विश्व हिंदी सचिवालय का 17वाँ कार्यारम्भ दिवस

12 फ़रवरी, 2025 को विश्व हिंदी सचिवालय ने अपने आधिकारिककार्यारम्भ की 17वीं वर्षगाँठ के अवसर पर भव्य कार्यक्रम तथा ‘तुलसीदास के काव्य का पठन-पाठन’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया। विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस की ओर से विस्तृत रिपोर्ट

कार्यशाला : ‘तुलसीदास के काव्य का पठन-पाठन’

12 फ़रवरी, 2025 को विश्व हिंदी सचिवालय ने शिक्षा एवं मानव संसाधन मंत्रालय और भारतीय उच्चायोग के तत्त्वावधान में तथा कला एवं संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से अपने आधिकारिककार्यारम्भ की 17वीं वर्षगाँठ के अवसर पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया। इस उपलक्ष्य में ‘तुलसीदास के काव्य का पठन-पाठन’ विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन भी किया गया।

12 फ़रवरी, 2025 को विश्व हिंदी सचिवालय के सभागर में सुबह 9 बजे से ‘तुलसीदास के काव्य का पठन-पाठन’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का लक्ष्य तुलसीदास के काव्य के पठन-पाठन को सहज बनाना रहा। विशेषज्ञ के रूप में तिरुवनन्तपुरम, भारत से प्रो. (डॉ.) एस. तंकमणि अम्मा, अध्यक्षा, भारतीय हिंदी अकादमी को आमंत्रित किया गया था। फ़िलाडेल्फिया, अमेरीका से डॉ. मीरा सिंह, संस्थापक, ‘अंतर्राष्ट्रीय हिंदी साहित्य प्रवाह’ तथा मॉरीशस से डॉ. विनोद बाला अरुण, अध्यक्षा, रामायण सेंटर एवं पूर्व महासचिव, विश्व हिंदी सचिवालय ने भी कार्यशाला में भाग लिया।

कार्यशाला का आरम्भ डॉ. माधुरी रामधारी, प्रो. (डॉ.) एस. तंकमणि अम्मा तथा डॉ. मीरा सिंह के कर कमलों द्वारा दीप-प्रज्ज्वलन से हुआ।

कार्यशाला के अंतर्गत मॉरीशस के विभिन्न माध्यमिक पाठशाला – हिंदू गर्ल्स कॉलिज, गायताँ रेनाल स्टेट कॉलिज, फ़्रांस ब्वाये स्टेट कॉलिज, राजकुमार गजाधर राजकीय माध्यमिक विद्यालय, एमजीएसएस सोलफ़ेरिनो सेकेण्डरी स्कूल, अब्दुल रमन ओस्मान स्टेट कॉलिज तथा मॉडर्न कॉलिज के विद्यार्थियों द्वारा बालकांड के दोहों एवं चौपाइयों की सुन्दर गेय प्रस्तुति की गई।

डॉ. मीरा सिंह, संस्थापक, ‘अंतर्राष्ट्रीय हिंदी साहित्य प्रवाह’ ने अपने वक्तव्य में कहा कि केवल पठन-पाठन करना हमारा उद्देश्य नहीं है, बल्कि मंथन करना भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी एक सुंदर घड़े के समान है, जिसको शिक्षक रूप और आकार देकर उनके व्यक्तित्व को सुंदर बनाने की कोशिश करते हैं। इसलिए तुलसीदास जी ने गुरु की महिमा का बखान किया है। डॉ. मीरा सिंह ने कहा कि गुरु के ऊपर विद्यार्थियों को उनका यह संदेश है कि आस्था रखना है। कभी रामचरितमानस को अध्यात्म के रूप में मानते हैं और कभी सामाजिकता के रूप में पाठ्यक्रम में डालकर विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण के लिए पठन-पाठन का कार्य किया जाता है।  

