हिन्दी के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन : उपलब्धियाँ और चुनौतियाँ

वैश्विक हिन्दी परिवार द्वारा सहयोगी संस्थाओं के साथ 29 सितम्बर 2024 को ‘हिन्दी के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन : उपलब्धियाँ और चुनौतियाँ’ विषय पर विमर्श हुआ। इसकी गरिमामयी अध्यक्षता करते हुए पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री एवं सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ॰ रमेश पोखरियाल निशंक जी ने सम्मेलनों के विधिवत आयोजन हेतु सभी का अभिनंदन किया और कहा कि विश्व में हिन्दी के साथ लगाव, जुड़ाव और फैलाव में बढ़ाव हो रहा है। इसमें प्रवासी भारतीयों की भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। हिन्दी के प्रगामी प्रयोग को बढ़ावा देने की छटपटाहट, अंतर्निहित संकल्प शक्ति का द्योतक है। वैश्विक हिन्दी हेतु सामूहिक सत प्रयत्न एवं निर्मल मन से कार्य करने की निहायत जरूरत है। उन्होंने हिन्दी प्रतिनिधिमंडल के साथ माननीय प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री से मुलाक़ात करने का भी आश्वासन दिया। उनके कार्यकाल में आई— नई शिक्षा नीति 2020, में हिन्दी और भारतीय भाषाओं के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। डॉ॰ निशंक जी ने देहरादून और हरिद्वार के सन्निकट थानों में नवनिर्मित लेखक ग्राम, में आगामी 25 से 27 अक्तूबर 2024 को आयोजित अंतरराष्ट्रीय साहित्य, संस्कृति, कला और संगीत महोत्सव, में भाग लेने हेतु आदर सहित खुला निमंत्रण भी दिया।

विशिष्ट अतिथि के रूप मेँ अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद के महासचिव श्री श्याम परांडे ने अपनी ओजपूर्ण वाणी में नई दिल्ली में आगामी 10 -12 जनवरी 2025 को आयोजित किए जाने वाले विराट ‘अंतरराष्ट्रीय हिन्दी और भारतीय भाषा सम्मेलन, की सहर्ष रूपरेखा बताई और डायस्पोरा की सुदृढ़ता हेतु ध्यान खींचा।

वैश्विक हिन्दी परिवार के अध्यक्ष श्री अनिल जोशी ने आदरणीय निशंक जी की दीर्घकालिक साधना और सक्रियता का समादर करते हुए कृतज्ञता प्रकट की और आयोजकों का उत्साहवर्धन किया। उन्होंने 10-12 जनवरी को होने वाले अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन के लिए श्याम जी की बात का समर्थन करते देश-विदेश से भाषा एवं साहित्यकर्मियों को इस सम्मलेन में भाग लेने हेतु निमंत्रण दिया। उन्होंने गत सम्मेलनों के निकष के मद्देनजर स्थायी संस्थागत पद्धति कायम करने की भी सदिच्छा प्रकट की।

ऑक्सफोर्ड बिजनेश कालेज लंदन के प्रबंध निदेशक और सुप्रसिद्ध प्रवासी साहित्यकार डॉ॰ पदमेश गुप्त ने “वातायान, स्वैच्छिक संस्था के तत्वावधान में 13 -15 अक्तूबर 2023 को लंदन में आयोजित “भारोपीय हिन्दी महोत्सव, के निष्कर्षों और उपलब्धियों की जानकारी दी जिसके शिक्षण आदि संबंधी कई ठोस परिणाम आए जो विश्व रंग भोपाल एव सिंगापुर आदि सम्मेलनों में सहज ही कार्यान्वित और दृष्टिगत हुए।

आरम्भ में डॉ॰ जयशंकर यादव द्वारा आत्मीयता से आगत और अभ्यागत का स्वागत किया गया। हिन्दी राइटर्स गिल्ड कनाडा की सह संस्थापक और वैश्विक परिवार की वेबसाइट की संपादक तथा सुप्रसिद्ध प्रवासी साहित्यकार डॉ॰ शैलेजा सक्सेना द्वारा शालीनता से संचालन किया गया। उन्होंने वक्ताओं का संक्षिप्त परिचय देते हुए आदर सहित आमंत्रित किया।

डॉ॰ जवाहर कर्नावट ने 2019 से शुरू प्रति वर्ष के “विश्व रंग, सम्मेलनों की उपलब्धियों की क्रमबद्ध संक्षिप्त जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सम्मेलनों से सबक लेकर रवीद्र नाथ टैगोर विश्वविद्यालय भोपाल के परिसर में कुलाधिपति डॉ॰ संतोष चौबे के मार्गदर्शन में शिक्षण, लेखन, प्रकाशन, अनुवाद, कला, संस्कृति, और प्रवासी साहित्य आदि सात नए स्कन्ध स्थापित होकर सक्रिय हैं। गत 7-9 अगस्त 2024 को मॉरीशस में विश्व हिन्दी सचिवालय के सहयोग से 30 सत्रों में सम्मेलन हुआ। इसके उदघाटन और समापन सत्र में मॉरीशस के महामहिम राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री भी पधारे थे। विदेशी धरती पर भारत की प्राइवेट संस्था द्वारा यह पहला विराट सम्मेलन था।

