कैनेडा की पुलिस

विजय विक्रान्त, कनाडा

25 फ़रवरी,1965 को, परिवार सहित, हम ने कैनेडा को अपनी कर्मभूमि स्वीकार किया। पार्टियों में या अनौपचारिक रूप में जब कभी भी मित्र मण्डली बैठती थी, तब सब यही कहते थे कि कैनेडा की पुलिस बहुत सभ्य है और बिना किसी कारण किसी को भी परेशान नहीं करती। सब का यही सोचना था कि पुलिस का तो काम ही यही है कि समय पड़ने पर वो आपकी सहायता के साथ साथ रक्षा भी करे। पुलिस की यह सब सेवाएं सारे कैनेडा में उपलब्ध हैं और ज़रूरत पड़ने पर हर किसी को मिलती भी हैं। क्योंकि हम नए नए देश में आए थे और मुझे पुलिस का न तो कोई तजुर्बा था और न ही उस से कोई लेना देना, फिर भी मित्रों की यह बात गिरह बाँध ली।

पुलिस से मेरा पहला अनुभव

यह घटना 1965 के क्रिस्मस के आसपास की है। उन दिनों हम मॉन्ट्रियाल शहर के वैस्ट ऐण्ड में रहते थे। मुझे अभी भी अच्छी तरह से याद है कि, दुपहर बाद, एक शनिवार  को मैं अपनी श्रीमती जी के  साथ, डाऊनटाऊन से वापस घर जाने के लिए, मेज़ैन्युव बुलैवार्ड (Maisonneuve Blv’d) पर ड्राइव कर रहा था। एकाएक मैं ने नोट किया कि मेरे पीछे मोटरबाइक पर पुलिस का एक कॉप (पुलिस कॉंस्टेबल) अपनी लाइट फ़्लैश करके मुझे रुकने को कह रहा है। मेरे रुकने पर कॉप ने मुझ से मेरा ड्राइविंग लाइसैंस और कार का रजिस्ट्रेशन माँगा।

मेरे पूछने पर कि मामला क्या है, उस ने कहा कि मैं ट्रैफ़िक की लाल लाइट पर नहीं रुका था और उसे बिल्कुल अनदेखा कर के चलता रहा। मेरे सफ़ाई देने पर कि जब मैं क्रॉसिंग पर आया था तो हरी लाइट पीली हो चुकी थी। ऐसी हालत में मेरा बीच में रुकना और भी अधिक ख़तरनाक था, इस लिए मैं रुका नहीं और सीधा निकल गया। कॉप ने मेरी इस वजह को बिल्कुल नकार दिया और मेरे काफ़ी प्लीड करने पर भी उस पर कोई असर नहीं हुआ। इसी बीच उसने टिकट देने के लिए जेब से अपनी किताब भी निकाल ली।

किताब खोलकर और हाथ में पैन लिए वो मुझ से कहने लगा कि “मैं तुम्हें कोर्ट टिकट दूँगा जहाँ जज तुम्हें दस डॉलर फ़ाइन करेगा”। मेरा थोड़ी देर और सफ़ाई देने के बाद भी जब मैं ने देखा कि मेरा इस से बात करने का अब कोई फ़ायदा नहीं और यह मुझे टिकट दिए बिना छोड़ेगा नहीं, मैं चुपचाप कॉप के मुझे टिकट देने का इंतजार करने लगा। मेरे अब चुप हो जाने के बाद उस ने अपनी वही लाइन फिर दोहराई कि “मैं तुम्हें कोर्ट टिकट दूँगा जहाँ जज तुम्हें दस डॉलर फ़ाइन करेगा।“। जब वो बार बार अपने इस डायलॉग को दोहरा रहा था और टिकट भी नहीं दे रहा था तो बहुत हिम्मत कर के मैं ने उस से पूछ ही लिया कि वो आख़िर चाहता क्या है? मेरे पूछने पर वो एक दम शान्त हो गया और थोड़ी देर रुक कर बोला कि “यह टिकट तुम्हें अदालत में दस डॉलर का पड़ेगा, तुम मुझे पाँच डॉलर दे दो”।

