रावण (कविता)
दसग्रीव दशानन् दसकंधर कहलाता थाजब रावण चलता सारा जग हिल जाता थावो था पंडित-विद्वान और था बलशालीउसके सन्मुख देवों का जी थर्राता था रावण ने सोने की लंका बनवाई थीतीनों…
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दसग्रीव दशानन् दसकंधर कहलाता थाजब रावण चलता सारा जग हिल जाता थावो था पंडित-विद्वान और था बलशालीउसके सन्मुख देवों का जी थर्राता था रावण ने सोने की लंका बनवाई थीतीनों…
मनीष पाण्डेय ‘मनु’ ***** रावण दसग्रीव दशानन् दसकंधर कहलाता थाजब रावण चलता सारा जग हिल जाता थावो था पंडित-विद्वान और था बलशालीउसके सन्मुख देवों का जी थर्राता था रावण ने…
चाँद भीबहरूपियाऔर छलिया है कभी तोप्रेमिका केसुन्दर मुखड़े सादिख जाता हैया कभीउसकी याद मेंदिल मेंटीस जगाता है कभी तोचौथ की पूजा के समयबादलों मेंछुपकर सताता हैतो कभी अँधेरी रात मेंराहगीरों…
विश्वास दुबे मेरे समकालीन और हम उम्र लेखक मित्रों में सबसे करीब हैं इसलिए उनका दूसरा कविता संग्रह प्राप्त हुआ तो बहुत खुशी हुई। हम दोनों नीदरलैंड में रहते हैं…
कवि अनिल शर्मा ‘जोशी’ की ‘नींद कहाँ है’ की समीक्षा – मनीष पाण्डेय अनिल शर्मा ‘जोशी’ वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा और साहित्य जगत के जाने माने नाम हैं। भारत…
जिन गलियों मेंखेल-कूद करबचपन बिताया जिन खाली जगहों परगिल्ली डंडा और क्रिकेटखेलकरछुट्टियों के दिन काटे जिन रास्तों परचल करस्कूल आया गया जिन चौराहों सेनिकलकरसायकल चलाना सीखा पहचान नहीं पायावो गलीऔर…
रोज मर्रा केकाम काजनिपटाते-निपटातेजिन्दगी केहंसी लम्हेनिपट रहे हैं सुविधाओं सेलिपटने की होड़ मेंअकेलापन औरअवसादलिपट रहे हैं जिन्दगी तोभाग रही हैबेतहाशालेकिनदिल के अरमानघिसट रहे हैं छूने की चाहत मेंचाँद सितारेपीछे छोड़…
वो माँ!जिसने जनम दिया-मुझेऔर आपको, वो माँ!जो देवों से भी-बढ़कर है, वो माँ!जिसे हमस्वर्ग से भीमहान कहते हैं, वो माँ!जिसकाप्रेम और त्याग-अतुलनीय है, वो माँभी तो हमारीमाँ होने से पहले,किसी…
जन्म: 22 जून 1979 को ग्राम पचोरी, जिला: जाँजगीर-चाम्पा, छत्तीसगढ़ में जन्म शिक्षा: भारत से कंप्यूटर साइंस में एम.एस.सी. और निदरलैंड्स से एम.बी.ए. संप्रति: सन् 2006 से अमेरिका और यूरोप…
आजकल मैं भारत की राजधानी नई दिल्ली से कुछ 6300 किमी दूर, यूरोप के एक प्रतिष्ठित शहर लक्सेम्बर्ग में रहता हूँ। यह शहर इस देश की राजधानी भी है और…
चलते-चलते जीवन पथ पर,एक नदी के सुंदर तट पर|देखा जो तरुवर की छाया,सुस्ताने को मन हो आया|| कर विचार यह सुंदर उपवन,सुखकर होगा इसमें जीवन|संगी-साथी मीत बनाये,प्रेम भाव के दीप…
जब एकाकी मन घबराए,सूनेपन से जी भर जाये |ले समय कभी उलटे फेरे,हो अंधकार चहुंदिक मेरे|पर चाहूँ “दीप शिखा” पाना,हे! राम मेरे, तब तुम आना || १ || जब थक…