विनोद पाराशर

सुख और दुःख!

हम-
यह जानकर
बहुत सुखी हैं
कि-दुनिया के ज्यादातर लोग
हमसे भी ज्यादा दु:खी हैं!
पिता-
इसलिए दु:खी है-
कि बेटा कहना नहीं मानता
बेटे का दु:ख-
कैसा बाप है!
बेटे के जज्बात ही नहीं जानता!
मां-
इसलिए दु:खी है-
कि जवान बेटी
रात को देर से घर आती है!
बेटी का दु:ख-
शक की सुई-
हमेशा उसी के सामने आकर
क्यों रूक जाती है ?
पति-
इसलिए दु:खी है-
कि-उसकी पत्नि
स्वयं को समझदार
उसे बेवकूफ मानती है
उसकी मां को-
उससे ज्यादा वह जानती है!
पत्नी का दु:ख-
उसका पति-
अभी तक भी-
अपनी कमाई-
अपने मां-बाप पर लुटा रहा है
उसे अपने बच्चों का भविष्य
अंधकारमय नजर आ रहा है!
मालिक –
इसलिए दु:खी है-
कि-नौकर
हराम की खा रहा है!
नौकर का दु:ख-
जी-तोड़ मेहनत के बाद भी
घर नहीं चल पा रहा है।
ये भी दु:खी हैं
वो भी दु:खी हैं
और हम-
यह जानकर-बहुत सुखी हैं
कि-दुनिया के ज्यादातर लोग
हमसे भी ज्यादा दु:खी हैं!

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