डॉलर देने के लिए जैसे ही मैं ने अपना वॉलैट निकाला तो उस में केवल दो डॉलर का लाल रँग का नोट नज़र आया। मेरे यह कहने पर कि औफ़िसर मेरे पास तो केवल दो डॉलर ही हैं, यदि तुम कहो तो मैं अपनी वाइफ़ से बाकी के तीन डॉलर माँग लेता हूँ। मेरा इतना कहना था कि वो एक दम बोला कि दो डॉलर ठीक हैं। इस के बाद मेरे हाथों से लाल रँग का नोट लेकर और मेरे कार के सब काग़ज़ लौटाकर उस ने मुझे “मैरी क्रिस्मस” कहा। इसके बाद वो अपने रास्ते और हम अपने रास्ते।

(यहाँ मैं एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि उन दिनों दो डॉलर भी बहुत बड़ी रकम होती थी और पुलिस को रिश्वत देना अपने आप में बहुत बड़ा जुर्म माना जाता था। मुझे अभी दस महीने ही हुए थे देश में आए हुए। यह सब जानते हुए भी मुझ में उस से पूछने की हिम्मत कहाँ से आई और यह सब कैसे हुआ, मुझे आज तक पता नहीं)

फ़ैरी को सवारी के आने तक रोके रखना

उन दिनों, मॉन्ट्रियाल से मेरी पोस्टिंग कैनेडा के पूर्बी प्रान्त नोवास्कोशिया की हो गई थी। मॉन्ट्रियाल से मेरे एक मित्र परिवार सहित हमें मिलने आए हुए थे। पड़ौस के प्रान्त पी॰ई॰आई॰ जाने के लिए हमारा प्रोग्राम फ़ैरी टर्मिनल “केप टॉर्मैन्टार्इन न्यु ब्रन्ज़विक” से आख़िरी फ़ैरी लेने का था। हमें किसी कारण घर से निकलने में थोड़ी देर हो गई थी। फ़ैरी मिस न हो जाए इसलिए मैं कार तेज़ चला रहा था। फ़ैरी टर्मिनल से कोई दस किलोमीटर पहले मुझे कैनेडा की राष्ट्रिय पुलिस “आर॰सी॰ऐम॰पी॰” के एक कॉप (पुलिस कॉंस्टेबल) ने रुकने को कहा।

मेरे रुकने पर उसने बताया कि मैं कार हाइवे की स्पीड लिमिट से तेज़ चला रहा था। अपनी सफ़ाई में मेरे कहने पर कि हमें फ़ैरी छूट जाने का डर था, वो कहने लगा कि रात का टाइम है, तुम्हारी कार में चार बड़े और छ: बच्चे हैं और तुम फिर भी कार तेज़ चला रहे थे। स्पीडिंग के लिए मैं तुम्हें कोर्ट में हाज़िर होने का टिकट दूँगा। इस से पहले कि अपनी सफ़ाई में मैं कुछ कहूँ कॉप ने मुझे ले जाकर अपनी कार में लगे हुए रेडार पर जो मेरी स्पीड थी दिखा दी। ऐसे में मुझे अपना चुप रहना ही ठीक लगा।

कॉप का अगला सवाल था कि मैं कितने दिन के लिए वेकेशन पर जा रहा हूँ। मेरे बताने पर उसने टिकट तो दिया मगर उसपर कोर्ट की पेशी की तारीख़ हमारे वापस घर पहुँचने से दो हफ़ते बाद की दी और कहा कि कार तेज़ मत भगाना। कोई पन्द्रह मिण्ट बाद जैसे ही हम टर्मिनल पर पहुँचे, फ़ैरी हमारा इन्तज़ार कर रही थी। फ़ैरी के औप्रेटर ने बताया कि पुलिस का फ़ोन आया था और उन्होंने, जब तक आप न आजाएं, आपके लिए रुकने को कहा था।

