
आस्था नवल
आस्था नवल का जन्म दिल्ली के साहित्यिक परिवार में हुआ। पिताः डॉ॰ हरीश नवल और माता डॉ॰ स्नेह सुधा से बचपन से ही लेखन कला को विरासत में पाया। ननिहाल और पिता के घर में सात वर्ष की आयु में कविता लेखन का प्रोत्साहन मिला और तबसे ही कविता और लेख लिख रही हैं। आस्था नवल ने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज से प्रथम श्रेणी में हिन्दी में स्नातक और स्नातकोत्तर की उपाधि ग्रहण की। यूजीसी से सीनियर छात्रवृत्ति प्राप्त की और साथ साथ जामिया मिलिया विश्विविद्यालय से हिन्दी नाटक में प्रो॰ अशोक चक्रधर के नेतृत्व में पीएचडी की। पीएचडी करते हुए उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के इंद्रप्रस्थ और मिरांडा हाऊस कॉलेज में अध्यापन कार्य भी किया।
२००१ में उनकी प्रथम पुस्तक ‘आस्था की डायरी’ का लोकार्पण बलगेरिया के सोफिया विश्वविद्यालय में हुआ। उनकी दूसरी पुस्तक ‘लड़की आज भी’ (प्रथम काव्य संकलन) का लोकार्पण सम्माननीय कमलेश्वर जी के करकमलों द्वारा २००६ में दिल्ली में हुआ। २०१६ में इनके दूसरे काव्य संग्रह ‘विस्थापित मन’ का प्रकशन भारत के हिन्दी साहित्य निकेतन द्वारा किया गया जिसका विमोचन वर्जीनिया में किया गया। जनवरी २०२१ में मॉरिशस विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित वैश्विक व्यंग्य लेखन प्रतियोगिता में आस्था नवल को अमेरिका में द्वितीय पुरुस्कार प्राप्त हुआ। सितम्बर २०२१में हिन्दी दिवस के अवसर पर विश्व हिन्दी साहित्य परिषद द्वारा आस्था नवल को ‘हिन्दी प्रज्ञा’ सम्मान से सम्मानित किया गया।
साहित्य अमृत, विश्वा, गर्भनाल, हिन्दी जगत, गगनाँचल जैसी प्रख्यात पत्र पत्रिकाओं में कविता और लेख द्वारा उनका निरंतर योगदान रहता है। आस्था नवल अमेरिका के साहित्य जगत में जाना पहचाना नाम हैं। आस्था नवल कवि गोष्ठियों में, देश विदेश के लघु कथा, कहानी, बाल हिन्दी सम्मेलनों, आदि में भाग लेने के साथ साथ कई कार्यक्रमों का संचालन करने के लिए भी जानी जाती हैं। प्रति माह चार कवि गोष्ठी का आयोजन कर अमेरिका और कनाडा के कवियों का सम्मेलन आयोजित करती हैं जो यू ट्यूब पर देखा जा सकता है। आस्था नवल प्रकृति प्रेमी हैं, सौहार्द की प्रचारक हैं। इनका यू ट्यूब चैनल ‘आस्था की डायरी” के नाम से है जिसमें आप इनकी कविताओं के साथ साथ किस्से व समाज से जुड़ी चर्चायें भी सुन सकते हैं। सम्प्रति पति ललित ग्रोवर और दो बच्चों के साथ वर्जीनिया में रहती हैं।
रंगमंच और आस्था नवल
परिवार में ही रंगकर्मी हरीश नवल की सुपुत्री होने के कारण बचपन से ही रंगंमंच की समझ पाई। स्कूल कॉलेज में कई एकांकी, नृत्य नाटिका, महाकाव्य प्रस्तुति और आधुनिक नाटकों में अभिनय किया। राषट्रीय नाट्य विद्यालय की वर्कशॉप कीं। दिल्ली की संस्था “एटेलियर” की संस्थापक सदस्य रहीं। दूरदर्शन पर “साइकल पर यात्रा” के अभिनय में भाग लिया। स्नातकोत्तर में नाटक विशेष लिया और जयशंकर प्रसाद के अभिनेयता पर शोध परक पुस्तक रची।
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की रंगधर्मिता पर पीएच डी करते हुए नाटक की बारीकियों को अधिक समझा और नाटक के महास्तम्भ इब्राहिम अलकाज़ी, राम गोपाल बजाज, मोहन महर्षी, सुधा शिवपुरी आदि से साक्षात्कार लिए। हबीब तनवीर के निर्देशन में उनका प्रसिद्ध नाटक आगरा बाज़ार देखने का अवसर प्राप्त किया। शोध के दौरान संस्कृत नाटकों से अत्याधुनिक नाटकों को जाना, बंगाली, मराठी, पंजाबी, रूसी, जापानी आदि कई भाषाओं में नाटक देखे और उनका आलोचनात्मक अध्धयन भी किया।
२००७ में वाशिंगटन डी सी के फ्रिंज फेस्टीवल में “ आय एम सैम” नामक नाटक में भी अभिनय किया।
ईमेल पता : asthanaval@gmail.com