डॉ. विनोद बाला अरुण, अध्यक्षा, रामायण सेंटर, मॉरीशस तथा पूर्व महासचिव, विश्व हिंदी सचिवालय ने अपने वक्तव्य में सचिवालय को कार्यारम्भ दिवस की शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस पर कई शोध कार्य हुए हैं, कई पुस्तकें लिखी गई हैं और इसका अध्ययन-अध्यापन तो होता ही है, लेकिन इसके दोहे, चौपाइयों का गायन करके हम अपने जीवन को सार्थक और सफल बनाने का प्रयास करते हैं। उन्होंने रामचरितमानस के महत्त्व पर भी बात की।

कार्यशाला के अंतर्गत परिचर्चा सत्र में शिक्षकों, छात्रों तथा विशेषज्ञ के बीच प्रश्नोत्तर, मंथन एवं विचारों का आदान-प्रदान अत्यन्त जीवंत रहा।  

समापन समारोह

सार्थक कार्यशाला के उपरांत समापन समारोह में विश्व हिंदी सचिवालय के आधिकारिक कार्यारम्भ की 17वीं वर्षगाँठ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर महामहिम श्री धरमबीर गोकुल, मॉरीशस गणराज्य के राष्ट्रपति मुख्य अतिथि तथा महामहिम श्री अनुराग श्रीवास्तव, भारतीय उच्चायुक्त, मॉरीशस विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। बीज-वक्ता के रूप में तिरुवनन्तपुरम, भारत से प्रो. (डॉ.) एस. तंकमणि अम्मा, अध्यक्षा, भारतीय हिंदी अकादमी को आमंत्रित किया गया था।

कार्यक्रम का आरम्भ प्रो. सुदर्शन जगेसर डी.ए.वी. कॉलिज, रोज़ बेल के शिक्षकों तथा विद्यार्थियों द्वारा बालकांड की सुन्दर प्रस्तुति से हुआ।

मुख्य अतिथि महामहिम श्री धरमबीर गोकुल, मॉरीशस गणराज्य के राष्ट्रपति ने अपने वक्तव्य में सचिवालय की 17वीं वर्षगांठ को एक महतत्त्वपूर्ण मील का पत्थर बताया और इसकी उपलब्धियों को मान्यता देते हुए, उन क्षेत्रों का आकलन करने की आवश्यकता पर भी बल दिया, जहाँ और प्रगति की आवश्यकता है। उन्होंने हिंदी के वैश्विक प्रभाव को बढ़ाने के लिए ठोस कार्रवाई का आह्वान किया। महामहिम ने डिजिटल प्रगति के साथ तालमेल बनाए रखने और युवा पीढ़ी के लिए हिंदी को अधिक आकर्षक बनाने के लिए शिक्षण पद्धतियों को आधुनिक बनाने की आवश्यकता पर बात की। इसके लिए उन्होंने प्रौद्योगिकी के माध्यम से हिंदी को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया। महामहिम ने भारत के साथ मॉरीशस के गहरे सांस्कृतिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक संबंधों तथा हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए समर्पित अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ इसके सहयोग की चर्चा की।

विशिष्ट अतिथि महामहिम श्री अनुराग श्रीवास्तव, भारतीय उच्चायुक्त, मॉरीशस ने अपने वक्तव्य में सचिवालय की विकास यात्रा का उल्लेख करते हुए सचिवालय के प्रयासों की सराहना की। साथ ही, उन्होंने सचिवालय के विगत 17 वर्षों के कार्यों का मूल्यांकन करने, अपनी प्रगति का आकलन करने तथा ठोस कार्य योजना बनाने का आह्वान किया, ताकि विश्व हिंदी सचिवालय की स्थापना का लक्ष्य प्राप्त हो सके। हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के संबंध में, महामहिम उच्चायुक्त ने पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ नए तकनीकों को अपनाने का सुझाव भी दिया। उन्होंने भाषा के प्रसार को बढ़ाने, शिक्षा को अधिक सुलभ और आकर्षक बनाने के लिए आधुनिक तकनीक का लाभ उठाने के महत्त्व पर ज़ोर दिया। इन रणनीतियों को लागू करने से, उन्होंने विश्वास दिलाया कि हिंदी के पठन-पाठन का कार्य अधिक प्रभावी और आकर्षक बन जाएगा, विशेषकर युवा पीढ़ी के लिए।

