बाबा की धूल

प्रभु मुझे नव जन्म में करना,

बाबा की बगिया का फूल ।

और नहीं तो मुझको करना,

बगिया की मिट्टी की धूल ।

क्यारी में पानी देते बाबा,

स्नेह में भीगी उनके साथ ।

अगर मैं इधर-उधर उड़ी तो,

थामेंगे रख सिर पर हाथ।

पीड़ा सारी मैं हर लूँगी,

चुभ जाए जो कोई शूल ।

बाबा के मन की बगिया में,

उगने न दूँगी कोई बबूल ।

नित बाबा के चरण गहूँगी,

कदम तले की धरा बनूँगी ।

जहाँ-जहाँ बाबा जाएँगे,

पकड़ के दामन संग चलूँगी ।

होऊँ अलग न कभी बाबा से,

न आए विदा का कोई विचार ।

बाबा के आँगन सदा बिखेरूँ,

देखभाल और प्यार अपार ।

*****

-आरती लोकेश

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate This Website »