Category: कहानी

‘वे जरी के फूल’ – (कहानी)

वे जरी के फूल – सूर्यबाला तब राधा मौसी की शादी थी। और औरतों का कोई ठिकाना नहीं था कि कब वे बरामदे में बिछी दरी पर इकट्ठी हो, ढोल-मजीरे…

‘वाचाल सन्नाटे’ – (कहानी)

वाचाल सन्नाटे – सूर्यबाला मैं उन्हें बहुत पहले से जानती हूं।… मेरे देखते-देखते कहानी बन गई वे। कुल साढ़े छः सात मिनट की कहानी। (साठ सत्तर साल लंबी जिंदगी की।)…

‘दादी और रिमोट’ – (कहानी)

दादी और रिमोट -सूर्यबाला चूँकि इसके सिवा कोई चारा न था… गाँव से दादी ले आई गईं। हिलती-डुलती, ठेंगती-ठंगाती। लाकर, ऊँची इमारतों वाले शहर के सातवें माले पर पिंजरे की…

‘कागज की नावें चांदी के बाल’ – (कहानी)

कागज की नावें चांदी के बाल -सूर्यबाला मैं बहुत छोटी हूँ। वैसा ही वह भी। सिर्फ दो दर्जे उफपरवाली क्लास में। अपनी कोठी की घुमावदार सीढ़ियों पर बैठी मैं रंग-बिरंगे…

‘कहां कहां से लौटेंगे हम…..!’ – (कहानी)

कहां कहां से लौटेंगे हम…..! – सूर्यबाला मेधा, बेटू और साशा, ढाई हफ्तों की बोरियत भरी थकान के बाद अपनी-अपनी सीटों पर लुढ़क लिए हैं। बच रहा मैं, अपनी मनमानी…

नया ठाकुर

सुबह के आठ बजते-बजते सूरज भड़भूजे की भट्ठी की तरह दहकने लगा था। वह पूरा जोर लगाकर लगभग भागते हुए, पीछा कर रहे सूरज के लहकते गोले की लपट से…

Translate This Website »