सविता अग्रवाल ‘सवि’ के हाइकु

1.

बोझिल मन
झील भरे नयन
दूर आनंद।

2.

कलियाँ चुनीं
झोली भर ली मैंने
मालाएँ बुनीं।

3.

    मैं सूक्ष्म सही
    भव्यता के समक्ष
    फिर भी जीती।

    4.

    प्रेम का नाता
    सिन्धु औ सरिता
    देखी एकता।

      5.

      अंतर्मन में
      निराकार मौन है
      शब्द निःस्वर।

      6.

      तारों के दीप
      रजनी के अंक को
      करें सुदीप्त।

      7.

      सूर्य ने टाँकी
      श्वेत बदरी पर
      स्वर्ण किरणें।

      8.

      चन्दा मुस्काया
      लहरों का दर्पण
      स्पर्श जो पाया।

      9.

      सिन्धु कहता
      मैं ही जीवन रेखा
      मेह हूँ लाता।

      10.

      माँ का जीवन
      लिख ना पाते शब्द
      मैं हूँ निस्तब्ध।

      11.

      बर्फ़ की चोटी
      बूँद बूँद टपके
      नदी तरसे।

      12.

      आशीष-छाँव
      तपती धूप में भी
      चलते पाँव।

      13.

      भोली सी आँखें
      रोटी को तरसती
      भट्टी को ताकें।

      14.

      खिलाती रोटी
      गूंथ प्यार का आटा
      पेट भरती।

      15.

      पगली स्मृति
      इत -उत डोलती
      पकड़े हाथ।

      *** *** ***

      – सविता अग्रवाल ‘सवि’

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