घर वापस आने के बाद मुझे पता चला कि जिस दिन की मेरी कोर्ट की पेशी है, उस दिन तो मुझे काम से टोरौन्टो जाना है। पेशी से दो दिन पहले मैं ने कोर्ट को फ़ोन किया और अपनी, हाज़िर न होने की, मजबूरी बताई। ख़ैर मुझे दूसरी तारीख़ मिल गई। पेशी का समय भी शाम का दिया गया ताकि मुझे काम से छुट्टी न लेनी पड़े। पेश होने पर जज ने मुझे दस डॉलर का फ़ाइन किया और एक हफ़ते के लिए मेरा ड्राइविंग लायसैंस सस्पैण्ड कर दिया। अगले दिन सुबह जब अख़बार खोलकर देखा तो “गिल्टी औफ़ स्पीडिंग” में मेरा और उन सब लोगों का, जो मेरी श्रेणी में आते थे, उनका नाम छपा था।

नॉट अगेन पीटर

यह किस्सा भी नोवास्कोशिया का है। वहाँ के नए पावर स्टेशन टफ़्टस कोव यूनिट 3  (Tufts Cove Unit #3) के कन्ट्रोल के लिए जो कंप्युटर लगाना था, उसकी सारी ज़िम्मेवारी मेरी थी। हमारी कम्पनी ने कंप्युटर का आर्डर मॉन्ट्रियाल की फ़ॉक्षबौरो कम्पनी को दिया गया था। फ़ॉक्षबौरो कम्पनी का रीजनल दफ़तर न्यु ब्रँज़विक के मॉंक्टन शहर में था और वहाँ का रीजनल मैनेजर पीटर मीटिंग के लिए ड्राइव करके हैलिफ़ैक्स आता रहता था। एक बार जब पीटर मीटिंग के लिए लेट आया तो मेरे पूछने पर उस ने बताया कि उसे गाड़ी तेज़ चलाने के कारण राष्ट्रिय पुलिस “आर॰सी॰ऐम॰पी॰” के एक कॉप ने रोका था। इस से पहले कि कॉप उसको स्पीडिंग का टिकट दे, उस ने जैसे तैसे करके कॉप को मना लिया और बच गया।

मीटिंग के दौरान कुछ ऐसा प्रोग्राम बना कि मुझे और पीटर को उसी दिन शाम को मॉंक्टन पहुँचना था और अगले दिन दोनों को फिर वापस हैलिफ़ैक्स आना था। लिहाज़ा हम दोनों लंच करके पीटर की गाड़ी से मॉंक्टन के लिए निकल पड़े। वहाँ रात दस बजे तक अपना काम ख़त्म करके, होटल में विश्राम करके  सुबह दोनों वापस हैलिफ़ैक्स के लिए चल दिए। कार में बैठे हुए मुझे कुछ ऐसा महसूस हुआ कि पीटर ओवर स्पीडिंग कर रहा है। मेरे याद दिलाने पर वो हँस कर कहने लगा कि क्या करूँ विजय, मेरा पैर बहुत भारी है और मेरे चाहने पर भी मेरी एक नहीं सुनता। पीटर ने अपनी यह बात अभी पूरी ही की थी कि अचानक उसने देखा कि पीछे से पुलिस की कार फ़लैश करके उसे रुकने को कह रही है। पीटर के रुकने पर जब कॉप सामने आया तो मुझे ऐसा लगा कि पीटर कॉप को जानता है। दोनों की बातों से पता चला कि यह वही कॉप है जिस ने पीटर को पहले दिन रोका था। उसके शव्द “नॉट अगेन पीटर” मुझे अभी तक याद हैं जब उसने पीटर को टिकट के साथ साथ “सेफ़ ड्राइविंग कोर्स” लेने के लिए भी वार्निंग दी।

एक ही घण्टे में दो स्पीडिंग टिकट

सुन कर अजीब तो लग रहा होगा लेकिन मुझे अभी तक समझ नहीं आया कि मेरे साथ यह सब क्या हुआ?

