

जंगल के बाघ से कविता का बाघ
कुछ अधिक धीर-स्थिर है
चतुर होने पर भी शिष्ट है
तेज होने पर भी सीधा-सादा है…
राजेंद्र प्रसाद मिश्र द्वारा अनुवादित और राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित, साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कवयित्री गायत्रीबाला पंडा की कविताओं का संग्रह मैंने पढ़ा है। ये कविताएँ अत्यंत अद्भुत हैं मुझे लगता है कि सभी को इन्हें अवश्य पढ़ना चाहिए…
– चित्रा मुद्गल
