मेरी कविताएँ

मेरी कविताएँ
मेरे लिए मात्र
एक कविता नहीं है
वो एक प्रकिया है
जो निरंतर
मेरे मस्तिष्क में चलती है
वह मेरे जीवित होने को
प्रमाणित करती हैं

मेरी कविताएँ एक सोच है,
जो मुझे कभी भी
कहीं भी ले जाती हैं,
बीते हुए कल में
आने वाले भविष्य में
देश में, परदेस में
हर उस जगह
जहाँ की मिट्टी को
मेरे पाँव शायद
कभी छू भी न पाये,

मेरी कविताएँ मुझे
शोक के अंधकार से निकाल,
ख़ुशी की भोर तक
ले जाती है,
वह मेरे लिए एक
औषधि है जो
मेरे घायल मन के
घावों पर
अपने शब्दों का
मरहम लगा कर
उसे धीरे-धीरे
सहलाती हैं

मेरी कविताएँ
समुद्र की उन
लहरों की तरह है
जो ख़ुद खारी है
पर फिर भी
किनारे की सूखी
रेत के पास जा,
उसकी प्यास
बुझाती हैं,

मेरी कविताएँ
मुझे मुझ से
मिलवाती है
मेरे अस्तित्व की
पहचान कराती है
मेरी कविताएँ
मेरे विचारों
मेरे व्यक्तित्व
मेरे कृतित्व को
मेरे संबंधों में
दिखाती हैं

मेरी कविताएँ,
मुझे मेरे अंदर
और बाहर की
दुनिया से
आत्मसात् करवाती हैं
मुझे मेरे होने की
अहसास करवाती हैं
और करवाती रहेंगी
तब भी जब
मैं ख़ामोश हो जाऊँगी
मेरी कविताएँ बोलेंगी
और
मेरे जीवित होने का
एहसास कराती रहेंगी।

*****

-ऋतु शर्मा

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