झूठ अच्छे होते हैं ….
-अनु बाफना
दीदी आपने झूठ क्यों बोला? उमा ने मुँह बनाते हुए शिकायती लहज़े में कहा।
क्या हो गया उमा रानी ?- स्वाति ने शरारती अंदाज़ में उमा से पूछा।
‘दीदी अभी आपने अपने इंटरव्यू में ऐसे क्यों बोला कि आपके परिवार ने हमेशा आपका साथ दिया और सपोर्ट करते हैं, कहाँ -कौन आपकी मदद करता है ? भइया तक तो कुछ करते नहीं… आपने मेरा नाम लिया, पर आप ही ने तो मुझ गँवार को पढ़ना-लिखना सिखाया, इस काबिल बनाया कि आज मैं आपके यहां काम करे लायक बनी वरना मुझ अनपढ़ देहातन को तो अब तक शहरी दरिंदे नोच कर खा गए होते। उमा के स्वर में रोष था, साँस लेने कुछ पल रुकी उमा, फिर बोली -‘मुझे पता है कि बच्चे जब छोटे थे तो रात-रात जाग कर आप उन्हें भी संभालती थीं और अपनी पढ़ाई भी करती थी। क्लीनिक के लिए भी आपने गहने बेचे, बैंक से उधार लिया, दिन-रात काम करके सब चुकाया, इतनी तरक्की की, इतना नाम कमाया कि आज अखबार वाले इंटरव्यू करते हैं। अकेली मेहनत का नतीजा है सब…फ़ालतू में सबकी तारीफ़ क्यों? उमा की आँखों अब क्रोध था।
‘हा..हा..हा …अच्छा इस बात का गुस्सा है हमारी उमा को! हम्म …-देख बाहर के लोगों के सामने मैं अपने पति की या घर वालों की बुराई करूँ, तो बुरी मैं ही लगूंगी। मुझे पता है कि आज सफलतापूर्वक अपना क्लिनिक चलाने में कितना तपी हूँ मगर लोगों के सामने अपनों की बुराई क्यों करूँ ? मुझे जो पाना था पा लिया न मैंने, स्वाति मुस्कुराई।
‘अपनी जांघ उघाड़ने से मैं भी नग्न हुई न ? घर में क्लेश होगा सो अलग,इतने वर्ष शान्ति से निकल गए, बसी-बसाई गृहस्थी में क्यों ज़हर घोलूँ ? किसी को थोड़ा श्रेय दे दूंगी तो मेरा क्या ही घट जाएगा ? मुझे किसी से कोई प्रमाण-पत्र पाने के लिए तो काम नहीं करना था न।
‘मैंने मेहनत की क्योंकि मुझे आगे बढ़ना था, मेरा सपना पूरा करने में, मैं किसी और से क्यों उम्मीद करूँ? बाहरवाले मुझ पर ही ऊँगली उठाएंगे कि मैं घमंडी हूँ, पता नहीं क्या-क्या नाम रखे जाएंगे मुझ पर या मेरे घरवालों पर कीचड उछालने वालों की कमी नहीं होगी उमा रानी, इसीलिए घर की शान्ति -मन की शान्ति के लिए कुछ जतन कर लेने चाहिए,……थोड़े झूठ अच्छे होते हैं । स्वाति ने बड़े ही नाटकीय अंदाज़ में उँगलियाँ घुमाते हुए कहा और खिलखिला उठी । ‘चलो अब बहुत ले लिया तुमने भी मेरा इंटरव्यू , अब इजाज़त दो रानी। क्लिनिक बुला रहा है।’
उमा की मोटी बुद्धि में यह सत्य उतरने लगा था कि कुछ झूठ… अच्छे होते हैं।
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