पहला टिकट

यह किस्सा औण्टेरियो का है। प्रॉजैक्ट मीटिंग के मामले में मुझे महीने में दो तीन बार ब्रूस न्युक्लियर पावर स्टेशन (Bruce Nuclear Power Station) जाना पड़ता था। यह स्टेशन मेरे घर से कोई दो सौ पच्चीस किलोमीटर दूर था। मैं मीटिंग से एक रात पहले, पावर हाउस के नज़दीक वाले पोर्ट एल्गिन टाउन के लिए निकलता था और वहाँ होटल में रात ठहर कर अगले दिन सुबह जल्दी दफ़तर पहुँच जाता था। काम ख़तम करके कोई चार साढ़े चार बजे वापसी के लिए चल देता था। यह एक तरह से मेरा बँधा हुआ रुटीन था।

ऐसे ही एक बार, काम ख़तम करके, मैं घर वापसी के लिए निकल पड़ा। मैं माइल्डमे टाउन के हाइवे तीन पर ड्राइव कर रहा था। अपने हिसाब से तो मैं ट्रैफ़िक के हिसाब से गाड़ी चला रहा था कि अचानक सामने से आती हुई कार ने मुझे देख कर अपनी हैड लाइटें फ़लैश की। उसे देख मैं ने अपनी कार रोक दी। सामने वाली कार भी रुक गई और उस में से एक ओ॰पी॰पी॰ (Ontario Provincial Police) का कॉप निकलकर मेरे पास आया। मेरे पूछने पर उस ने कहा कि मैं 80 किलोमीटर के ज़ोन में 120 की स्पीड से कार चला रहा था। मेरे यह कहने पर कि मैं तो ट्रैफ़िक को फ़ॉलो कर रहा था उसने बताया कि यहाँ आने से पहले उसने चार उन कारों को, जो ट्रैफ़िक को फ़ॉलो कर रहे थे, रोक कर टिकट दिया है। मेरा पुलिस से बहस करने का न कोई इरादा था और इसका न ही कोई फ़ायदा नज़र आया।

मुझे टिकट देने के बाद, जाते जाते, उसने सलाह दी कि “इस टिकट को कोर्ट में चैलेंज करना और जिस दिन तुम्हारी पेशी हो उस दिन, पेशी के समय से, थोड़ा जल्दी पहुँच जाना और प्रॉसिक्युटर से बात करना मत भूलना। प्रॉसिक्युटर तुम्हारे ट्रैफ़िक वायोलेशन को कम कर देगा। इस तरह तुम्हारे पॉइंट भी नहीं कटेंगे और जुर्माना भी कम होगा।“

कोर्ट की पेशी वाले दिन मैं ने वही किया जो पुलिस ने बताया था। प्रॉसिक्युटर ने मेरे “ट्रैफ़िक वायोलेशन” को “स्टॉप” साइन पर चार सैकण्ड न रुकने में बदल दिया। पेशी पर मैं ने अपने गुनाह को कबूल कर लिया, जुर्माना भरा और घर की वापसी।

दूसरा टिकट

माइल्डमे में मिले टिकट के बारे में मैं थोड़ा परेशान अवश्य था और बहुत सोच समझ कर कार चला रहा था। औरेंजविल क्रॉस करके अभी मुझे पाँच मिन्ट भी नहीं हुए होंगे कि पीछे से फ़्लैश लाइट देकर एक ओ॰पी॰पी॰ के कॉप ने मुझे रुकने को कहा। मेरे कार को हाइवे 10 के एक साइड में खड़ी करने के बाद जब कॉप मेरे निकट आया तो मैं ने उस से मुझे रोकने का कारण पूछा। कॉप ने मुझे बताया कि मैं 80 किलोमीटर के ज़ोन में 117 किलोमीटर चला रहा था। कॉप की बात सुनकर मुझे ऐसा लगा कि या तो मेरा दिमाग़ ख़राब हो गया है या फिर यह पुलिस वाला आज घर में अपनी बीवी से लड़ कर आया है। यहाँ मेरे पास पुलिस को चैलेंज करने का और उसकी बात को ग़लत साबित करने का कोई साधन नहीं था। मैं ने एक दो बार उसे समझाने की कोशिश भी की लेकिन वो कुछ सुनने को तैयार ही नहीं था और मुझे कोर्ट का टिकट दे दिया।,

