राजभाषा अधिकारी स्नेह मिलन समारोह : रिपोर्ट

दिनाँक 13 सितम्बर 2024 शनिवार को सायंकाल 5:30 बजे प्रवासी भवन में राजभाषा अधिकारी स्नेह मिलने कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न विभाग और प्रान्त में कार्यरत राजभाषा अधिकारियों की उपस्थिति रही। उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम के साथ सुदूर पूर्वोत्तर क्षेत्र में कार्यरत हिन्दी अधिकारियों द्वारा इस मिलन कार्यक्रम में उत्साह देखने को मिला।

श्री विनयशील चतुर्वेदी जी ने कार्यक्रम की औपचारिक शुरूआत आपसी परिचय से किया, जिसमें सभी अधिकारियों एवं उपस्थित अतिथियों ने एक दूसरे से परिचय प्राप्त किया। उन्होनें कहा कि आम जनमानस में राजभाषा की स्थिति और सरकारी कार्यालयों में अधिकारियों द्वारा हिन्दी के प्रयोग के साथ शासकीय स्तर पर हो रहे प्रयास पर एक दिशागामी चिंतन की आवश्यकता है। अन्य अधिकारियों श्री राजीव रंजन कुमार (हिन्दी अधिकारी, पूर्वोत्तर क्षेत्र ईटानगर) ने कहा कि उनके कार्य में जितनी चुनौतियां हैं वह उन्हें उतने बड़े अवसर के तौर पर देखते हैं।

सुश्री नर्मदा कुमारी (राजभाषा अधिकारी, बेंगलुरू) ने हिन्दी को एक ऐसा सूत्र बताया जो सबको जोड़ती हुई चलती है। जबकि श्री श्याम कुमार दास (यूको बैंक, कोलकाता) ने बंगाल में हिन्दी के बारे कार्य सुगमता और सहयोग के साथ वहां की समृद्ध संस्कृति की चर्चा की। श्री अजय कुमार सिंह, (राजभाषा अधिकारी, रेलवे वाराणसी) ने व्यक्तिगत स्तर पर हिन्दी के साथ लोकभाषा के संरक्षण और संवर्धन हेतु किए गए प्रयास को साझा किया।

पंजाब नेशनल बैंक, भोपाल में राजभाषा अधिकारी, श्री देव प्रकाश गुप्ता ने मातृभूमि और मातृभाषा की सेवा को सर्वोपरि बताया। श्री शक्तिवीर सिंह, (हिंदी अधिकरी, गेल) ने सार्वजनिक क्षेत्र में हिन्दी की स्वीकार्यता और श्री शंकर सिंह परिहार (राजभाषा अधिकरी मध्य रेल, पुणे) ने कहा कि विगत 15- 20 वर्षों में हिन्दी की लोकप्रियता जिस स्तर पर देखने को मिल रही है, यह एक सुखद स्थिति है।

डॉ० वरुण कुमार (रेल राजभाषा निदेशक, नई दिल्ली) ने हिन्दी के लिए केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास और उसकी वैश्विक स्वीकार्यता को सराहा और उसे जनता और सरकार के मध्य सेतु जैसा बताया।

अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में श्री जे पी अग्रवाल ने हिन्दी के प्रति मौजूदा सरकार की नीति और उसकी प्रसार और सुगमता हेतु किए जा रहे उपायों के साथ हिन्दी की सरलता, सहजता, वैज्ञानिकता और बोधगम्यता को हिन्दी की सबसे बड़ी खूबी बताई जिसके कारण हिन्दी लिखना, पढ़ना और समझना सुलभ हो पाता है। अपने स्थानांतरित जीवन और उसमें हिन्दी की अनेक बोलियों और उनके क्षेत्रीय प्रभाव को हिन्दी की बहुरंगी सुगन्ध कहा। इसके अतिरिक्त अन्य कई क्षेत्र और उपक्रम से आये हुए लोगों द्वारा हिन्दी की सराहना की गई। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ लेखिका व कवयित्री सुश्री अलका सिन्हा जी ने और आगत अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन श्री मनोज श्रीवास्तव ‘अनाम’ ने किया।

बहुत अच्छा आयोजन रहा था ऐसा मुझे उन लोगों ने बताया जो पहुंच पाए थे। उस दिन दिल्ली में इतना ट्रैफिक जाम था और वर्षा के कारण जगह-जगह जल भराव था कि कोई वाहन उधर जाने को तैयार ही नहीं हो रहा था।
आपका यह प्रयास बहुत प्रेरक एवं हिंदी के प्रति समर्पण भाव का है।
बधाई एवं साधुवाद।