विश्व हिन्दी सम्मान से सम्मानित सिंगापुर नेशनल यूनिवर्सिटी की प्रो॰ संध्या सिंह ने सचित्र पावरप्वाइंट के माध्यम से गत 13-15 सितम्बर 2024 को सिंगापुर में आयोजित प्रथम “अंतराष्ट्रीय दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्रीय सम्मेलन, की उपलब्धियाँ साझा कीं। उन्होंने बताया कि सम्मेलन की तैयारी हेतु यद्यपि तीन हफ्ते का ही समय मिला किन्तु स्थानीय संस्थाओं के सहयोग से देश-विदेश से 300 से अधिक पंजीकरण हुए एवं उत्साह के साथ समयबद्ध प्रतिभागिता रही। यहाँ लगभग 10 हजार से अधिक हिन्दी विद्यार्थी हैं जो संभवतः सर्वाधिक हैं। शिक्षण, व्यापार मीडिया, तकनीकी, कृत्रिम मेधा आदि विषयों पर मंथन हुआ। भारत से अनेक विद्वान विदुषियों ने शिरकत की। दूतावास का भरपूर सहयोग मिला। “विश्व हिन्दी शिखर सम्मान, की शुरुआत हुई। इससे डॉ॰ संतोष चौबे और सुश्री दिव्या माथुर को सम्मानित किया गया। इस क्रम में अगला विश्व हिन्दी सम्मेलन कराने हेतु प्रस्ताव भेजा जाएगा।

वक्ता के रूप में लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग की हिन्दी -संस्कृति अताशे डॉ॰ नंदिता साहू ने कहा कि वातायन द्वारा 2023 में आयोजित सम्मेलन से सीख लेकर 11 सितम्बर 2024 को एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन आयोजित हुआ । इसमें विदेश मंत्रालय के साथ स्थानीय हिन्दी संस्थाओं का सक्रिय सहयोग मिला और हिन्दी का मार्ग प्रशस्त हुआ।
त्रिनिदाद में पूर्व द्वीतीय सचिव श्री शिव निगम ने बताया कि समन्वय में चुनौतियाँ आती हैं किन्तु उसी में से समाधान भी निकलता है। त्रिनिदाद में कम समय में 3-5 सितम्बर 2024 को हाई कमीशन के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन आयोजित हुआ। सरकारी औपचारिकताओं की पूर्ति और तारीख निर्धारण तथा विशेषज्ञों के चयन व आवागमन में चुनौतियाँ आयीं किन्तु सुफल दूरगामी हुआ। अगला विश्व हिन्दी सम्मेलन त्रिनिदाद में कराने का प्रस्ताव भेजा गया है।
पुर्तगाल के लिस्बन से प्रो॰ शिव कुमार सिंह ने आगामी 28-29 नवम्बर 2024 को आयोजित होने वाले हिन्दी सम्मेलन के संबंध में कहा कि केवल हमें किताबी ज्ञान के आधार पर सम्मेलन नहीं करना चाहिए बल्कि संबन्धित देश व स्थान के ठोस धरातल पर जाकर जानना चाहिए। विशेषज्ञ समिति के चयन, पासपोर्ट, वीजा, बीज व्यक्तव्य, विषय और स्मारिका प्रकाशन तथा समन्वय आदि में बहुत सजगता की आवश्यकता होती है। भारत -पुर्तगाल सम्बन्धों के 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं।
इस कार्यक्रम में देश-विदेश से अनेक महत्त्वपूर्ण विद्वानों की भागीदारी रही- भारत से श्री नारायण कुमार, श्री जगन्नाथन जी, विदेश से तोमिओ मिजोकामि (जापान), शिखा रस्तोगी (थाईलैंड), आशा बर्मन (कनाडा), विजय विक्रांत (कनाडा), किरण खन्ना आदि।
समूचा कार्यक्रम विश्व हिन्दी सचिवालय, अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद, केंद्रीय हिन्दी संस्थान,वातायन और भारतीय भाषा मंच के सहयोग से वैश्विक हिन्दी परिवार के अध्यक्ष श्री अनिल जोशी के टीम संयोजन में संचालित हुआ। कार्यक्रम प्रमुख की सजग भूमिका का बखूबी निर्वहन ब्रिटेन की सुप्रसिद्ध प्रवासी साहित्यकार सुश्री दिव्या माथुर द्वारा किया गया जिससे देश विदेश के के भाषा प्रेमियों का ज्ञानर्जन हुआ और अनुभव की आँच पहुंची। मॉरीशस में हिन्दी की पूर्व द्वितीय सचिव डॉ. सुनीता पाहुजा के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। यह कार्यक्रम “वैश्विक हिन्दी परिवार, शीर्षक के अंतर्गत “यू ट्यूब, पर उपलब्ध है।
रिपोर्ट लेखन – डॉ॰ जयशंकर यादव