
वैसाखी : पंजाब की समृद्ध सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत का उत्सव

रिपोर्ट लेखन – डॉ॰ जयशंकर यादव
भारत एक विशाल देश है। यहाँ अनेक त्योहार मनाए जाते हैं। वैसाखी फसल से संबन्धित त्योहार है। वैश्विक हिन्दी परिवार द्वारा सहयोगी संस्थाओं के तत्वावधान में रविवारीय कार्यक्रम के अंतर्गत 13 अप्रैल को “वैसाखी के विविध आयामों पर, आभासी कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसकी अध्यक्षता करते हुए पद्मश्री से सम्मानित, हिमाचल प्रदेश के केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ॰ हरमहेन्द्र सिंह बेदी ने सभी को “लख लख बधाइयाँ, दीं और कहा कि वैसाखी इतिहास,परंपरा और मानवता का त्योहार है। इसकी पृष्ठभूमि 13 अप्रैल 1699 से खालसा पंथ के सृजन से है जिसने मुगल शासन को चुनौती दी। एशिया के देश मानने लगे हैं कि स्वतन्त्रता का स्वर यहाँ से प्रस्फुटित हुआ। आनंदपुर साहिब में 50 हजार लोग नई चेतना के साथ एकत्रित हुए थे जिनमें देश के विभिन्न भागों के पाँच प्यारे भी थे। सन 1857 की क्रान्ति का बिगुल भी यहाँ से चरितार्थ हुआ। वर्ष 1919 में 13 अप्रैल को ही जालियावाला बाग में क्रूर जनरल दायर ने निर्दोष लोगों पर गोलियां चलवाई थीं जिसमें लगभग 1400 लोगों की शहादत हुई। कवीन्द्र टैगोर,महात्मा गांधी और मालवीय जी आदि ने भी इसकी भर्त्सना की थी। इस अन्याय से भगत सिंह जैसे लोग उद्वेलित हुए। इस अवसर पर देश -विदेश से अनेक साहित्यकार, विद्वान विदुषी, तकनीकीविद, प्राध्यापक, अनुवादक, शिक्षक, राजभाषा अधिकारी, शोधार्थी, विद्यार्थी और भाषा प्रेमी आदि जुड़े थे।


आरंभ में मॉरीशस से डॉ॰ अंजु घरभरन द्वारा आत्मीयता से स्वागत किया गया। तत्पश्चात अमृतसर के डी ए वी कालेज की हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ॰ किरण खन्ना ने विधिवत संचालन संभाला। इस अवसर पर जापान से जुड़ीं “हिन्दी की गूंज, पत्रिका की संपादक डॉ॰ रमा पूर्णिमा शर्मा ने कहा कि कि वैसाखी के त्योहार की अनुकृति जापान का हरनामी त्योहार भी जान पड़ता है जिसमें अनेक समानताएं परिलक्षित होती हैं। कनाडा के फ्रेसर वैली विश्वविद्यालय से जुड़े प्रो॰रजनीश धवन का कहना था कि वैसाखी में चेतावनी और युद्ध घोष भी है। फूट डालो और राज करो की नीति का प्रतिकार भी निहित है। जापान के ओसाका विश्वविद्यालय के अमिरेट्स प्रोफेसर और पद्मश्री से सम्मानित डॉ॰तोमियो मिजोकामि ने वैशाखी को साहित्य के सौंदर्यबोध से जोड़ते हुए बधाई दी।

विशिष्ट अतिथि के रूप में पंजाब के दयाल सिंह कालेज के पंजाबी विभाग के प्रो॰ रवीन्द्र सिंह का मन्तव्य था कि वैसाखी में सप्त सिंधु और पुरातन इतिहास की धरोहर निहित है। सृष्टि और सभ्यता के विकास के साथ हजारों वर्षो से धर्म की यात्रा चली। सनातन धर्म को ठीक से नहीं समझा गया। वास्तविक धर्म के ऊपर हमले कर चेहरा बदलने की कोशिश हुई। जालियावाला बाग हत्याकांड से ज्ञान मार्ग और कर्म मार्ग को रौंदा गया। आज भी अलगावादियों और आतंकवादियों को धर्म की वास्तविक जानकारी नहीं है। हमें गुरुओं की तरफ देखना चाहिए। मुख्य अतिथि के रूप में सोनीपत के डॉ॰ बी आर॰ अंबेडकर विश्वविद्यालय की संस्थापक कुलपति डॉ॰ विनय कपूर मेहरा ने वैसाखी को नवधान्य और नवान्न अर्पित करने का त्योहार बताया और जालियावाला बाग के सामूहिक जघन्य हत्याकांड के चश्मदीदों जैसे उधम सिंह और रतन देवी की कुछ हृदय विदारक दास्ताँ सुनाई।

समूचा कार्यक्रम विश्व हिन्दी सचिवालय, अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद, केंद्रीय हिन्दी संस्थान, वातायन और भारतीय भाषा मंच के सहयोग से वैश्विक हिन्दी परिवार के अध्यक्ष श्री अनिल जोशी के मार्गनिर्देशन में सामूहिक प्रयास से आयोजित हुआ। कार्यक्रम प्रमुख एवं सहयोगी की भूमिका का निर्वहन ब्रिटेन की सुप्रसिद्ध प्रवासी साहित्यकार सुश्री दिव्या माथुर और पूर्व राजनयिक सुनीता पाहुजा द्वारा किया गया। अंत में विनम्र कृतज्ञता ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। यह कार्यक्रम “वैश्विक हिन्दी परिवार, शीर्षक के अंतर्गत “यू ट्यूब, पर उपलब्ध है।

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