
भारत और बुल्गारिया : संवाद और संस्कृति की ओर एक कदम
सोफिया विश्वविद्यालय के भारत विद्या विभाग, सेंट क्लिमेंट ओहरीडस्की, सोफिया विश्वविद्यालय और अमृतसर के हिंदू कॉलेज के मध्य एक ऐतिहासिक वेबिनार का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत और बुल्गारिया के छात्रों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना था।
इस वेबिनार का आयोजन डॉ. दीप्ति साहनी (हिंदू कॉलेज) और डॉ. मौना कौशिक (सोफिया विश्वविद्यालय) के संयुक्त प्रयासों से हुआ। यह पहला अवसर था जब इन दो संस्थानों ने एक मंच पर अपने छात्रों को संवाद करने का अवसर दिया।
बुल्गारियाई छात्रों का योगदान :
स्तेफनी ने भारतीय छात्राओं को बुल्गारिया के इतिहास के बारे में रोचक जानकारियां दीं। उन्होंने वेबिनार के दौरान बुल्गारिया के इतिहास, संस्कृति और महत्वपूर्ण स्थलों का विस्तृत परिचय दिया। उन्होंने बताया कि बुल्गारिया यूरोप की सबसे प्राचीन भूमि है, जिसकी संस्कृति और परंपराएँ हजारों साल पुरानी हैं। स्तेफनी ने देश की ऐतिहासिक धरोहरों, जैसे प्राचीन रोमन थिएटर और यूनेस्को धरोहर स्थलों का जिक्र करते हुए उनकी ऐतिहासिक महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी साझा किया कि कैसे बुल्गारिया ने विभिन्न सभ्यताओं का स्वागत करते हुए अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखा। स्टेफनी के इस विस्तृत परिचय ने भारतीय छात्रों को बुल्गारिया की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित कराया। उनके व्याख्यान ने श्रोताओं को बुल्गारिया की समृद्ध परंपराओं और आधुनिक दृष्टिकोण को समझने का अवसर दिया।
ग्रेटा गोसपोदिनोवा, जिन्हें प्यार से जीजी कहते हैं,ने अपने भारत प्रवास के अनुभव साझा किए, जिसमें अमृतसर और स्वर्ण मंदिर की यात्रा का वर्णन शामिल था।

गेओरगी ने प्लोवदीव, बुल्गारिया की सांस्कृतिक राजधानी की विशेषताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपनी स्व-रचित कविता “नगरों का विरोधाभास” भी सुनाई, जिसमें बुल्गारिया की ऐतिहासिक धरोहर और आत्मा का भावपूर्ण चित्रण था।
लोरा ने हिन्दी भाषा और लिपि के प्रति अपने भाव प्रस्तुत किए।
“मेरे लिए हिंदी बहुत ही मधुर और लयात्मक भाषा है, इसलिए गाने सुनना या कविता पढ़ना प्रेरणादायक लगता है। देवनागरी लिपि तो अपने आप में भी बहुत सुंदर है। यह इतनी प्रेरणादायक थी कि मैंने हिंदी के अलग-अलग शब्दों को लेकर उनके अक्षरों से चित्र बनाने शुरू कर दिए। उदाहरण के लिए, मैंने ‘बादल’ के अक्षरों से एक बादल का चित्र बनाया ।
भारतीय छात्रों का योगदान :
वंशिका, कनिष्का, और अन्य छात्राओं ने अपने अनुभव साझा करते हुए, संवाद को और भी समृद्ध बनाया। उन्होंने बुल्गारिया के पराषिद्ध स्थानों को जानने में रुचि दिखाई। एक नए देश से परिचट होने का उत्साह उनकी बातचीत से झलक रहा था।

संयुक्त विचार और कविताएं :
दोनों देशों के छात्र- छात्राओं ने न केवल अपने देश की विशेषताओं पर चर्चा की, बल्कि आपसी समझ और भाईचारे को बढ़ाने वाले विचारों का आदान-प्रदान भी किया।
गेओरगी की कविता के अंश में पलोवदीव नगर का भावनात्मक वर्णन किया गया:
“तेरी आत्मा हमारी ही आत्मा है,
तेरे हर पत्थर, हर भवन में वीरों की कथाओं का छिपा है स्मरण।”
बुल्गारियाई छात्र-छात्राओं व्यारा, ज़्लाती, और तेमेनुगा ने हिन्दी में अपना परिचय साझा करते हुए भारतीय प्रतिभागियों को प्रभावित किया। इस आयोजन में छात्रों की भागीदारी और उत्साह कार्यक्रम की सफलता का आधार बनी।
इस वेबिनार ने भारत और बुल्गारिया के बीच सांस्कृतिक पुल को और मजबूत किया। आयोजकों ने भविष्य में इस प्रकार के और कार्यक्रम आयोजित करने का संकल्प लिया।
इस ऐतिहासिक पहल के लिए डॉ. दीप्ति साहनी और डॉ. मौना कौशिक का योगदान सराहनीय है। उन्होंने इस संवाद को सफल बनाकर छात्रों के बीच अंतरराष्ट्रीय सहयोग की भावना को प्रोत्साहित किया।
भविष्य में, ऐसे आयोजनों से न केवल छात्रों को बल्कि दोनों देशों के नागरिकों को भी एक-दूसरे की संस्कृति और परंपराओं को बेहतर ढंग से समझने का अवसर मिलेगा।