इस से पहले कि मैं अपना रासता नापूँ, इस पुलिस कॉप ने भी मुझे वही सलाह दी जो थोड़ी देर पहले वाले कॉप ने कहा था। पहले टिकट के तजुर्बे को ध्यान में रखते हुए, पेशी वाले दिन, मैं इस टिकट के लिए भी प्रॉसिक्युटर से मिला। थोड़ी देर बात करने के बाद वो कहने लगा कि मैं पूरे “ट्रैफ़िक वायोलेशन” को तो रद्द नहीं कर सकता हाँ 117 को 100 ज़रूर कर सकता हूँ। इस से मुझे थोड़े फ़ाइन के इलावा और कोई फ़रक नहीं पड़ेगा। थोड़ी देर में “जस्टिस औफ़ पीस” की अदालत में पेशी हुई और जुर्माना भर के लौट के बुद्धू घर को आए।

नोट

दोनों बार जब मैं कोर्ट में पेशी के लिए गया था तो मेरे जैसे और भी बहुत सारे लोग आए हुए थे। बातचीत के दॉरान मुझे कईयों ने बताया कि उनके साथ भी यही किस्सा हुआ है जब पुलिस वाले कॉप ने उन्हें भी “जस्टिस औफ़ पीस” की अदालत में पेश होने से पहले प्रॉसिक्युटर से मिलने की सलाह दी थी। उन्होंने इस बात की भी पुष्टी की कि कई बार पुलिस वालों को अपना कोटा पूरा करना होता है और इस चक्कर में कई बार बेकसूर को भी टिकट मिल जाता है। हो सकता है कि इन बेगुनाहों को कम से कम सज़ा मिलने का तरीका भी यदि बता दिया जाए तो शायद उसे रात को नींद ठीक तरह से आएगी।

पुलिस का सज़ा देने का एक नायाब तरीका

यह घटना 2003 की है और मुझे नोवास्कोशिया छोड़े हुए 26 साल हो चुके थे। एकाएक 2003 में सुनहरी यादों को ताज़ा करने का और पुराने दोस्तों से मिलने के लिए नोवास्कोशिया जाने का प्रोग्राम बना लिया। हैलिफ़ैक्ष एयरपोर्ट पर उतरते ही मैं ने कार रैण्ट कर ली थी। रोज़ शाम को पुराने यारों से मिलकर महफ़िल जमती थी और ऐसा महसूस होता था जैसे हम यहाँ से कभी गए ही नहीं।

हैलिफ़ैक्ष से कोई 45 किलोमीटर दूर सेण्ट कार्ग्रेट बे (St Margaret’s Bay)  में पैगीज़ कोव (Peggy’s Cove) नाम का एक पिकनिक स्थान है जहाँ पर एक लाइट हाउस भी है। अपने ज़माने में यहाँ हम ख़ूब जाते थे। एक दिन, जिन मित्र के यहाँ हम ठहरे हुए थे, उन के साथ वहाँ जाने का प्रोग्राम बना लिया। मैं कार चला रहा था और बातों का सिलसिला जारी था। पैगीज़ कोव पर जाकर देखा तो काफ़ी लोग आए हुए थे। सुरक्षा के लिए वहाँ पर कैनेडा की राष्ट्रीय पुलिस आर॰सी॰ऐम॰पी॰ भी थी। पार्क के एक स्लो ज़ोन में शायद मैं कार कुछ तेज़ चला रहा था। अचानक मुझे पुलिस के कॉप ने रोका और अपने सार्जैण्ट के पास ले जाकर कहने लगा कि यह ड्राइवर स्पीडिंग कर रहा था।

बातचीत के दॉरान सार्जैण्ट को मैं ने बताया कि मैं बाहर से अया हूँ और टोरॉण्टो का रहने वाला हूँ। मेरी बात सुनकर उस ने कहा कि आप हमारे महमान हैं और मुझ से मेरा ड्राइविंग लायसैंस माँगा। उसके बाद उसने मेरे लायसैंस की डीटेल अपने कम्प्युटर में डाल ली और कहा कि यह डेटा हमारे पास पंद्रह दिन तक रहेगा और हमें पूरी उमीद है कि आप जब तक हमारे महमान हैं अपनी स्पीड का ध्यान रखेंगे।

विजय विक्रान्त

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