सावधान मेरे मित्रों
मेरे भारतवासियों
अभी भी समय है
संभल जाओ
समय रहते
नहीं तो
अगले पचास-सौ सालों में
हिन्दी वैसे ही डूब जायेगी भारत में,
जैसे डूबी ट्रिनिडाड में।
यदि इसी तरह
हिन्दी की कागज की नाव
तैरती रही अँग्रेजी के तालाब में
और सोखती रही धीरे-धीरे
अँग्रेजी का पानी
एक दिन ऐसा आएगा
नाव हो जाएगी पूरी गीली
और डूब जाएगी
अँग्रेजी के संसार में।
फिर दोबारा
हिन्दी की नाव बनाना
न होगा इतना आसान
बस हाथ मलते रह जाओगे
कृपया मेरी बात मान।
आज भारतीय भेजना चाहते हैं,
बच्चों को अँग्रेजी स्कूलों में,
खुद माँ-बाप
अपनी शान समझते हैं
अँग्रेजी बोलने में।
मैं अँग्रेजी के खिलाफ नहीं,
किसी भी भाषा का ज्ञान,
बुरी बात नहीं।
लेकिन डरती हूँ,
मैं मन ही मन में,
भविष्य के हिंदुस्तान में,
यही स्थिति न हो जाए
हिन्दी की
जो हो गई है,
आज ट्रिनिडाड में।
लोग कोशिश कर रहे हैं बहुत,
फिर से हिन्दी के विकास की,
पर सफलता
अभी है कोसों दूर
प्रयास अभी भी हैं जारी।
जल्दी जागो, जागो जल्दी,
देर बहुत न हो जाए।
सावधान मेरे मित्रो,
मेरे हिन्दी प्रेमियों,
समय अभी भी है काफी,
संभल अभी भी जाओ तुम।
सीखे दूसरे की गलती से जो,
इंसान वही होता समझदार,
खुद पैरों पर अपने,
मत कुल्हाड़ी मारो यार।
-आशा मोर
