
इन्द्रधनुषी लहर
सुदूर देश की पुरवाई से
आख़िर आ ही जाती है,
मन की धानी परतों की इन्द्रधनुषी लहर . . .
होली, दिवाली के रंगों और
दीयों में बिखरती –झिलमिलाती
सुनहरी खनक सबको सुनाने।
अपनी अपनी मिट्टी की महक की ख़बर
त्योहारों के पावन अवसर पर,
मन के कोनों को बुहार,
नए रंगों की सरगम फैलाने,
सुदूर देश की पुरवाई से
आख़िर आ ही जाती है,
मन की धानी परतों की इन्द्रधनुषी लहर।
सुरमई रंग और चिर-परिचित
ख़ुशबू की याद दिलाने,
सुदूर देश की पुरवाई से
आख़िर आ ही जाती है,
मन की धानी परतों की इन्द्रधनुषी लहर . . . ।
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– रेणुका शर्मा