
मॉरीशस की साहित्यिक सुगंध
मॉरीशस के द्वीपीय सौंदर्य में रची-बसी हिंदी साहित्य की अनूठी गंध — एक समर्पण, एक संवाद
हिंद महासागर के मध्य स्थित सुरम्य द्वीप राष्ट्र मॉरीशस, जहाँ प्रकृति की नयनाभिराम सुंदरता के साथ हिंदी साहित्य की विशिष्ट सुगंध भी रची-बसी है। “मॉरीशस की साहित्यिक सुगंध” एक ऐसा संकलन है, जिसमें इस द्वीप की विविध साहित्यिक प्रतिभाओं को एक मंच पर लाने का प्रयास किया गया है। इस पुस्तक में मॉरीशस के 44 साहित्यकारों की 64 रचनाएँ — कविता, कहानी, संस्मरण, लेख, लघुकथा, निबंध और शोधपत्र आदि विधाओं में संकलित हैं, जो गिरमिटिया इतिहास से लेकर समकालीन जीवन अनुभवों तक की भावभूमि पर रची गई हैं।
भारतीय उच्चायोग, पोर्ट लुई में मेरी तीन वर्षों की राजनयिक नियुक्ति (2020–2023) के दौरान इस संकलन का बीज धीरे-धीरे आकार लेने लगा। मॉरीशस के हिंदी प्रेमियों से निरंतर संवाद, विविध कार्यक्रमों में सहभागिता और साहित्यकारों से आत्मीय परिचय ने इस पुस्तक के रूप में एक सार्थक परिणति पाई।
यह संकलन दो विशिष्ट साहित्य-साधकों को समर्पित है —
श्री अभिमन्यु अनत, जिनकी लेखनी ने हिंदी साहित्य को मानवीय संवेदना और यथार्थ का वैश्विक स्वरूप दिया; और
डॉ. मुनीश्वर लाल चिंतामणि, जिनकी कविताओं ने संस्कृति, भाषा और मानवीय मूल्यों को समर्पित भाव के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाई।
पुस्तक का सह-संपादन श्रीमती अंजू घरभरन द्वारा किया गया है और इसकी भूमिका में मॉरीशस में हिंदी की स्थिति, गिरमिटिया धरोहर और सांस्कृतिक परिदृश्य पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है।
यह संकलन एक ऐसा साहित्यिक दस्तावेज़ है जो भारत और मॉरीशस के मध्य सुदृढ़ होते सांस्कृतिक रिश्तों की एक कोमल अभिव्यक्ति है।