१  ।।

ज़िंदगी और मौत में

एक क्षण का अंतराल होता है

जैसे कि एक पानी का बुलबुला

जिसके ऊपर सूर्य की किरण पड़ने से

सतरंगी इन्द्रधनुष दिखाई दे रहा था

अगले ही क्षण

पानी में मिलकर एक हो जाता है

फिर लाख कोशिश करने पर भी

वह बुलबुला दोबारा नहीं बन सकता

ज़िंदगी के इस  सतरंगी इन्द्रधनुष

की अहमियत को पहचानो।

२  ।।

ये ज़िंदगी क्या होती है

एक पेड़ भी तो जीवित कहलाता है

फिर पेड़ और मनुष्य में क्या फ़र्क है

शायद कर्मशील होने का

इन्सान का अपना बनाया हुआ माया जाल

मकड़ी के जाले की तरह है

जिसे बनाने में ही

उसका सारा जीवन समाप्त हो जाता है

मधुमक्खी भी तो छत्ता बनाती है

पर मधुमक्खी के छत्ते में

शहद की मिठास होती है

मकड़ी बनना आसान है

मधुमक्खी बनकर देखें

कर्मशील बनें ,

मधुमक्खी की तरह।

३  ।।

ये मौत क्या होती है

क्यों होती है

कब होती है

कैसे होती है

मौत कितना भयानक शब्द होता है

मौत क्या

सिर्फ़ शरीर के शांत हो जाने का ही नाम है

मौत क्या आत्मा की नहीं होती

आत्मा की मौत

क्यों होती है

कब होती है

कैसे होती है

कल एक मछली की मौत हो गई

उस मछलीघर में वह अकेली थी

कितने दिन तक जीवित रह सकती थी

हाँ यदि तालाब में होती

तो बात कुछ और होती

उसके शरीर और आत्मा दोनों की मौत हो गई।

-आशा मोर

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