
बुल्गारिया का पर्व मार्तेनित्सा
लोहित नभ, श्वेत धरा – मार्तेनित्सा का आशीर्वाद
मार्तेनित्सा – यह केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि प्रेम, शांति, और सौभाग्य का प्रतीक है। यह पर्व बुल्गारिया के लोकजीवन में इतनी गहराई से समाया हुआ है कि इसके बिना वसंत ऋतु का आगमन अधूरा सा लगता है। हालाँकि यह मुख्य रूप से बुल्गारिया में मनाया जाता है, लेकिन इसकी गूँज मैसिडोनिया, रोमानिया और ग्रीस के कुछ हिस्सों में भी सुनाई देती है।
मार्तेनित्सा का अर्थ और परंपरा
1 मार्च को बुल्गारिया में लोग एक-दूसरे को मार्तेनित्सा भेंट करते हैं और कहते हैं “Честита Баба Марта!” चेसतीता बाबा मार्ता!” यह केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि बुल्गारियाई संस्कृति का अटूट हिस्सा है। इस दिन लोग लाल और सफेद रंग की ऊन से बनी छोटी गुड़िया ‘पिज़ो और पेंदा’ तथा कलाई सीने या वस्त्रों पर बाँधने के लिए मार्तेनित्सा ब्रेसलेट या ब्रोच भेंट देते हैं।
इस परंपरा के पीछे मान्यता है कि ये शुभ धागे व्यक्ति को नकारात्मक शक्तियों से बचाते हैं और अच्छे स्वास्थ्य, समृद्धि तथा सुखद जीवन का आशीर्वाद देते हैं। जब लोग पहली बार वसंत के आगमन का संकेत देने वाले एक पक्षी (जैसे कि सारस या कोयल) को देखते हैं या पहला पत्ता फूटता हुआ देखते हैं, तो वे अपनी मार्तेनित्सा को उतारकर किसी फूलों वाले पेड़ की डाल पर बाँध देते हैं। यह प्रकृति के पुनर्जन्म और जीवन के चक्र का एक सुंदर प्रतीक है।
मार्तेनित्सा की कथा – खान अस्पारुख की कहानी
इस त्योहार की उत्पत्ति को लेकर कई किंवदंतियाँ प्रचलित हैं, लेकिन सबसे प्रसिद्ध कहानी बुल्गारिया के संस्थापक खान अस्पारुख (7वीं शताब्दी) से जुड़ी हुई है।
कहा जाता है कि जब खान अस्पारुख ने बुल्गारिया की स्थापना की, तो उन्होंने अपनी बहन को एक संदेश भेजा कि वे सुरक्षित और प्रसन्न हैं। संदेश के साथ उन्होंने एक सफेद धागा भेजा, जिसे एक पक्षी के पैर से बाँध दिया गया था। लेकिन लंबी यात्रा के दौरान, एक शिकारी पक्षी ने उस पर हमला कर दिया, जिससे उसके पैर से खून बहने लगा और सफेद धागा लाल हो गया। जब उनकी बहन को यह संदेश मिला, तो उसने इसे सौभाग्य और आशीर्वाद का प्रतीक मानते हुए अपने हाथ पर बाँध लिया। यही परंपरा धीरे-धीरे पूरे देश में फैल गई और “मार्तेनित्सा” के रूप में प्रसिद्ध हो गई।
लाल और सफेद रंग का महत्व
मार्तेनित्सा में इस्तेमाल होने वाले लाल और सफेद रंगों का गहरा प्रतीकात्मक महत्व है:
- लाल रंग – जीवन, प्रेम, शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक है।
- सफेद रंग – शुद्धता, शांति और नवजीवन को दर्शाता है।
इन रंगों का संयोजन हमें यह याद दिलाता है कि जीवन में संघर्ष और आनंद, कठिनाई और आशा, दोनों का संतुलन आवश्यक है।
मार्तेनित्सा और भारतीय संस्कृति की समानता
बुल्गारिया की यह परंपरा भारत के रक्षा सूत्र की याद दिलाती है। भारत में भी भाई-बहन या प्रियजनों के कल्याण और सुरक्षा के लिए पवित्र धागे बाँधने की परंपरा है। जिस प्रकार भारत में राखी का धागा प्रेम और सुरक्षा का प्रतीक है, उसी प्रकार मार्तेनित्सा भी सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक है। सफेद और लाल धागों से बाजार ,सड़के और यहाँ के निवासी भी सज जाते हैं।
मार्तेनित्सा केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि एक भावना है – जो हमें सिखाती है कि हर सर्दी के बाद वसंत आता है, हर कठिन समय के बाद एक नई शुरुआत होती है, और सौभाग्य और प्रेम हमेशा हमारे साथ रहता है।यह त्योहार हमें यह भी याद दिलाता है कि हर सर्दी के बाद वसंत आता है, हर कठिन समय के बाद एक नई शुरुआत होती है, और सौभाग्य और प्रेम हमेशा हमारे साथ रहता है।
अलग संस्कृति, अलग परंपराएँ, लेकिन भावनाएँ एक जैसी – शुभकामनाएँ, आशीर्वाद,स्नेह,मित्रता,एकसूत्रता और प्रेम।
आलेख – मौना कौशिक
चित्र : ज़ारा तेओदोसिएना