नीदरलैंड में दुर्गा पूजा

भारत में आजकल रामलीला और दुर्गा पूजा के पंडाल जगह-जगह देखने को मिल रहे हैं। गरबा और डांडिया की खनक दूर तक सुनाई देती है। सारा भारत उत्सवमय हो गया है। भारत से हज़ारों मील दूर यूरोप में भी दुर्गा पूजा की तैयारी देखते ही बनती हैं। पिछले एक दशक से यहाँ पर भारतीय प्रवासियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। जिस कारण यहाँ पर भारतीय संस्कृति व तीज-त्यौहार भी पारंगत ढंग से मनाएँ जाते हैं। फिर वह होली, दिवाली, ईद, दुर्गा पूजा, गणेश उत्सव या बैसाखी हो सभी त्योहार बड़े हर्ष और उल्लास के साथ यहाँ मनाये जाते हैं। आजकल पूरे नीदरलैंड के हर एक क्षेत्र में जहाँ भारतीय बहुलता में रहते हैं। वहाँ दुर्गा पूजा और डांडिया के गीतों के स्वर गूंज रहे हैं। वैसे तो यहाँ पर ज़्यादातर कार्यक्रम सप्ताहांत में ही रखे जाते हैं। किन्तु नवरात्र के दस दिनों में यहाँ के मन्दिरों में सूरीनामी भारतीय पूरे दस दिन तक रामायण पाठ व दुर्गा पाठ करते हैं। यहाँ के मन्दिरों में हर रविवार को पूजा के बाद भंडारे का आयोजन किया जाता है।

यहाँ के बाज़ारों विशेष रूप से भारतीय दुकानों में नवरात्रि के सामान ख़रीदने वालों का जमावड़ा लग जाता है। गरबा के लिए विशेष चंगिया चोली तो कोई दुर्गा पूजा के लिए विशेष साड़ी, कुर्ता धोती व भारतीय परिधान ख़रीदते नज़र आतें है। आजकल ऑनलाइन ऑर्डर करके भी भारतीय परिधान व सजावटी गहने ख़रीदे जा सकते हैं। त्योहार में घरों की साज सज्जा के लिए बाज़ार में सुंदर-सुंदर तोरण, प्लास्टिक के फूल, दीपक व अन्य सजावट का सामान मिलना शुरू हो जाता है। कुछ डच दुकानों में भी इस तरह का सजावट का सामान आसानी से उपलब्ध हो जाता है ।

दुर्गा पूजा या नवरात्र शुरू होने से लगभग तीन चार माह पहले ही इन उत्सवों को आयोजित करने वाली संस्थाएँ माँ दुर्गा की प्रतिमा के लिए भारत में आवेदन कर देती है। फिर जब मूर्ति यहाँ आ जाती हैं तो उसकी स्थापना बड़े-बड़े हॉल में या सामुदायिक भवन के हॉल में की जाती है। क्योंकि यहाँ बहुत ज़्यादा अग्नि का प्रयोग नहीं कर सकते इसलिए बहुत बड़ा हवन नहीं किया जाता है। जब दुर्गा पूजा दशहरे पर समाप्त हो जाती है तब मूर्तियों को यहाँ  नदी और समुद्र में विसर्जित नहीं किया जाता। उन्हें किसी मंदिर या कहीं सजा कर रख दिया जाता है। दस दिनों तक रामलीला का भी आयोजन किया जाता है और दसवें दिन देनहॉग, रौतरदाम जैसे बड़े शहरों में छोटा सा रावण का पुतला जलाया जाता है।

जहाँ इन उत्सवों का आयोजन किया गया जाता है वहाँ पर बड़ी संख्या में भारतीय परिधानों, भारतीय व्यंजनों व हर तरह की मिठाई व चाट, गोल गप्पें इत्यादि जिसे भारतीयों से ज़्यादा डच लोग मज़े लेकर खाते हैं। इन उत्सवों में भारतीयों के अतिरिक्त यहाँ रहने वाले सूरीनामी भारतीय, डच व अन्य समुदव देशों के निवासी जो यहाँ निवास कर रहे हैं वह भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। यहाँ पढ़ने आए विद्यार्थियों के लिए इस प्रकार के उत्सव उन्हें परदेस में देस का एहसास कराते हैं।

दुर्गा पूजा के साथ ही यहाँ दिवाली उत्सव आरंभ हो जाएँगे। नीदरलैंड में नवंबर माह से यहाँ के उत्सव भी आरंभ हो जाते है। इसलिए अक्टूबर माह से ही पूरे नीदरलैंड में तरह तरह की आकृति वाली जगमगाती लाइट लग जाती हैं। इस तरह से यहाँ दोनों डच और भारतीय उत्सवों का आनन्द एक साथ लिया जा सकता है।

रिपोर्ट – डॉ ऋतु शर्मा ननंन पाँडे,

अध्यक्ष,अंतरराष्ट्रीय हिंदी संगठन नीदरलैंड

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate This Website »