प्रवासी भारतीय तू…!
प्रवासी भारतीय तू
अपनी पैतृक जड़ों से यूं जुड़ तू
भेड़ बकरी की तरह
मत कर अंधानुकरण यूँ..
अदम्य साहस, समर्पण, धैर्य से
लिख अपनी नई दास्तां तू..
प्रवासी भारतीय तू…
किसी भौगोलिक सीमा में
न बंध-यूँ
नई चेतना, नई प्रेरणा, नया संकल्प
ले अब तू..
नव निर्माण नव प्रकाश का
ध्वजा वाहक बन तू
प्रवासी भारतीय तू..!
ले शपथ..
तन मन धन से भारतीय भाषा
भारतीय संस्कृति का
उन्नायक बनेगा तू
कर शपथ..
वैश्वीकरण व वसुदेव कुटुंबकम का
पाठ पढ़ेगा व पढ़वाएगा तू
ले शपथ..!
रास्ते कठिन भी हो तो क्या
अपने अथक सहयोग से
कर नित नए प्रयोग
एक दो दिन नहीं
पूरे साल ही बन जीवंत उदाहरण
अपनी नई कहानी अपनी जुबानी
का कहीं नव निर्माण करेगा तू..!
ले शपथ…
आने वाली नई पीढ़ी को
भारतीय संस्कृति की
जीती-जागती यह अमूल्य धरोहर
उपहार में देगा तू
ले शपथ.. कहीं देश के सम्मान में
अपने कर्तव्य व ऊँचे-मानदण्डों से
नींव का पत्थर बनेगा तू..!
ले शपथ..
प्रवासी भारतीय तू..
अपनी पैतृक जड़ों से..
यूँ जुड़ तू….!
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-सुनीता शर्मा