प्रीति अग्रवाल ‘अनुजा’ की हाइकु

1.

झीनी चूनर
शालीनता दर्शा ते
बदरा लौटे।

2.

छम छपाक!
औंधी सीधी टपकें
बूँदें बेबाक।

3.

धूप का पारा
सातवें आसमाँ पे
बूँदें उतारें।

4.

प्रीत न बंधे!
मुठ्ठी भिंची रेत सी
फि सली जाए।

5.

रिश्ता पुराना
रोज़ का आना जाना
मेरा, चाँद का . . .।

6.

वाह रे चाँद!
करवाचौथ तेरा
ईद भी तेरी।

7.

चाँद में दाग
चाँदनी दे सफ़ाई
नज़रबट्टू!

8.

देख किनारें
अनायास छलकी
प्रीत की गंगा।

9.

मिले, बिछड़े
गर्दिश में सितारे
मेरे तुम्हारे।

10.

मीठी थी यादें
फिर भी न जाने क्यों
अश्रु थे खारे!

11.

याद- चिरैया
मन व्याकुल कर
फुर्र से उड़ी।

12.

सि तारों जड़ी
रात की चुनरिया
चाँद सा पिया!

*** *** ***

– प्रीति अग्रवाल ‘अनुजा’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate This Website »