
प्रतिष्ठित दोहाकार नरेश शांडिल्य की पुस्तक ‘मेरी अपनी सोच’ का पुस्तक मेले में लोकार्पण
“मैं नरेश शांडिल्य को ‘दोहों का दुष्यंत’ कहना पसंद करूँगा” -अनिल जोशी
इस बार के विश्व पुस्तक मेले में विश्व प्रसिद्ध दोहाकार नरेश शांडिल्य के श्वेतवर्णा प्रकाशन से आए नए दोहासंग्रह ‘मेरी अपनी सोच’ के लोकार्पण कार्यक्रम में मुख्यवक्ता के नाते बोलते हुए वैश्विक हिंदी परिवार के अध्यक्ष, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के पूर्व उपाध्यक्ष, सुपरिचित कवि-लेखक अनिल जोशी ने कहा कि जिस प्रकार दुष्यंत कुमार ने हिंदी गज़लों में क्रांतिकारी स्वर के रूप में उपस्थिति दर्ज़ की और गज़लों को नए तेवर, नए कलेवर, नए मुहावरे और नए विचार के साथ प्रस्तुत किया तथा प्रगतिशीलता और आधुनिक बोध को गज़लों में स्थान दिया उसी प्रकार नरेश शांडिल्य ने भी दोहों को रूढ़ हो चुकी उक्तियों, सूत्रों आदि के घेरे से निकालकर समसामयिक चेतना से जोड़ा। उनकी भाषा में उर्दू और आमफ़हम शब्दों और प्रचलित शब्दावली को स्थान दिया। बाज़ारवाद और सबसे निचले स्तर पर बैठे हुए व्यक्ति को रौंदने वाले वैश्वीकरण से संघर्ष, जन विरोधी शक्तियों की पहचान व्यक्ति अस्मिता की स्थापना, लघुता का सम्मान, समसामयिक मुद्दों पर तीखी और बेबाक राय, विचार को संवेदना में ढालने की कला उन्हें अपने समकालीन दोहा कारों में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करती है। इस मायने में नरेश शांडिल्य ने अपने कथ्य और कहन को नवीनता दी और दोहों में एक क्रांतिकारी परिवर्तन किया। इस नाते मैं नरेश शांडिल्य को ‘दोहों का दुष्यंत’ कहना पसंद करूँगा। इसमें कोई शक़ नहीं कि नरेश शांडिल्य के दोहे अक्सर कोट किए जाते हैं। कोई भी कवि सम्मेलन हो, बड़ा समारोह हो, लोग नरेश शांडिल्य के दोहों को कोट करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि मेरी दृष्टि में ‘मेरी अपनी सोच’ दोहासंग्रह को पिछले वर्ष प्रकाशित हिंदी के पाँच सर्वश्रेष्ठ काव्य संग्रहों में से एक माना जा सकता है और नरेश शांडिल्य को हिंदी के महत्वपूर्ण दोहा कारों में से एक और संभवत है हिंदी का सबसे महत्वपूर्ण दोहाकार।

कार्यक्रम की अध्यक्षता ब्रिटेन की सुविख्यात साहित्यकार दिव्या माथुर ने की और संचालन श्वेतवर्णा प्रकाशन के राहुल शिवाय ने किया, जोकि स्वयं एक अच्छे दोहाकार व ग़ज़लकार हैं। कार्यक्रम में देहरादून से पधारे प्रसिद्ध ग़ज़लकार अंबर खरबंदा के साथ-साथ अन्य प्रमुख साहित्यकारों में अनिरुद्ध सिन्हा, विजय स्वर्णकार, माधुरी स्वर्णकार, सपना अहसास, अनिता वर्मा, सुनीता पाहुजा, सरोज शर्मा आदि भी मौजूद रहे।
कार्यक्रम के संचालक सुप्रसिद्ध ग़ज़लकार-दोहाकार राहुल शिवाय ने नरेश शांडिल्य के दोहों की प्रशंसा करते हुए कहा, ” मैं उन्हें अनेक वर्षों से पढ़ रहा हूँ और मैं शांडिल्य जी के दोहों को पढ़कर ही दोहा लेखन की ओर प्रवृत्त हुआ।” उन्होंने बताया कि कैसे दोहों की उद्धरणीयता के कारण नरेश जी की गिनती आज प्रमुख दोहाकारों में की जाती है।
ब्रिटेन की सुप्रसिद्ध हिंदी कवयित्री – कथाकार दिव्या माथुर ने अपना अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कहा कि नरेश शांडिल्य के छोटे-छोटे सारगर्भित और मारक दोहों की मैं शुरू से ही प्रशंसक रही हूँ। वे थोड़े से शब्दों में ही बहुत गहरी बात कहने में माहिर हैं। ऐसी ही कविताएँ मुझे बेहद पसंद आती हैं। नरेश जी दो बार ब्रिटेन में भी आए थे। ब्रिटेन में भी लोग उनके दोहों के बहुत बड़े प्रशंसक बने। उनके दोहों का तेवर बिल्कुल कबीर जैसा फ़क़ीराना है। उनके नीतिगत और प्रेमपरक दोहे भी बेहद पसंद किए जाते हैं। वे नए मुहावरे और नई भाषाशैली में सामने आए हैं इसीलिए अन्य दोहाकारों से पृथक उनका विशेष स्थान है।

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किताब : मेरी अपनी सोच
विधा : दोहा
लेखक : नरेश शांडिल्य (9868303565)
पृष्ठ : 120
मूल्य : ₹249
प्रकाशक : श्वेतवर्णा प्रकाशन, दिल्ली (8447540078)