बीज-वक्ता प्रो. (डॉ.) एस. तंकमणि अम्मा ने अपने वक्तव्य में विश्व हिंदी सचिवालय के कार्यक्रमों एवं योजनाओं की खूब सराहना की। उन्होंने कहा कि विश्व हिंदी सचिवालय की स्थापना उचित स्थान पर, उचित देश में, मॉरीशस में हुई है। सचिवालय के प्रयासों से तथा भारत व अन्य देशों के प्रयासों से हिंदी संयुक्त राष्ट्रसंघ में अपना उचित स्थान प्राप्त करके रहेगी। 

कार्यक्रम के आरम्भ में डॉ. माधुरी रामधारी, महासचिव, विश्व हिंदी सचिवालय ने अपने स्वागत-भाषण में कार्यक्रम में उपस्थित गण्यमान्य अतिथियों का स्वागत किया और सचिवालय के औपचारिक कार्यारम्भ का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि किसी भी बड़े सपने को साकार करने के लिए छोटे-छोटे प्रयासों की आवश्यकता पड़ती है। विश्व हिंदी सचिवालय ने छोटे-छोटे प्रयासों से ही आरम्भ किया था। समय के साथ महत्त्वपूर्ण योजनाओं को क्रियान्वित किया गया।

विश्व हिंदी सचिवालय के आधिकारिक कार्यारम्भ की 17वीं वर्षगाँठ के अवसर पर विश्व के विभिन्न देशों से प्राप्त बधाई-गीत को वीडियो रूप में प्रस्तुत की गई।

लोकार्पण

कार्यक्रम के अंतर्गत विश्व हिंदी सचिवालय द्वारा प्रकाशित विश्व हिंदी साहित्य 2024 का लोकार्पण मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि एवं बीज-वक्ता के कर कमलों द्वारा सम्पन्न हुआ। इसमें विश्व के विभिन्न प्रदेशों के हिंदी विद्वानों एवं लेखकों की कृतियों को सम्मिलित किया गया है, जो लघुकथा, कहानी, कविता, दोहा, हाइकु, गीत, गज़ल, नाटक, निबंध, संस्मरण, यात्रावृत्तांत, व्यंग्य, साक्षात्कार, समीक्षा, लेख आदि के रूप में हैं। यह अंक सचिवालय की वेबसाइट https://patrikayan.vishwahindi.com/ पर भी उपलब्ध है।

साथ ही, फ़िलाडेल्फ़िया, अमेरिका से पधारीं, डॉ. मीरा सिंह, संस्थापक, ‘अंतर्राष्ट्रीय हिंदी साहित्य प्रवाह’ कृत ‘जीवन प्रवाह’ एवं ‘लक्षिता’ पुस्तकों का लोकार्पण किया गया।

सांस्कृतिक कार्यक्रम

इस अवसर पर रसिका डांस अकादमी, मॉरीशस द्वारा रमणीय नृत्य की प्रस्तुति हुई। नृत्य के लिए गीत का गायन अथक चेष्टा ट्रस्ट यूनिवर्सल, यू.ए.ई. की ओर से सुरभि अगाशे द्वारा किया गया और संगीतकार श्री आलोक कुमार शर्मा रहे। नृत्य का निर्देशन श्रीमती रविता सालिक पीतम्बर ने किया।

डॉ. शुभंकर मिश्र, उपमहासचिव, विश्व हिंदी सचिवालय ने धन्यवाद-ज्ञापन किया तथा श्री प्रकाश वीर, वरिष्ठ सहायक संपादक, विश्व हिंदी सचिवालय ने मंच-संचालन किया।  

विश्व हिंदी सचिवालय की रिपोर्ट

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