नीदरलैंड्स के रचनाकार श्री विश्वास दुबे का काव्य संग्रह ‘एहसासों की सिलवटें’ हुआ लोकार्पित

नीदरलैंड्स के प्रवासी रचनाकार विश्वास दुबे की पुस्तक ‘एहसासों की सिलवटें’ का लोकार्पण कथा सभागार, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल में समारोह पूर्वक किया गया।

यह लोकार्पण समारोह विश्व रंग के अंतर्गत वनमाली सृजनपीठ, आईसेक्ट पब्लिकेशन, प्रवासी भारतीय साहित्य एवं संस्कृति शोध केन्द्र, मानविकी एवं उदार कला संकाय, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। उल्लेखनीय है कि ‘एहसासों की सिलवटें’ पुस्तक का आकर्षक कलेवर के साथ प्रकाशन आईसेक्ट पब्लिकेशन, भोपाल द्वारा किया गया है।

सर्वप्रथम अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर एवं माँ शारदा की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर लोकार्पण समारोह का विधिवत शुभारंभ किया।

अतिथियों द्वारा पुस्तक लोकार्पण के पश्चात श्री विश्वास दुबे ने अपने काव्य संग्रह और रचना प्रक्रिया पर विचार रखते हुए कहा कि जिंदगी का सफर जैसे-जैसे आगे बढ़ता जाता है, नए-नए अनुभव होते हैं। नित नए एहसास –कुछ खट्टे, कुछ मीठे, कुछ दर्द भरे, कुछ बेहद सुखद…। जीवन के अनुभव हमारे मानस पर सिलवटों की तरह छाफ छोड़ते जाते हैं। यही अनुभव यही सिलवटें हमारी सोच, हमारे दर्शन को प्रभावित करती है और आकर देती हैं।

जीवन दर्शन गतिशील है और नए अनुभवों और अंतर्दृष्टि के साथ विकसित होता जाता है। अपने अनुभवों, सिलवटें और दार्शनिक रूपरेखाओं पर विचार कर हम अपने स्वयं के विश्वासों और मूल्यों को स्थापित करते हैं, और इन्हीं के बूते हम अपना जीवन जीते हैं, यही हमारे निर्णयों और दुनिया के साथ व्यवहार का मार्गदर्शन करते हैं। यही सिलवटें और इन्हीं एहससों के सहारे हम अपने उद्देश्य को समझते हैं और दूसरों के साथ जुड़ते हैं।

मेरे इस काव्य संग्रह में अनेक एहसासों की सिलवटें हैं– प्रेम की मिठास है, विरह की वेदना है, आशा है, खुशी है, दुःख है, संताप है, संतोष है, हसरतों का अधूरापन और हासिल का सुकून है। इस अवसर पर श्री विश्वास दुबे ने अपनी चुनिंदा रचनाओं का अविस्मरणीय पाठ किया।

टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केन्द्र के निदेशक एवं रंग संवाद पत्रिका के संपादक श्री विनय उपाध्याय ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि विश्व रंग ने साहित्य, कला, संस्कृति की अपनी वैश्विक यात्रा में सरहदों के पार बसे प्रवासी भारतीय रचनाकारों को प्राथमिकता के साथ बड़ी आत्मीयता से हमसफर बनाया हैं। नीदरलैंड्स से विश्वास जी का आना और उनकी पुस्तक ‘एहसासों की सिलवटें’ का लोकार्पण सुरम्य वातावरण में स्थित रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कथा सभागार में होना अपने आप में एक यादगार पल है।

पुस्तक लोकार्पण समारोह में अतिथियों का स्वागत एवं सम्मान मानविकी एवं उदार कला संकाय की अधिष्ठाता डॉ. रुचि मिश्रा तिवारी एवं आईसेक्ट पब्लिकेशन की प्रबंधक सुश्री ज्योति रघुवंशी द्वारा किया गया।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि वरिष्ठ रचनाकार ममता तिवारी जी ने कहा कि विश्वास जी की रचनाओं को पढ़ते हुए मुझे एहसास हुआ कि मैं उन्हें बहुत करीब से जानती हूँ। जीवन के सभी रंग उनकी रचनाओं में मौजूद है। बहुत संजीदगी के साथ उन्होंने अपनी रचनाओं में, प्रेम, करुणा, दया, मानवता, दुःख, बैचेनी के भावों को पिरोया है।

टैगोर अंतरराष्ट्रीय हिंदी केन्द्र के निदेशक डॉ. जवाहर कर्नावट ने हिंदी के वैश्विक परिदृश्य को सबके समक्ष रखते हुए कहा कि विश्वास जी नीदरलैंड्स में अपने रचनाकर्म से हिंदी की अनवरत सेवा कर रहे हैं। वर्तमान में पूरे विश्व में हिंदी का मान बढ़ा है। प्रवासी भारतीय रचनाकारों का इस दिशा में महती योगदान है।

डॉ. संगीता जौहरी, प्रतिकुलपति, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने अपने उद्बोधन में कहा कि विश्व रंग ने पूरे विश्व को एक परिवार के रूप में जोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। विश्वास दुबे जी नीदरलैंड्स से विश्व रंग परिवार के सदस्य हैं। उनकी रचनाएँ हमें पढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं।

पुस्तक लोकार्पण समारोह में मानविकी एवं उदार कला संकाय की अधिष्ठाता डॉ. रुचि मिश्रा तिवारी,  युवा कथाकार एवं वनमाली पत्रिका के संपादक श्री कुणाल सिंह, आईसेक्ट पब्लिकेशन की प्रबंधक सुश्री ज्योति रघुवंशी, युवा कवि श्री मोहन सगोरिया, लघुकथा केन्द्र की निदेशक, श्रीमती कांता राय, डॉ. मौसमी परिहार सहित सभी अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष,प्राध्यापकगण, विद्यार्थियों और साहित्यप्रेमियों ने रचनात्मक भागीदारी की।

कार्यक्रम का सफल संचालन युवा रचनाकार श्रेया शर्मा ने किया। कार्यक्रम का संयोजन संजय सिंह राठौर, सचिव, विश्व रंग सचिवालय द्वारा किया गया।

– संजय सिंह राठौर

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