
मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित मेरी पसंदीदा कहानी पर साहित्यकारों ने किया कहानीपाठ और विमर्श
वनमाली सृजन केंद्र सतना के तत्वाधान में मुंशी प्रेमचंद की जन्म जयंती के अवसर पर मुंशी प्रेमचंद कथा विमर्श का आयोजन ३०जुलाई को ७ बजे से आनलाइन वेबीनार के माध्यम से आयोजित की गई। इसका विषय मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित मेरी पसंदीदा कहानी। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में न्यूयार्क की वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती सुषमा मल्होत्रा रही इसके साथ शहडोल से अरुण नामदेव, विनीता मिश्रा, डॉ सीलेश तिवारी, लिपिका बाला दत्ता, ऋषिकेश गुप्ता, निलय मंडल, एस.एल.प्रजापति, गोरखनाथ अग्रवाल, अजीत प्रताप सिंह कुंवर, राजधर मिश्र हयात, समरजीत वर्मा, संजय मिश्रा, डॉ प्रभाशंकर मिश्र ने अपने विचार व्यक्त किये।
इस अवसर पर एस.एल.प्रजापति ने अपनी पसंदीदा कहानी दो बैलों की कहानी में कठिन परिस्थितियों में भी सफलता के लिये आगे बढ़्ने की बात की। अरुण नामदेव ने पसंदीदा कहानी नमक के दरोगा के माध्यम से धन पर धर्म की जीत, प्राइवेटाइजेशन का समाज में महत्व बताया। डॉ सीलेश तिवारी ने पसंदीदा कहानी ईदगाह के माध्यम से मानवीय सामाजिक संबंधों को एक पीढी से दूसरी पीढ़ी तक मजबूत करने का संदेश दिया। विशेष रूप से दादा दादी और नाती पोतों के बीच के संबम्धो की बात की। निलय मंडल ने पसंदीदा कहानी बड़े घर की बेटी के माध्यम से संयुक्त परिवारों में बहुँओं के महत्व और भूमिका पर विशेष प्रकाश डाला। विनीता मिश्रा ने पसंदीदा कहानी बूढ़ी काकी के माध्यम से बुढ़ापा कैसे बचपना का पुनरागमन होता है इस पर बात की। बुजुर्गों की उपेक्षित स्थिति पर प्रकाश डाला। अजीत प्रताप सिंह कुंवर ने लेखक कहानी के माध्यम से साहित्यकार की पारिवारिक सामाजिक, आर्थिक समस्याओं को सभी के सामने रखा। सुषमा मेल्होत्रा ने ईदगाह कहानी के माध्यम से मानवीय प्रेम, सहानुभूति त्याग की भावना को संबंधों में पिरोने की बात की।


गोरखनाथ अग्रवाल ने गुल्ली डंडा कहानी के माध्यम से दो दोस्तों के बचपन और उनके आगामी जीवन की परिस्थितियों के बदलाव को सभी के सामने रखा। राजधर मिश्र हयात ने मुंशी प्रेमचंद के जीवन की आपबीती को सभी के सामने रखते हुए उनको भोगे हुए यथार्थ को लिखने वाला कथाकार बताया।
डॉ प्रभाशंकर मिश्र ने कहा मुंशी प्रेमचंद एक काल जयी कथाकार थे क्योंकि उन्होने अपने समय के आगे का सत्य लिखा। उन्होने नमक के दरोगा कहानी जैसा घटनाक्रम उत्तरपूर्वी राज्य नागालैंड के बारे में बताया।
संगोष्ठी में समरजीत वर्मा, लिपिका बाला दत्ता, संजय मिश्रा, ॠषिकेश गुप्ता ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
आभार अनिल अयान ने व्यक्त किया। आगामी गोष्ठी वनमाली साहित्य सृजन पर केंद्रित कर आयोजित करने रूपरेखा बनी।
सुषमा मल्होत्रा