Category: मनोज मोक्षेन्द्र

नया ठाकुर

सुबह के आठ बजते-बजते सूरज भड़भूजे की भट्ठी की तरह दहकने लगा था। वह पूरा जोर लगाकर लगभग भागते हुए, पीछा कर रहे सूरज के लहकते गोले की लपट से…

नदी का दुःख

गहराई के खोने का दुःख नदी ही जान सकती है, गहराई ही उसकी तिजोरी थी जहाँ वह सहेजती थी—पुराण और इतिहास रहती थी अपने जाये जलचरों संग नदी बार-बार टटोलती…

मनोज मोक्षेन्द्र

पिता : (स्वर्गीय) श्री एल.पी. श्रीवास्तव, माता : (स्वर्गीया) श्रीमती विद्या श्रीवास्तव जन्म-स्थान : वाराणसी, (उ.प्र.) शिक्षा : जौनपुर, बलिया और वाराणसी से (कतिपय अपरिहार्य कारणों से प्रारम्भिक शिक्षा से…

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