थाईलैंड में हिंदी

थानाभद

आजकल भारतीय सभ्यता सर्वव्यापी उपलब्ध है क्योंकि प्राचीन काल में मूल भारतीय निवासी दुनिया भर में भ्रमण करते थे इसलिए वर्तमान में हम देख सकते है कि कई क्षत्रों एवं महाद्वीपों  में प्रवासी भारतीय मिल पाएंगे। ऐसे ही लोग अहम भूमिका है कि वे लोग अवश्य सांस्कृतिक प्रचारक एवं अन्य विविध आयामों में प्रचारक है। थाईलैंड में भी बहुत सारे लोग प्रवासी भारतीय उपलब्ध हैं खासकर थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में रहते हैं। इसके अतिरिक्त भारतीय लोग उत्तर, पूर्वोत्तर, एवं दक्षिण थाईलैंड में रहते हैं।

     भाषाई दृष्टि के अनुसार हम कह सकते है कि अधिक भाषाएँ के शब्दों को संस्कृत से प्रभावित होते है। संस्कृत भाषा को सभी भाषाओं की जननी  है और हिंदी भाषा अवश्य भी इसके अंतर्गत है। थाई भाषा भी अवश्य संस्कृत से प्रभावित होते हैं। हम देख सकते हैं कि अधिक थाई शब्दों को संस्कृत से प्रभावित होते है जैसे हिंदी में नमस्कार बोलते है और थाई भाषा में भी नमस्कान कहते हैं (इस शब्द केवल बौद्ध भंते से प्रयोग करते हैं)। दूसरा उदाहरण हिंदी में चाँद कहते हैं और थाई में चन कहते हैं। तीसरा उदाहरण यह है कि मेरा नाम थाई का उच्चारण थानाभद है दरअसल थानाभद शब्द संस्कृत से सीधा प्रभावित है। इस शब्द में “धन” एवं “भद्र” शब्दों का प्रयोग करते है तो धनभद्र या थानाभद का तात्पर्य “सुसंपत्ति” है।  

     भाषा शिक्षण दृष्टि के अनुसार  थाईलैंड में कुछ स्कूलों में हिंदी पढ़ाते हैं जैसे भारत विद्यालय स्कूल, थाई- सीख अंतर्राष्ट्रीय स्कूल एवं ग्लोबल अंतर्राष्ट्रीय स्कूल इत्यादि। विश्वविद्यालय के स्तर पर कुछ विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाते हैं जैसे थम्मासात विश्वविद्यालय में प्रिडी बनोमयोंग अंतर्राष्ट्रीय महाविद्यालय के अंतर्गत स्नातक भारतीय अध्ययन पाठ्यक्रम में ऐसे हिंदी भाषा, हिंदी- थाई अनुवाद एवं हिंदी साहित्य का इतिहास के विषय आदि हैं। शिल्पाकोर्न विश्वविद्यालय में पुरातत्व संकाय में स्नातक स्तर पर ऐसे कला एवं संस्कृति हिंदी विषय इत्यादि पढ़ाते हैं। कसेतसात विश्वविद्यालय में मानविकी संकाय के अंतर्गत स्नातक स्तर पर हिंदी व्याकरण पढ़ाते हैं। चूड़ालंकरण विश्वविद्यालय में कला संकाय के अंतर्गत पर्यटन हिंदी एवं हिंदी साहित्य का इतिहास आदि पढ़ाते हैं। रामखमहैंङ विश्वविद्यालय में मानविकी संकाय के अंतर्गत हिंदी व्याकरण इत्यादि पढ़ाते हैं। नखोनराजसीमा राजभट विश्वविद्यालय में मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान संकाय के अंतर्गत हिंदी व्याकरण इत्यादि पढ़ाते हैं। छीयांगमई विश्वविद्यालय में मानविकी संकाय के अंतर्गत हिंदी पत्रिका इत्यादि पढ़ाते हैं और बहुत प्रसन्नता विषय की बात है कि पिछले वर्ष छीयांगमई विश्वविद्यालय में स्नातक भारतीय भाषा एवं संस्कृति पाठ्यक्रम खुला है।

     निष्कर्ष रूप में हम कह सकते हैं कि थाईलैंड में विविध आयामों में भारतवर्ष से प्रभावित होते हैं जैसे भाषा, संस्कृति एवं नामकरण आदि है। थाई भाषा में अधिकतर संस्कृत भाषा से सीधा प्रभावित है जैसे थाई लोगों के नामकरण इसलिए अधिक थाई लोगों के पास बहुत लंबे नाम होते हैं। थाईलैंड में हिंदी शिक्षण की दृष्टि के अनुसार बहुत कम स्थानों में हिंदी पढ़ाते हैं।  यदि आप सफल होने के लिए कोई भाषा पढ़ाना चाहते हैं इसे उसी मातृभाषा में पढ़ाया जाना चाहिए परंतु स्थानीय लोग जो हिंदी भाषा जानने वाले की संख्याएँ बहुत कम है। आजकल भारतीय की जनसंख्या दुनिया में सब से अधिक है और इसमें कम से कम 50% हिंदी भाषा प्रयोग करते हैं इसलिए मुझे उम्मीद करता हूँ कि भविष्य में हिंदी भाषा थाईलैंड में अवश्य उज्ज्वल भाषा हैं।             

संदर्भ:

-प्रियंका सिंह. (2023). भारत- थाईलैंड के आर्थिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक संबंध. प्रतिभा चौहान (सं.), थाईलैंड- भारत के सांस्कृतिक संबंध. (पृष्ठ 9-16). साहित्य संचय.      

-शिखा रस्तोगी. (2023). थाईलैंड में हिंदी. हिंदी की गूँज, 3(11), 73-74.

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