
प्रो. आलोक गुप्त को श्रेष्ठ अनुवाद के लिए ‘भाषा सेतु अलंकरण – 2024’ प्रदान किया
23, 24 फरवरी मेरे लिए विशेष महत्व के रहे। 24 फरवरी को इंडियन इंस्टीट्यूट आफ एडवांस स्टडी, शिमला में 2 वर्ष फैलो रहकर ’19वीं सदी के गुजराती और हिंदी साहित्य में भारतीय चेतना’ शोध कार्य की प्रकाशित प्रति मिली। इस कार्य में साहित्यिक रचनाओं के माध्यम से प्रमुख गुजराती और हिंदी साहित्यकारों के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करने का प्रयास है। यहां तथ्यों को ही केंद्र में रखा गया है, परन्तु नवजागरण पर होने वाले वाद-विवाद की अनुगूंज अवश्य सुनी जा सकेगी। ऐतिहासिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि में धर्म और धार्मिकता, समाज- सुधार, स्वत्व के पहचान और शिक्षा एवं देश की भावना अध्यायों में गुजराती और हिंदी के रचनाकारों का मूल्यांकन है।

23 फरवरी को प्रज्ञा हिंदी सेवार्थ संस्थान ट्रस्ट, फिरोजाबाद द्वारा भारतीय भाषाओं से हिंदी में श्रेष्ठ अनुवाद के लिए मुझे ‘भाषा सेतु अलंकरण – 2024’ प्रदान किया गया। साथ में विविध क्षेत्रों की अन्य 26 विभूतियों को सम्मानित किया गया था। सभी सम्मान किसी ने किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा प्रदत थे। श्री यशपाल ‘यश’ अध्यक्ष एवं कृष्ण कुमार ‘कनक’ के उत्साह और सामाजिक दायित्व के निर्वाह को जानकर सुखद आश्चर्य हुआ।


आलोक गुप्ता की फ़ेसबुक वॉल से