्राध्यापक और लगभग सभी राज्यों से भाषा सेवी जुड़े थे। अंत में पूर्व राजनयिक डॉ. सुनीता पाहुजा द्वारा आत्मीय आभार प्रकट किया गया। यह कार्यक्रम “वैश्विक हिन्दी परिवार, शीर्षक से यू ट्यूब पर भी उपलब्ध है।
सफल वेबसाइट आयोजन के लिए बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ ।
अति उत्तम…
सर्व-श्रेष्ठम….
हिंदी भाषा और साहित्य के संवर्द्धन और विकास में यह वेबसाइट मील का पत्थर साबित होगा।
सादर नमस्कार,
श्रीमान हिंदी की प्रगति और समृद्धि देखकर मेरा मन अत्यधिक प्रफुल्लित होता है क्योंकि मैं एक हिंदी शिक्षक हूं और मैं अधिकतर इस बात को महसूस किया है की हिंदी की अपेक्षा लोग अंग्रेजी बोलने वालों को ज्यादा बुद्धिमान और विद्वान समझते हैं जबकि विधाता का परिचायक कभी कोई भाषा नहीं रही भाषा तो हमेशा से एक माध्यम रही है किंतु सामाजिक परिवेश में यह बात प्रतिष्ठित करना इतना आसान नहीं है पुन्हें आपको बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं।
सादर नमस्कार,
श्रीमान हिंदी की प्रगति और समृद्धि देखकर मेरा मन अत्यधिक प्रफुल्लित होता है क्योंकि मैं एक हिंदी शिक्षक हूं और मैंने अधिकतर इस बात को देखा ही नहीं बल्कि महसूस किया है की हिंदी की अपेक्षा अंग्रेजी बोलने वालों को समाज ज्यादा बुद्धिमान और विद्वान् समझते हैं जबकि का विद्वता का परिचायक कभी कोई भाषा नहीं रही भाषा तो हमेशा से एक माध्यम रही है किंतु सामाजिक परिवेश में यह बात प्रतिष्ठित करना इतना आसान नहीं है खैर आपको बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं।